The JC Show : From Colonial Era To Trade Partnership

    THE JC SHOW: नमस्कार आप सभी का स्वागत है भारत 24 पर. मैं हूं आपके साथ पूर्णिमा मिश्रा और हम आपके लिए लेकर आए हैं द जेसी शो और हमारे साथ मौजूद हैं भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ और फर्स्ट इंडिया के सीएमडी और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र. सर आपका बहुत-बहुत स्वागत करती हूं द जेसी शो में. लोकतंत्र के मंदिर में इस वक्त ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा चल रही है

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    THE JC SHOW: नमस्कार आप सभी का स्वागत है भारत 24 पर. मैं हूं आपके साथ पूर्णिमा मिश्रा और हम आपके लिए लेकर आए हैं द जेसी शो और हमारे साथ मौजूद हैं भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ और फर्स्ट इंडिया के सीएमडी और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र. सर आपका बहुत-बहुत स्वागत करती हूं द जेसी शो में. लोकतंत्र के मंदिर में इस वक्त ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा चल रही है.  विपक्ष के हर एक सवाल का जवाब इस वक्त सरकार दे रही है और साथ ही इसी संसद से आतंकी देश पाकिस्तान को भी दो टूक संदेश गया है. यानी कि आतंक का सफाया. एक तरफ जहां पर विपक्ष इसी संसद में सरकार की विदेश नीति को फेल बता रहा है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री विदेशी धरती पर भारत की विदेश नीति का डंका बजा रहे हैं. यूके में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकातें फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और दूसरी तरफ हिंद महासागर में मालदीव्स की नई सरकार को दो टूक. क्या मोदी भारत की विदेश नीति में अब पर्सनल कनेक्ट नहीं बल्कि पावर प्रोजेक्शन लेकर आ रहे हैं? आज इसी को समझने की कोशिश करेंगे द जेसी शो में. 


    सवाल: सर पहले सवाल के साथ मैं शुरुआत करती हूं और आज हमने जेसी शो (JC Show)  की हेडलाइन रखी है कॉलोनियल एरा टू ट्रेड पार्टनरशिप. इसके मायने क्या है? 

    जवाब: भारत 24 के सीईओ और एडिटर एंड चीफ डॉ. जगदीश चंद्र ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इसके मायने हैं गुलामी से आजादी की ओर. नरेंद्र मोदी का एक और चमत्कार. वो भारत जहां ईस्ट इंडिया कंपनी थी. एक उपनिवेश था भारत. वो ईस्ट इंडिया कंपनी से बाद में पॉलिटिकल पोजीशन एक्वायर कर ली थी. 

    उन्होंने कहा कि  सैकड़ों वर्षों तक देश गुलाम रहा. आज वही गुलाम देश कंधे से कंधा मिलाकर उस देश के साथ खड़ा है जिसने हमें गुलाम बनाया था. तो चमत्कार नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुआ है. तो इसीलिए मैंने कहा उपनिवेशवाद से आजादी की ओर, बराबरी की ओर, कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की ओर जो है तो ये एक परिवर्तन हुआ जो सदियों में कभी-कभी देखने को मिलता है. 

    यह वो मोमेंट है जो 140 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व का विषय है. खुद प्रधानमंत्री उनके कैबिनेट के लिए गर्व का विषय है. भाजपा के लिए गर्व का विषय है कि उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल में एक ऐसा क्षण आया जिनके कार्यकाल में हम गुलाम थे. आज हम उनके समक्ष खड़े हैं. सीना तान कर खड़े हैं और उनसे बेटर स्थिति में खड़े हैं. ग्लोबल लीडर बनके खड़े हैं. रादर टू सम एक्सटेंट उनको डिक्टेट कर रहे हैं. इसका अर्थ यही है कि फ्रॉम कॉलोनियल एरा टू स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप. दिस इज ऑल.

    सवालः सर. सर, हाउ डू यू डिफाइन द बेसिक कांसेप्ट ऑफ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट? एफटीए? 

