The JC Show: राम मंदिर पर धर्म ध्वजा...पूर्ण हुआ नरेंद्र मोदी का वचन!

    The Jc Show: The JC Show: पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अयोध्या के राम मंदिर की शिखर पर धर्मध्वज फहराया. इस खास मौके पर उनके साथ संघ  प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे. इसे लेकर इस बार के The JC Show में भारत 24 के एडिटर एंड चीफ एंड सीईओ डॉ. जगदीश चंद्र से खास बातचीत हुई. 

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    The Jc Show: The JC Show: पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अयोध्या के राम मंदिर की शिखर पर धर्मध्वज फहराया. इस खास मौके पर उनके साथ संघ  प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे. इसे लेकर इस बार के The JC Show में भारत 24 के एडिटर एंड चीफ एंड सीईओ डॉ. जगदीश चंद्र से खास बातचीत हुई. 


    सवालः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचे और वहां पर धर्म ध्वजा उनकी तरफ से लहराई गई और ऐसे में राम मंदिर का निर्माण भी संपूर्ण हुआ और साथ ही संपूर्ण हुआ नरेंद्र मोदी का वचन भी. इस पर आप क्या कहेंगे? 

    जवाबः नरेंद्र मोदी का कहना सही है कि धर्म ध्वजा केवल एक ध्वज नहीं यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का एक ध्वज है. यह भारत की सांस्कृतिक चेतना का उत्कर्ष है. कई वर्ष पूर्व जब नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण का वचन लिया था, प्रण लिया था, यज्ञ किया था. यह समारोह उसकी एक पूर्ण आहुति है. नरेंद्र मोदी जिस भाव विभोर भंगिमा के साथ मोहन भागवत और योगी के साथ ध्वज को ऊपर चढ़ता हुआ देख रहे थे तो उस समय ऐसा लगा कि भगवान राम की आत्मा का इनमें वास हो गया है. और एक प्रकार से समारोह का आभामंडल ऐसा था. नरेंद्र मोदी का आभामंडल ऐसा था. 

    यह लगा कि भगवान राम खुद उन्हें आशीर्वाद देकर उनका राज्य अभिषेक कर रहे हैं. कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि नरेंद्र मोदी अब भारत के इतिहास का एक पन्ना बन गए हैं. एक हिस्सा बन गए हैं जो सदियों तक याद रखा जाएगा. समारोह के बाहर खड़े एक व्यक्ति ने एक कोई टैक्सी ड्राइवर था. 

    मुझे किसी ने बताया. उसने यह वहां पे यह कमेंट किया कि जब तक सूरज चांद रहेगा नरेंद्र मोदी का यहां नाम रहेगा. इसी प्रकार से एक दूसरी टिप्पणी यह आई वहां से जिस प्रकार से सारे संसार के कण-कण में राम है उसी तरह से भारत के कण-कण में नरेंद्र मोदी छाए हुए हैं. तो क्या है कि विद ह सिंगल इमोशनल स्पीच नरेंद्र मोदी वंस अगेन हैज़ बिकम द हीरो ऑफ़ द नेशन एंड हैज़ वॉन द हार्ट एंड सोल ऑफ़ 140 करोड़ इंडियन माइंड्स. शुरू से ही मेरा मानना रहा है कि नरेंद्र मोदी मूलत एक साधु, एक संत, एक फकीर, एक आध्यात्मिक गुरु, धर्म गुरु रहे हैं. और इस बार ऐसा लगता है कि भगवान राम ने उन्हें जो काम सौंप के भेजा था, पहले कह चुके हैं कि शायद इस काम के लिए भगवान ने मुझे भेजा है. 

    तो श्री राम ने जो जिम्मेदारी उनको सौंपी थी, उस जिम्मेदारी को उन्होंने पूरा किया. आज सारा राष्ट्र उनके प्रति कृतज्ञ है, भाव विभोर है. इस समारोह की झलकियां टीवी चैनल्स पर देखकर सारा देश रोमांचित था और सारे देश की जुबान पे एक ही नाम था और वो नाम था नरेंद्र मोदी का. 

