रात 9:56 बजे से लगेगा साल का आखिरी चंद्रग्रहण, 3 घंटे 28 मिनट तक नजर आएगा ब्लड मून, जानें डिटेल्स

    आज रात आसमान में एक दुर्लभ और बेहद खास खगोलीय नज़ारा देखने को मिलेगा. रविवार की रात को इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण लगने वाला है.

    The last lunar eclipse of the year will begin at 9:56 pm
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Social Media

    नई दिल्ली: आज रात आसमान में एक दुर्लभ और बेहद खास खगोलीय नज़ारा देखने को मिलेगा. रविवार की रात को इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण लगने वाला है. यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसे खगोल विज्ञान में "ब्लड मून" भी कहा जाता है. इस खास खगोलीय घटना को भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में नंगी आंखों से देखा जा सकेगा.

    विशेष बात यह है कि यह चंद्रग्रहण करीब 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा, और इसमें 82 मिनट तक चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में डूबा रहेगा, जिससे उसका रंग नारंगी-लाल जैसा दिखाई देगा.

    • चंद्रग्रहण का समय और दृश्य
    • ग्रहण की शुरुआत: रात 9:56 बजे
    • पूर्ण चंद्रग्रहण (ब्लड मून): रात 10:57 बजे से 12:19 बजे तक
    • ग्रहण का समापन: रात 1:24 बजे
    • कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 28 मिनट
    • ब्लड मून की अवधि: लगभग 82 मिनट

    भारत के सभी हिस्सों में यह ग्रहण देखा जा सकेगा, चाहे आप उत्तर भारत में हों, दक्षिण में, पूर्व या पश्चिम में. मौसम साफ रहा तो बिना किसी विशेष उपकरण के भी इसे देखा जा सकता है. हालांकि, टेलिस्कोप या बाइनोक्युलर से देखने पर यह और भी शानदार अनुभव होगा.

    दुनिया के किन-किन हिस्सों में दिखेगा ग्रहण?

    यह चंद्रग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा. विशेष रूप से एशिया और ऑस्ट्रेलिया में चंद्रमा उस समय आकाश में ऊंचा होगा, जिससे वहां के लोग इसे अधिक स्पष्ट रूप से देख सकेंगे.

    कुछ प्रमुख शहरों में चंद्रग्रहण के स्थानीय समय:

    • बैंकॉक: 12:30 AM से 1:52 AM
    • बीजिंग और हांगकांग: 1:30 AM से 2:52 AM
    • टोक्यो: 2:30 AM से 3:52 AM
    • सिडनी: 3:30 AM से 4:52 AM

    संयुक्त राष्ट्र के खगोल विशेषज्ञों के अनुसार, इस चंद्रग्रहण को दुनिया की लगभग 77% आबादी देख पाएगी.

    ब्लड मून क्यों दिखाई देता है?

    जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है, तब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं. पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता. लेकिन पृथ्वी के वातावरण से होकर सूर्य की कुछ लाल और नारंगी तरंगें चंद्रमा तक पहुंचती हैं, जिससे वह लालिमा युक्त दिखाई देता है.

    इसी कारण से पूर्ण चंद्रग्रहण को "ब्लड मून" कहा जाता है, क्योंकि चंद्रमा का रंग इस दौरान खून की तरह गहरा लाल या नारंगी दिखता है.

    चंद्रग्रहण क्या होता है और यह कैसे बनता है?

    चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो तब घटती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है. यह केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव होता है, क्योंकि तभी तीनों खगोलीय पिंड एक सीध में आते हैं.

    ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर पड़ने वाली छाया से उसकी चमक कम हो जाती है या वह पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है, और कुछ स्थितियों में उसका रंग भी बदल जाता है.

    कितने तरह के होते हैं चंद्रग्रहण?

    खगोल विज्ञान में चंद्रग्रहण को मुख्यतः तीन प्रकारों में बांटा जाता है:

    1. पूर्ण चंद्रग्रहण (Total Lunar Eclipse)

    • जब पृथ्वी की मुख्य छाया (umbra) चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है.
    • चंद्रमा पर सूर्य का सीधा प्रकाश बिल्कुल नहीं पहुंचता.
    • इस दौरान चंद्रमा लाल या नारंगी रंग का दिखता है (ब्लड मून).

    2. आंशिक चंद्रग्रहण (Partial Lunar Eclipse)

    • जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के केवल एक हिस्से पर पड़ती है.
    • चंद्रमा का एक भाग छाया में छिप जाता है और बाकी भाग सामान्य दिखता है.

    3. उपछाया चंद्रग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)

    • जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया (penumbra) में प्रवेश करता है.
    • इसमें चंद्रमा की चमक थोड़ी मद्धम होती है, लेकिन आमतौर पर इसे देखना मुश्किल होता है.

    क्या चंद्रग्रहण देखना सुरक्षित है?

    हां, चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखना बिल्कुल सुरक्षित है. इसके लिए किसी भी विशेष चश्मे या फिल्टर की जरूरत नहीं होती, जैसा कि सूर्यग्रहण के समय होता है.

    फिर भी, अगर आप इसे और बेहतर तरीके से देखना चाहते हैं, तो बाइनोक्युलर या टेलिस्कोप का इस्तेमाल करें. इससे चंद्रमा की सतह पर होने वाले बदलावों को साफ-साफ देखा जा सकता है.

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