वाशिंगटनः अगर अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो वह हिंद महासागर में स्थित भारत के दक्षिणी सिरे से यह हमला करेगा. डोनाल्ड ट्रंप का यह मानना है कि ईरान को अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता में शामिल होना चाहिए, ताकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोका जा सके, उसकी लंबी दूरी की मिसाइलों की क्षमता को खत्म किया जा सके, और मिडिल ईस्ट में ईरानी प्रॉक्सी संगठनों को नष्ट किया जा सके. लेकिन ईरान इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और इस कारण ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने ट्रंप के बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इसके बाद पेंटागन ने भारतीय महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया द्वीप पर अपने एडवांस स्टील्थ बमवर्षक विमान बी-2 को तैनात कर दिया है, जो दिखाता है कि अमेरिका ईरान पर हमला करने के लिए गंभीर रूप से तैयार है.
बमवर्षक बलों की तैनाती
अमेरिकी सेना मिडल ईस्ट और पूर्वी एशिया में ईरान और उसके प्रॉक्सी के ठिकानों पर हमलों के लिए रणनीतिक बमवर्षक बलों की तैनाती के अभ्यास में जुटी हुई है. इसके साथ ही अमेरिकी सेना ने आवश्यक रसद, खुफिया बुनियादी ढांचे, ईंधन भरने वाले विमान, परिवहन विमान और अन्य सहायक दलों को भी तैनात कर दिया है, ताकि हमलों की रणनीति को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके. इस बीच, अमेरिका ने अपने एक एयरक्राफ्ट कैरियर को भी इस क्षेत्र में तैनात किया है, जिससे उसकी नौसेना वायुसेना का समर्थन कर सके.
इसके अलावा, अमेरिका अपनी रणनीति की शुरुआत यमन में हमले से कर सकता है, जिससे यह दिखाया जा सके कि ट्रंप की धमकियां वास्तविक हैं. अमेरिका के इस कदम का उद्देश्य यह साबित करना है कि उनकी धमकियां सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं हैं. हालांकि, ईरान ने डिएगो गार्सिया पर हमले की धमकी दी है, लेकिन यह द्वीप ईरान से लगभग 2,480 मील दूर है, और ईरान के लिए वहां तक हमला करना अत्यधिक कठिन होगा. अमेरिका के पास ऐसे बमवर्षक विमान हैं, जो इस दूरी तक हमला कर सकते हैं, जबकि ईरान के बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइलों का इस द्वीप तक पहुंचना संभव नहीं है. यदि ईरान के पास ऐसे मिसाइलें होती भी हैं, तो वे अमेरिकी डिफेंस सिस्टम को पार करने में सक्षम नहीं होंगी.
डोनाल्ड ट्रंप का अल्टीमेटम मई के अंत में समाप्त होगा
डोनाल्ड ट्रंप का अल्टीमेटम मई के अंत में समाप्त हो जाएगा, और यदि ईरान उस समय तक बातचीत के लिए तैयार नहीं होता, तो अमेरिका ईरान पर हमला कर सकता है. इसके अलावा, अमेरिका ईरान के प्रॉक्सी हूतियों पर यमन में हमले कर सकता है. वहीं, इज़रायल भी पूरी तरह से तैयारी कर रहा है, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ईरान ने अमेरिका पर हमला करने में सफलता नहीं पाई, तो वह इज़रायल पर हमला कर सकता है. ट्रंप ने पहले ही इज़रायल को ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले की इजाजत दे दी है.
इस बीच, ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर लोड कर दिए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ईरान इस तनाव को कम नहीं करना चाहता. अगर अमेरिका हमला करता है, तो ईरान के लिए इसे सहन करना मुश्किल होगा, खासकर जब वह पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका ने हमला किया और नए प्रतिबंध लगाए, तो ईरान में इस्लामिक शासन का अंत भी हो सकता है.
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