    जवाबः इसका बेसिक कांसेप्ट होता है टैक्स फ्री रिजीम. जहां ना आना ना जाना, ना कोई टैक्स मांगे, ना कोई टैक्स दे. जब दो या अधिक देश आपस में एक संधि करते हैं कि हमें व्यापार को सुगम बनाना है, व्यापार को सरल बनाना है, इन्वेस्टमेंट को अट्रैक्ट करना है, आर्थिक आजादी लानी है, कम से कम टैक्स करना है. और वर्चुअली देखा है तो टैक्स फ्री रिजीम इसे कहते हैं टैक्स फ्री ट्रेड. तो बेसिक कांसेप्ट इसका यह होता है और भारत ने जो किया है जो प्रधानमंत्री ने किया है उसके लिए कहा जा सकता है इट्स अ बोल्डेस्ट लिबलाइराइज्ड ट्रेड एग्रीमेंट विद एनी वेस्टर्न पावर विद एनी वेस्टर्न इकॉनमी सो दिस इज ऑल ऑन दिस इशू.

    सवालः सर एडिंग टू दिस क्वेश्चन ओनली What Are The Basic Highlight ऑफ इंडिया? 
    जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि ब्रिटिश ट्रेड एग्रीमेंट हाईलाइट्स तो बहुत है लेकिन बेसिकली अगर आपने कहा सवाल बेसिक तो बेसिक सबसे पहला इसमें ये है जो पीयूष गोयल ने कहा है, लैंडमार्क एग्रीमेंट एंड ट्रेड विल बी डबल By 2030 मतलब 5 साल के अंदर आज जो 56 अरब का हमारा जो व्यापार है आपसी जो है वो बढ़कर के 120 अरब डॉलर हो जाएगा. 
    सबसे पहला इसका यह है इंग्लैंड का इन्वेस्टमेंट जो है इंडिया में वो 36 अरब डॉलर है. हमारा है 20 अरब डॉलर तो बैलेंस कन्वीनियंस हमारे फेवर में है कि और बढ़ेगा और 2040 में अगर हम इसको देखेंगे जाके तो 39% व्यापार दोनों देशों के बीच में और बढ़ चुका होगा. दैट वे जो है तो एक तो ये होगा कि व्यापार सबसे जो है डबल होगा दोनों देशों के बीच में. दूसरा इसकी विशेषता यह है कि 99% एक्सपोर्ट जो है वो फ्री हो गए हैं. 

    टैक्स फ्री हो गए हैं. कस्टम 15 से 3% रह गया है. एक ऐसा दृश्य इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. तो 99% जो है आपका एक्सपोर्ट जो है ब्रिटेन को वो फ्री हो गया है. तीसरा इसमें यह है जो प्रधानमंत्री ने कहा है कि इट्स ए नेचुरल जो पार्टनर्स हैं तो नेचुरल पार्टनर्स जो है इतिहास को एक नए स्वरूप से लिख रहे हैं देखा जाए तो और उन्होंने कहा है कि इसका लाभ यहां फार्मर्स को मिलेगा, एमएससी को मिलेगा औरों को मिलेगा. तो ये जो बेसिक थ्री उसके Character हैं. बल्कि कहिए कि दो ही कररेक्टर हैं. एक तो व्यापार का दुगना होना और 99% जो है ना एक्सपोर्ट्स का फ्री हो जाना. ये इसके बेसिक एलिमेंट्स हैं. 

    सवालः जी सर इस ट्रेड एग्रीमेंट से भारत में क्या-क्या सस्ता होगा और क्या-क्या महंगा? 

    जवाब: बेसिकली तो सस्ते की ओर है. सब कुछ देखा जाए तो गिनने के लिए आप ये कह सकते हैं कि जैसे ज्वेलरी है, टेक्सटाइल्स है. ठीक? आपके हैंडीक्राफ्ट्स हैं. ये सब तो सस्ते होंगे. और उसके साथ में जो है फूड है, फुटवेयर है एंड देन ऑटोमोबाइल्स है, जेम्स एंड ज्वेलरी है, मोबाइल है. और सबसे बड़ी बात है महंगी कारें जो ब्रिटेन से आती हैं यहां पे जो है ना वो सस्ती हो जाएंगी. आप चाहते हैं महंगी कार खरीदना तो स्वर्णिम काल है भारत में. ब्रिटेन से आने वाली स्वर्णिम काल को खरीदने का जो है. तो ये सब सस्ता होगा बेसिकली जो है. तो एक बिल्कुल एक स्वर्णिम ऐसा युग आ रहा है. 

    भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में जहां भारत इज अ गेनर जिसे कहना चाहिए. और सब कुछ आपको ब्रिटेन से जो है वो सस्ता भेजना है आपको यहां से सस्ता पड़ने वाला है आपको जो है तो बेसिकली ये जो महंगे की बात आ रही है तो थोड़ा बहुत कुछ आइटम्स ऐसे हैं जैसे कि कुछ एग्रीकल्चर इवेंट्स हैं कुछ एक किस्में ऐसी हैं शराब की जिसे कहना चाहिए जिन पे कुछ टैक्स बढ़ सकता है महंगा हो सकता है बाकी 98% चीजें सस्ती हैं और इसका मैसेज ये है कि एक सस्ते इंग्लैंड के व्यापार की ओर जो है ना हम इस एग्रीमेंट के बाद बढ़ रहे हैं. 


    सवालः सर, पिछले तीन-चार साल से पेंडिंग चल रहे इस ट्रेड एग्रीमेंट को आखिर आखिरी मुकाम तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे पहुंचाया और क्या इसे उनकी डिप्लोमेटिक विक्ट्री कहा जा सकता है? 

    जवाबः ऑफ़ कोर्स हिस्टोरिक डिप्लोमेटिक विक्ट्री और कारण इसका है नरेंद्र मोदी की पॉलिटिकल विल पावर ये सब घटनाएं ये काम विल पावर से होते हैं. वरना क्या ब्यूरोक्रेसी के अगर आप डिपेंड करेंगे तो मीटिंग होती रहेंगी विदेश मंत्रालय की, आर्थिक मंत्रालय की, वित्त मंत्रालय की, परिणाम नहीं निकलेगा. लेकिन नरेंद्र मोदी ने ठान ली थी पिछले तीन वर्षों से कि इसको करना है काम को. तो क्लियर मैंडेट उन्होंने पीयूष गोयल को दिया कि इसको करना है. 

    कई दिन तक वो लंदन में पड़े रहे. कभी कहां विदेश में गए, कहां आए, मीटिंग्स हुई यहां अफसरों को काम सौंपा अल्टीमेटली. तो नरेंद्र मोदी की ना केवल विक्ट्री है बल्कि उनकी जो पॉलिटिकल विल है किसी काम को करने कमिटमेंट की जिसे कहते हैं डिलीवरी अकाउंट्स एट द एंड ऑफ़ द डे. तो नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से सिद्ध किया है कि विदेश मंत्रालय हो या आर्थिक मंत्रालय हो. आई विल ऑलवेज फॉलो द प्रिंसिपल ऑफ़ डिलीवरी अकाउंट्स एट द एंड ऑफ़ द डे. उसी का परिणाम है ये. 

    सवालः सर जैसे राजस्थान की ज्वेलरी हुआ, गमेंट हुआ, टेक्सटाइल हुआ, हैंडीक्राफ्ट हुआ. वो जो उद्योग हैं, जो बिजनेस है उनपर क्या इंपैक्ट पड़ेगा? 

    जवाबः बहुत अच्छा इंपैक्ट है. मैंने कहा ना राजस्थान तो गढ़ है इसका टेक्सटाइल्स का, ज्वेलरी का आप देखिए हैंडीक्राफ्ट्स का. आपके जालौर है, भीलवाड़ा है, उदयपुर है, जोधपुर है, सेंटर्स हैं बिज़नेस के. ये सब बेनिफिशरीज हैं इसके अंदर. तो राजस्थान इज़ आल्सो वन ऑफ़ द मेजर बेनिफिशरीज़ अलोंग विद ऑल अदर स्टेट्स ऑफ़ द कंट्री इन दिस एग्रीमेंट. जी. सर इंडिया यूके ट्रेड एग्रीमेंट के बारे में कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इट्स मोर देन अ ट्रेड पैक. 

