Donald Trump-Putin Meeting: दुनियाभर की निगाहें एक बार फिर अमेरिकी और रूसी नेतृत्व की संभावित ऐतिहासिक भेंट पर टिक गई हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति और 2024 चुनावों के बाद दोबारा राष्ट्रपति पद पर लौटे डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे 15 अगस्त, 2025 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. यह बैठक अलास्का में आयोजित की जाएगी और इसमें मुख्य रूप से यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों पर बातचीत की जाएगी.
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “मेरे और पुतिन के बीच बहुप्रतीक्षित बैठक अगले शुक्रवार, ग्रेट स्टेट ऑफ अलास्का में होगी. इस बैठक से जुड़ी आगे की जानकारी जल्द साझा की जाएगी.” अगर यह मुलाकात होती है, तो यह अमेरिका और रूस के बीच 2021 के बाद पहला उच्च-स्तरीय शिखर सम्मेलन होगा. पिछली बार यह बातचीत पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन और पुतिन के बीच जिनेवा में हुई थी.
युद्धविराम की उम्मीद या कूटनीतिक रस्साकशी?
इस बैठक की घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और युद्ध के मैदान में हालात अब भी बेहद तनावपूर्ण हैं. ट्रंप इससे पहले रूस को चेतावनी दे चुके हैं कि अगर बमबारी नहीं रुकी, तो अमेरिका अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएगा और रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाए जाएंगे.
यूक्रेन में फिलहाल डोनेटस्क का पोक्रोव्स्क इलाका सबसे भीषण संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, जहां रूस की सेना ड्निप्रोपेट्रोव्स्क की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही है. जनशक्ति की कमी के बावजूद यूक्रेनी सैनिक डटे हुए हैं.
बातचीत नहीं, जीत चाहिए
यूक्रेनी मोर्चे पर तैनात सैनिक इस बैठक को लेकर खासे संदेह में हैं. डोनेटस्क में ड्रोन यूनिट के एक कमांडर बूदा ने साफ कहा, “रूस से बातचीत असंभव है, उन्हें हराना ही एकमात्र रास्ता है.” वहीं जापोरिज्जिया में तैनात हॉवित्जर यूनिट के कमांडर वारसा का कहना है, “हम पीछे नहीं हट सकते, यह हमारी जमीन है.”
पुतिन की कूटनीतिक कवायद
बैठक से पहले पुतिन भी सक्रिय दिखे हैं. क्रेमलिन के मुताबिक, उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बात कर ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ से हुई मुलाकात की जानकारी साझा की. चीन ने यूक्रेन संकट के दीर्घकालिक समाधान का समर्थन किया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पुतिन की बात हुई. गौरतलब है कि ट्रंप ने इसी हफ्ते भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिसे ट्रंप युद्ध को आर्थिक मदद देना मानते हैं.
इसके अलावा पुतिन ने दक्षिण अफ्रीका, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस के नेताओं से भी बातचीत की है. विश्लेषकों का मानना है कि पुतिन अपने करीबी सहयोगियों को ट्रंप के साथ किसी संभावित समझौते के संकेत दे रहे हैं.
नजरें अब अलास्का पर
अभी तक यह साफ नहीं है कि ट्रंप और पुतिन की इस मुलाकात से कोई ठोस नतीजा निकलेगा या नहीं, लेकिन यह निश्चित है कि यह वार्ता वैश्विक कूटनीति के लिए एक निर्णायक क्षण साबित हो सकती है. यूक्रेन युद्ध की भयावहता और इसकी वैश्विक आर्थिक-सामरिक छाया को देखते हुए, यह बातचीत एक संभावित बदलाव की शुरुआत भी हो सकती है, या फिर एक और राजनीतिक तमाशा.
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