हिंद महासागर में मौजूद अमेरिका का सामरिक रूप से बेहद अहम डियागो गार्सिया नेवल बेस एक बार फिर वैश्विक सुरक्षा चर्चाओं का केंद्र बन गया है. खाड़ी क्षेत्र में लगातार बढ़ते तनाव और ईरान के आक्रामक रुख को देखते हुए अमेरिका ने इस द्वीप पर अपनी सैन्य ताकत में इजाफा कर दिया है. ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी सेना ने कम से कम चार एफ-15 फाइटर जेट इस बेस पर तैनात किए हैं ताकि संभावित हमलों से जवानों और सैन्य परिसंपत्तियों की सुरक्षा की जा सके.
यह तैनाती ऐसे समय में की गई है जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत अधर में लटकी हुई है. इसी बीच अमेरिका को यह आशंका सताने लगी है कि ईरान या उसके सहयोगी संगठन इस बेस को निशाना बना सकते हैं.
क्या है डियागो गार्सिया और क्यों है इतना अहम?
डियागो गार्सिया, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप है जो मॉरिशस के चागोस द्वीप समूह का हिस्सा है, लेकिन वर्तमान में यह ब्रिटेन के प्रशासनिक नियंत्रण में है और अमेरिका द्वारा सैन्य अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह द्वीप सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के बीच एक रणनीतिक केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है.
यहां से अमेरिकी वायुसेना और नौसेना दोनों ऑपरेशन चलाती हैं. स्पेस फोर्स से लेकर परमाणु पनडुब्बियों और बमवर्षक विमानों तक, इस नेवल बेस पर अमेरिका की आधुनिकतम सैन्य मौजूदगी देखी जाती है.
किस खतरे की तैयारी कर रहा है अमेरिका?
अमेरिकी अधिकारी इस बात को लेकर सतर्क हैं कि ईरान या उसके प्रॉक्सी ग्रुप्स—जैसे कि हूती विद्रोही—डियागो गार्सिया पर मिसाइल या ड्रोन से हमला कर सकते हैं. अमेरिका की चिंता यह है कि ईरान ने ऐसे युद्धपोत और ड्रोन विकसित किए हैं जिन्हें वाणिज्यिक जहाजों से भी लॉन्च किया जा सकता है. इनका इस्तेमाल दूरस्थ अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में किया जा सकता है.
डियागो गार्सिया भले ही अब तक भौगोलिक रूप से अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थान रहा हो, लेकिन मौजूदा हालात में यह स्थिति बदलती दिख रही है.
अमेरिकी सैन्य तैयारियां: एफ-15 की तैनाती और अधिक
मीडिया रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेजरी के मुताबिक, 14 मई के आसपास से एफ-15 फाइटर जेट्स को इस बेस पर लाया गया है. इसके साथ ही यहां पहले से मौजूद सैन्य संपत्तियों में शामिल हैं:
इनके अलावा, इसी साल मार्च में 6 B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स भी यहां आए थे, जिनका इस्तेमाल अमेरिका ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर हमले के लिए किया था.
क्या बोले अमेरिकी अधिकारी?
हिंद-प्रशांत कमांड के मीडिया प्रवक्ता मैथ्यू कोमेर ने ‘The War Zone’ वेबसाइट से बातचीत में कहा कि एफ-15 फाइटर जेट्स को वहां तैनात करने का मकसद डियागो गार्सिया बेस पर मौजूद सैनिकों की सुरक्षा को मजबूत करना है. यह संकेत देता है कि अमेरिका अब इस क्षेत्र में किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
ईरान की रणनीति: दूर से वार करने की तैयारी
ईरान ने हाल के वर्षों में अपनी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली और विस्फोटक ड्रोन तकनीक को काफी विकसित किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब ईरान के पास यह क्षमता है कि वह डियागो गार्सिया जैसे दूरस्थ अमेरिकी अड्डों को भी टारगेट कर सके.
खास बात यह है कि ईरानी समर्थित हूती विद्रोही पहले ही रेड सी में व्यापारिक जहाजों और अमेरिकी लक्ष्यों को निशाना बना चुके हैं. इसलिए आशंका है कि ईरान इन प्रॉक्सी ग्रुप्स के जरिए ही डियागो गार्सिया पर हमले की योजना बना सकता है.
एफ-15 की ताकत
एफ-15 ईगल अमेरिकी वायुसेना का एक अत्याधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट है, जो अपनी सटीकता, गति और आक्रामक क्षमताओं के लिए जाना जाता है. इसने पहले भी ईरान द्वारा इज़राइल पर किए गए मिसाइल हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी. इसकी तैनाती यह दर्शाती है कि अमेरिका न केवल खतरे को गंभीरता से ले रहा है, बल्कि हर हालात के लिए सैन्य रूप से तैयार भी है.
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