    आप क्या कहना चाहेंगे इसके? ऑफ कोर्स इट्स अब्सोलुटली करेक्ट. इनफैक्ट इट अ लैंडमार्क जजमेंट एंड ए कंप्रहेंसिव ट्रेड डील जिसे कहते हैं बटरल ट्रेड डील. दूसरा क्या है इससे? इंडिया हैज़ एमर्ज एस अ सीरियस प्लेयर इन बिजनेस डिप्लोमेसी जो पहले नहीं था. 

    तीसरा प्रधानमंत्री ने कहा कि टू नेचुरल एलई आर राइटिंग इन न्यू हिस्ट्री एंड न्यू स्क्रिप्ट और प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि साझा दोस्ती का यह नया ब्लूप्रिंट है. वहां के जो प्राइम मिनिस्टर हैं ब्रिटेन के उन्होंने यही कहा है कि इट सम सॉर्ट ऑफ एविडेंस ऑफ द कमिटमेंट ऑफ डिलीवरीज. रादर यू कहिए उन्होंने कहा है कि इट इज ए डिलीवरी ऑफ कमिटमेंट्स जो है बाय बोथ द साइट्स. इट सम सॉर्ट ऑफ़ हिस्टोरिक पेपर. और ऐसी घटनाएं सदी में एक बार होती हैं और यह घटना नरेंद्र मोदी कार्यकाल में हुई है. इस बात के लिए राष्ट्र उनके प्रति कृतज्ञ है. व्यापार जगत उनके प्रति कृतज्ञ है. सर भारत और ब्रिटेन के बीच हुए इस ऐतिहासिक समझौते के बारे में ट्रंप क्या सोच रहे होंगे? ट्रंप मस्ट बी सैड पर्सन दैट वे और एक बड़ा अच्छा लिखा है किसी ने कि यूके इंडिया जो है पुल डाउन ट्रंप्स टेरिफ कार्ड टेरिफ सिस्टम इस एक लाइन में सारी बात क्लियर है ट्रंप की जो दादागिरी है.
    टैरिफ ठोकने करने की देखने की तो देखा ये क्या हुआ भाई मैं तो चर्चा कर रहा था अभी नरेंद्र मोदी से नरेंद्र मोदी फाइनल करके आ गए तो एक रास्ता हो गया ना एक एक टॉर्च जिसे कहते हैं रास्ता दिखा दिया. अब जो जिन शर्तों में नरेंद्र मोदी ने किया डोमिनेटिंग कंडीशन से किया है. अब ट्रंप भी सोच रहे होंगे कि ब्रिटेन ने जब यह कर दिया तो हम क्या करें? तो एक लिमिटेड फैक्टर हो गया ना ट्रंप के सामने. तो एट द एंड ऑफ़ द डे ट्रंप मस्ट बी अ सैड पर्सन और वो सोच रहे होंगे कीपिंग फिंगर्स क्रॉस कि नरेंद्र मोदी से कितना बारगेन करूं, कितना बारगेनिन नहीं करूं क्योंकि मोदी इज अ टफ बारगेनर. यह खुद ट्रंप कह चुके हैं. तो अब यह एक चुनौती नरेंद्र मोदी के लिए भी है कि जिन शर्तों पे उन्होंने जिस डोमिनेंस के साथ उन्होंने ये ब्रिटेन का समझौता फाइनल किया है इन्हीं शर्तों के साथ वो ट्रंप के साथ फाइनल करते हैं. बट एट द मोमेंट एटलीस्ट यू कैन ऑलवेज से ट्रंप मस्ट बी डिसपॉइंटंटेड पर्सन एंड मस्ट बी वरीड हाउ टू फेस नरेंद्र मोदी इन द कमिंग डेज ऑन देयर फाइनल डील. 


    सवालः सर आखिर कहां तक पहुंची है भारत, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच ट्रेड डील? 