    सवालः सर राम मंदिर के निर्माण में गृह मंत्री अमित शाह का भी की रोल रहा है. क्या आप कुछ कहना चाहेंगे इस बारे? 
    जवाबः ऑफकोर्स अगर सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की फौज खड़ी करके और होमवर्क करके अमित शाह इसे क्लियर नहीं करवाते कोर्ट में प्रभावी ढंग से पैरवी नहीं करते तो शायद राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाता. तो निश्चित तौर पे कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी का जो प्रण था उसे पूरा करने में उनके प्रधान सेनापति अमित शाह का भी की रोल रहा है. एंड ही आल्सो डिर्व्स ए वोट ऑफ थैंक्स फ्रॉम द नेशन. 

    सवालः सर मैंने सुना है कि अखिलेश यादव भी अंततः राम मंदिर जाएंगे, अयोध्या जाएंगे और भगवान श्री राम को नमन करेंगे. क्या आपने भी ऐसा सुना है सर? 


    जवाबः भूल सुधार बहुत पहले होना चाहिए था. फाइनली उन्होंने देखा इसको कि उत्तर भारत में रह के विशेषत जो है आप सनातन की उपेक्षा नहीं कर सकते. आप हिंदुत्व की उपेक्षा नहीं कर सकते. हिंदुत्व या सनातन को इग्नोर करके आप चुनाव नहीं जीत सकते. लोगों के दिलों पर राज नहीं कर सकते. तो देर आए दुरुस्त आए तो कोई आश्चर्य नहीं है कि कुछ दिनों बाद वे अयोध्या आए और जैसा मैंने सुना है कि उन्होंने कहा कि मेरे घर के पास भी एक मंदिर है वहां मैं जाऊंगा और इसके साथ-साथ जितने और मंदिर हैं देश के बड़े-बड़े उन समय में तीर्थ यात्रा भी करूंगा. जी एनी हाउ ही इज़ ए इसे कहना चाहिए कि एक इंटेलिजेंट आदमी है अखिलेश यादव. उन्होंने इस भूल सुधार को स्वीकार किया है. तो ऐसी आशा की जानी चाहिए कि राजनीतिक मतभेद भुलाकर और राजनीतिक स्वार्थों से हटकर उन्हें भी देश की मुख्यधारा में लौटना चाहिए. जनता उनका स्वागत करेगी. 

    सवालः सर ध्वजारोहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत के बीच जो केमिस्ट्री देखने के लिए मिली उस पर आप क्या कहेंगे? 

    जवाबः यह बहुत ही सुखद क्षण था जिसे कहना चाहिए और सबसे बड़ी बात है नरेंद्र मोदी ने जो बड़प्पन दिखाया कि पहले आप उनको आगे किया फिर पीछे पीछे चले ये एक चक्रवर्ती सम्राट जिसे नरेंद्र मोदी को मैं मानता हूं उनका आचरण जो है ना बहुत अच्छा लगा सब लोगों को जिसे कहना चाहिए लीग से हटके था लेकिन बहुत बड़प्पन था इसके पीछे इस चित्र को देख के भाजपा और आरएसएस के सारे कार्यकर्ताओं में कल खुशी और उत्साह का माहौल था दोनों का चित्र इस तरह से एक साथ देखकर और नरेंद्र मोदी की उदारता और सदा सहायता देखकर जिसमें मोहन भागवत से कह रहे हैं कि पहले आप और फिर दो कदम पीछे उनके साथ-साथ चल रहे हैं. इसे कहते हैं बड़प्पन और जो कभी-कभी आदमी पावर जितनी गेन करता है वह कहता है उतना विनम्र होता है. कल की घटना ने सिद्ध किया. कुल मिलाकर एक सुखद क्षण था. एक अच्छी प्लेजेंट तस्वीर थी जिसे सभी अखबारों ने आज छापा. अच्छा लगा. 

    सवालः सर  मैंने सुना है कि बिहार में स्पीकर पद को लेकर बीजेपी और जेडीयू में खींचतान चल रही है. इसका अंतिम परिणाम क्या होगा? 

