भारत के लिए एक बार फिर वैश्विक व्यापार मंच से चिंताजनक खबर आई है. अमेरिका ने भारत पर लगे 25% टैरिफ को जारी रखने का फैसला करते हुए साफ कर दिया है कि इसमें किसी भी प्रकार की छूट की संभावना नहीं है. वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे भारत विरोधी रुख रखने वाले देशों को बड़ी राहत दी गई है. इन दोनों देशों के लिए टैरिफ दरों में भारी कटौती की गई है.
ट्रंप प्रशासन द्वारा गुरुवार को जारी किए गए ताजा फैसले में भारत को कोई रियायत नहीं दी गई है, जबकि पाकिस्तान के साथ अमेरिका ने एक व्यापार समझौता किया है, जिसके तहत संयुक्त रूप से तेल की खोज की जाएगी. इसके तहत पाकिस्तान पर लगने वाला टैरिफ 29% से घटाकर 19% कर दिया गया है. वहीं बांग्लादेश को भी राहत देते हुए 35% से घटाकर 20% टैरिफ किया गया है. व्हाइट हाउस के मुताबिक ये नई दरें 7 अगस्त से लागू होंगी.
ट्रंप के खास दोस्त की 'सहयोग यात्रा'
टैरिफ में इस बदलाव के पीछे अमेरिका के कारोबारी हित और ट्रंप परिवार की निजी संलिप्तता मानी जा रही है. डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के कॉलेज मित्र और विश्वसनीय सहयोगी गेंट्री थॉमस बीच ने जनवरी 2025 में पाकिस्तान और बांग्लादेश का दौरा किया था. इस यात्रा के दौरान उन्होंने इन देशों के शीर्ष नेताओं और निवेश एजेंसियों से मुलाकात की और ऊर्जा, खनिज, और रियल एस्टेट क्षेत्रों में अरबों डॉलर के निवेश की बात की. पाकिस्तान में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख से हुई, जबकि बांग्लादेश में उन्होंने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और BIDA अधिकारियों के साथ निवेश पर चर्चा की.
ट्रंप परिवार के आर्थिक हित
गेंट्री बीच की यात्रा के बाद, ट्रंप परिवार से जुड़ी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLFI) नामक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी के प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान में लगभग 2 बिलियन डॉलर की डील की. इस डील के तहत पाकिस्तान में क्रिप्टो और ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट्स पर काम होगा. इस डील में डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, एरिक ट्रंप और जेरेड कुशनर की भूमिका सामने आई है. इसके अलावा अमेरिका पाकिस्तान के साथ तेल और खनिज क्षेत्रों में सहयोग की बात कर रहा है.
भारत के लिए यह क्या संकेत देता है?
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि ट्रंप प्रशासन ने व्यापारिक और निजी लाभों के आधार पर अपने फैसले तय किए हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश को टैरिफ में राहत देना केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि निजी आर्थिक फायदे से भी प्रेरित है. वहीं भारत के खिलाफ टैरिफ बरकरार रखकर एक स्पष्ट राजनीतिक संकेत भी दिया गया है. यह घटनाक्रम भारत के लिए वैश्विक कूटनीति और व्यापारिक रणनीतियों में और अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत को रेखांकित करता है, क्योंकि अब फैसले केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर भी तय हो रहे हैं.
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