    जवाबः अंतिम परिणाम अमित शाह का डंडा चलता है. आपको मालूम है तो वहां भी भाजपा का ही बनेगा स्पीकर. भाजपा रिस्क नहीं ले सकती. तो प्रेम कुमार हैं शायद नौ बार चुनाव जीत चुके हैं. तो शायद भाजपा के उम्मीदवार वही होंगे. कुछ बातें ऐसी हैं जिन पे अमित शाह कंप्रोमाइज नहीं कर सकते. अंडर द सुपरविजन ऑफ नरेंद्र मोदी. पहला था गृह मंत्रालय. उन्होंने कंप्रोमाइज नहीं किया. लिया उसको अब है स्पीकर का पद. स्पीकर के पद का जितना महत्व अमित शाह समझते हैं बहुत कम लोग ऐसा समझते हैं. 

    महाराष्ट्र का उदाहरण हमारे सामने है. वो छोड़ नहीं सकते किसी कीमत पे भी. यह पद कि भाजपा के पास ना रहे. इसलिए मुझे पूरा यकीन है कि बाय नाउ सब कुछ सेटल हो गया होगा. 1 दिसंबर को है चुनाव स्पीकर का लीडर ऑफ अपोजिशन का विधानसभा बैठेगी तो मामला इस तरह से सुलट जाएगा और एक आश्चर्य की बात है कि मुख्यमंत्री बनाने के बावजूद क्यों नीतीश कुमार का मन अटका हुआ है स्पीकर गृह विभाग इन चीजों में राज दे दिया पूरा आपको अब क्या है ये एनी हाउ तो मेरा आकलन यह है कि यह पद जो है स्पीकर का यह भाजपा को जाएगा और शायद प्रेम कुमार ही स्पीकर बन सकते हैं लेट्स सी 


    सवालः सर एक सवाल करना कर्नाटक को लेकर है. कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धार रमैया और डिप्टी सीएम डी के शिव कुमार के बीच जो सत्ता संघर्ष चल रहा है, आपको लगता है उसे देखते हुए कि बीजेपी कर्नाटक में महाराष्ट्र मॉडल को दोहरा सकती है? 


    जवाबः बिल्कुल दोहरा सकती है. हाउ समवन कैन स्किप दिस अपॉर्चुनिटी फॉर मेकिंग देयर ओन गवर्नमेंट. आज देखिए 82 विधायक हैं एनडीए के वहां पे. अगर शिव कुमार कांग्रेस छोड़ के आते हैं तो निश्चित तौर पे मानिए वन थर्ड लोग तो उनके साथ होंगे ही वो छोड़ के आएंगे. वहां से जो है पॉपुलर आदमी हैं. तो जो 82 लोग हैं एनडीए के दोनों मिलके सरकार बना सकते हैं. ये बाहर से समर्थन दे सकता है एनडीए उन्हें. मैंने सुना है कि शिव कुमार अमित शाह के संपर्क में है. नहीं है तो हो जाएगा. किसी दिन मैसेज आएगा और बाहर से पता लगेगा जो पीए बैठते हैं कि कौन आया. पता लगा शिव कुमार आए हैं तो ड्राइंग रूम में बैठाइए बात करते हैं. ये वहां का क्रम है और इसी क्रम में मैं इस संभावना से इंकार नहीं करता कि शिव कुमार कांग्रेस छोड़ के एनडीए का दामन थाम सकते हैं और अमित शाह की शरण में आ सकते हैं. ऐसा मुझे लगता है. 

    सवालः सर आखिर सोनिया या फिर राहुल पार्टी के अंदर के झगड़े को निपटा क्यों नहीं पा रहे? 

    जवाबः यही तो मेन बात है इनडिसाइसिव लैक ऑफ रेस्पोंसिबिलिटी. इन एक्सेस टू राहुल गांधी खुद वादे करना या वादे नहीं करना तो समय पर उसका खंडन नहीं करना यह कांग्रेस की एक पुरानी परंपरा हो गई है. कुछ राज्यों में डिप्टी सीएम की पोस्ट के लिए कह देना यह कि ढाई साल बाद आप राज करो ढाई साल बाद तुम राज करोगे. फिर विवाद होता है तो फिर लोग कहते हैं नहीं हमने तो ऐसा नहीं कहा था. राजस्थान में यही हुआ गहलोत पायलट का. बहुत दिन तो विवाद चलता रहा. 

    पायलट हमेशा इस इंप्रेशन में रहेगी. 2 ढाई साल बाद मैं मुख्यमंत्री बनूंगा. गहलोत कैंप ने कहा नहीं भाई ऐसा कोई वायदा आलाकमान ने नहीं किया सोनिया ने नहीं किया प्रियंका ने नहीं किया तो झगड़ा चलता रहा झगड़ा कहां तक पहुंचा आप देखते हैं लेकिन इशू यह है मेन कि जब ये झगड़ा राजस्थान में उठा मान लो और बाद में छत्तीसगढ़ में यह झगड़ा उठा तो ठीक उसी समय सोनिया गांधी आगे आकर या राहुल गांधी आगे आकर एक बयान क्यों नहीं जारी करते कि हमने कोई ऐसा वादा नहीं किया था यह सत्य नहीं है यह तो नहीं कहेंगे कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है पर यह कहेंगे इट्स नॉट फ़क्चुअली करेक्ट हमने कोई वायदा नहीं किया तो बात व खत्म हो जाती है. वह उसको लटकाए रखते हैं इन अ वे कंफ्यूज रहते हैं और हो सकता है वायदा किया हो तो आज मोरल अथॉरिटी नहीं बनती आदमी की. 

    कैसे उसको इंकार करे जो भी है छत्तीसगढ़ में यह हुआ अब यहां पे ये हो रहा है. वो क्लेम कर रहे हैं शिव कुमार के लोग राहुल गांधी ने प्रॉमिस किया था कि लगभग ढाई साल बाद करेंगे. लगभग 2 ढाई साल हो गए अब ये. तो हमें दीजिए कुर्सी. कुर्सी ऐसी है कि कोई व्यक्ति बन जाए तो छोड़ना कौन चाहता? सिद्ध धर्म में भी नहीं छोड़ना चाहते. वही पॉपुलर लीडर है वहां के. तो बेसिकली क्या है कि इनडिसेसिवनेस जो है ना कांग्रेस आलाकमान की यह इसके लिए मूलत है. जिम्मेदार है कि राज्यों में झगड़े क्यों होते हैं? मान लिया आपने वादा नहीं किया तो दो टूक कहिए ना मीडिया में आके कि गलत कह रहा है व्यक्ति हमने वादा नहीं किया. 

    टॉपिक एंड्स इटसेल्फ वो नहीं होगा यहां पे. अब झगड़ा जो चरम पे पहुंच गया तो मैंने आज सुना अभी खबर में कि राहुल गांधी को WhatsApp मैसेज भेजा होगा गुड बाय करने का या प्री गुड बाय करने का. तो राहुल गांधी का जवाब आया है जो बहुत रेयर चीज है. उसका जवाब आया कि कृपया इंतजार कीजिए मैं आपको कॉल करूंगा. तो लेट्स सी लेकिन मेन जो इशू है ना वो यह है कि जब तक आप पार्टी को उस तरह से नहीं चलाएंगे आपके एक्सेस नहीं होगी लोगों तक जो है तो नहीं होगा. अभी क्या हुआ वहां पे देखिए बिहार के अंदर पार्टी हार गई. ठीक है. हार गई खड़े परेशान हुए. तो उन्होंने सोनिया गांधी को फोन किया. सोनिया गांधी ने मैंने सुना कि छूटते ही कहा कि खड़गे जी इतना बुरा कैसे हुआ इसकी उम्मीद नहीं थी हमने तो बहुत मेहनत की थी तो एक पल के लिए उठके और फिर मैंने सुना कि उन्होंने यह जवाब दिया कि राहुल गांधी से संपर्क करना बहुत कठिन है. 15 मिनट भी बात करना बहुत मुश्किल है. अभी यात्रा जो खत्म हुई थी तो मैंने राहुल गांधी से कहा था कि हम टिकटें बैठ के तेजस्वी के साथ फाइनल कर लें तो लोगों को तैयारी का समय मिल जाएगा. तो उन्होंने कहा देखते हैं. 

    इसके बाद वो अचानक टिकट फाइनल किए बिना ही यही किस्सा उसमें तेजस्वी ने रोना रोया था जो है तो साउथ अफ्रीका चले गए. खड़गे ने फोन किया तो सुना कि पांच दिन बाद आएंगे. फिर 17 दिन तक वो नहीं आए. 17 दिन बाद जब आए तो दो दिन तक किसी को पता नहीं चला. खड़गे को मैसेज नहीं हुआ. यह इंतजार कर रहे थे. तो इनको बुरा लगा तो उन्होंने फिर सोनिया गांधी से शिकायत करी और इस बार मैंने सुना कि सोनिया गांधी ने इफेक्टिवली नाराजगी राहुल को जाहिर की है. जो है कुल मिलाके इशू वही है देखो राहुल के बिना कांग्रेस नहीं है और राहुल के साथ कांग्रेस है वह आपके सामने स्थिति है कर्नाटक है कल को दूसरा राज्य होगा तो जब तक कांग्रेस प्रेसिडेंट इज़ नॉट अवेलेबल कांग्रेस प्रेसिडेंट मींस राहुल गांधी प्रैक्टिकली जो है जब तक उनकी एक्सेस अवेयबिलिटी आम आदमी को या आम वर्कर को आम लीडर को नहीं है या जब तक एआईसीसी में बोर्ड नहीं लग जाता कि तीन से पांच राहुल गांधी रोज मिलेंगे यहां तब तक पार्टी में स्थितियां ऐसी चलती रहेंगी और अब लेट सी फाइनली वोट कम्स आउट इन कर्नाटका का.

    सवालः सर मैंने यह भी सुना है कि लालू परिवार सजा की संभावना से इन दिनों बहुत परेशान है. क्या कहना चाहेंगे आप? 

    जवाबः यू आर अब्सोलुटली राइट. वो भी एक इंसान है. अब तीन मामलों में सजा हो चुकी है उनको जो है चारा घोटाले में. अब उनको खतरा है कि भाई बाकी जो दो रेल के जो केस हैं टेंडर के इसमें सजा हो सकती है. इसमें तेजस्वी है, मीसा है, तेज प्रताप है. सभी अभियुक्त हैं उसमें. तो एज फादर तो व्यक्ति सोचता है ना कि मेरे उम्र में जीतेजीते बच्चों को जेल जाते हुए देखूंगा. एक दुख आता है व्यक्ति के मन में तो पीड़ित है. इधर तेजस्वी पीड़ित है कि देखिए पिताजी के कारण से आज मेरी स्थिति हुई. उनके कारण से चुनाव हारे हैं. हम जंगल राज का नारा था और अब ये स्थिति है तो घर में मनमुटाव है. फैमिली में पहले से झगड़े चल रहे हैं. और अब जो है कोर्ट ने कह दिया है कि डे टू डे सुनवाई करेंगे इस केस में. अब बड़ा विरोध किया राबड़ी देवी ने. 


    शिकायत भी करी जज के ट्रांसफर के लिए भी केस हमारा ट्रांसफर कर दो यहां से मुश्किल है होना जो है अब डे टू डे होगी तो छ महीने में आठ महीने में केस खत्म हो जाएगा सजा हो जाएगी और अगर ऐसा हुआ और ये लोग जेल चले गए तो सारा परिवार ही मोर और लेस जेल चला गया ना देखा जाए तो तो फिर उस खानदान का विरासत का और लीगसी का क्या होगा तो गंभीर प्रश्न है और एक वो कानून आया था दो महीने वाला वो तो अब रेलेवेंट नहीं रहा कि मुख्यमंत्री नहीं बने वो दैट वाज़ है कुल मिला के परिवार परिवार पूरी चिंता में है. 

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