    जवाबः इस सवाल के जवाब में डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि इस प्रश्न के दो टुकड़े हैं. जहां तक यूरोपियन यूनियन का सवाल है, भारत और उनके साथ जो डील है, अंतिम चरण में है. अमेरिका के साथ होने वाली डील का इंतजार है. आसपास होंगी दोनों डील. जहां तक अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच का प्रश्न है, उनकी डील हो गई है. ‘ट्रंप ने वो कमजोर पार्टी उसको दबा लिया है. उनको 15% टेरिफ पे एग्री करा लिया है एक प्रकार से. और साथ यह भी दादागिरी की उसके साथ में कि 750 मिलियन डॉलर का जो है वह ग्रीन पावर मुझसे आप खरीदेंगे’. 

    ग्रीन एनर्जी खरीदेंगे. जो इयू कंट्रीज हैं वो खरीदेंग और प्लस 600 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट है वो अमेरिका में आकर के करेंगे तो देयर आर नो ऑप्शन अमेरिका के प्रभाव में दबाव में है जहां तक हमारा सवाल है जो मैंने आपसे कहा ईवी के साथ जो डील है वो कभी भी किसी भी समय हो सकती है और हमारी शर्तों पे होगी वो डील ये तय है.

    मतलब सर भारत अमेरिका को झुकाएगा और आधिकारिक तौर पर कब तक माना जाए इस ट्रेड एग्रीमेंट की घोषणा हो जाए जो डील यूरोपियन कंट्रीज के साथ होने वाली है और जो डील अमेरिका के साथ होने वाली हैं. उनकी जो टाइमलाइन है वह दोनों आसपास होंगी. अगस्त के दूसरे सप्ताह में भी हो सकती हैं. और रही बात झुकने झुकाने की तो देखो अमेरिका को दादागिरी की आदत है. अब उसका सामना है नरेंद्र मोदी से जो खुद में टफ जिसे कहना चाहिए नेगोशिएटर हैं. तो अभी दो डील की है अमेरिका ने जिससे पता लगता है. एक डील उन्होंने की है ईयू कंट्रीज के साथ में. ही हैज़ ए अपर हैंड. 15% टेरिफ लगा दिया उन पे. प्लस उनका कंपल्शन करके उनको मजबूर करके उनका इन्वेस्टमेंट और लाए और परचेज भी उनसे कर रहे हैं. पैसा उनका वहां लगवा रहे हैं. तो अब जो है अब अमेरिका यहां तक सवाल है झुकने झुकाने का तो ईयू के अंदर अमेरिका की जीत हुई है. ठीक है? इसी तरह से इंडोनेशिया में अमेरिका की जीत हुई है. ट्रंप ने कहा है कि भारत की डील भी इंडोनेशिया के पैटर्न पे होगी. 

    इसका मतलब यह है कि वहां पे 15% लगाया उन्होंने तो हम हम भी हमारे यहां भी मान लीजिए कि जो टेरिफ अभी 10% है उससे ज्यादा भी डील कहीं ना कहीं फाइनल होगी. फिर दूसरी डील उन्होंने की है जापान के साथ में. तो अमेरिका ने अपनी शर्तों पर डील की है. ये दोनों डील भारत के लिए चिंता का विषय है. तीनों डील अमेरिका की डील, यूरोपियन कंट्रीज की डील और जापान की डील. 

    अब भारत क्या करता है? वी आर कीपिंग फिंगर्स क्रॉस नरेंद्र मोदी आल्सो मस्ट बी ए कंसर्न पर्सन कि देखो हमारे साथ जब बात हुई तो कहां तक बात कहां तक बारगेन हम कर पाते हैं. जापान में क्या किया उन्होंने? जापान इज़ अ फोर्सफुल कंट्री. वो नहीं मान रहे थे. दो मुद्दों पे ट्रंप ने उनको दादागिरी से झुकाया उनको. पहला सवाल था वहां चावल जो होता है जापान में वहां की जनता खास किस्म का चावल खाती है. उनको पसंद है. ट्रंप चाहते थे कि अमेरिकन चावल वहां पर जाए. एक्सपोर्ट हो. वहां इंपोर्ट हो जो है जापान ने इंकार किया. उन्होंने कहा नहीं करना पड़ेगा. जापान को सरेंडर करना पड़ा. जापान को उनकी बात को मानना पड़ा. दूसरा इशू था कार्स के बारे में जो कार हैं. जापान में बहुत अच्छी-अच्छी किस्म की गाड़ियां बनती हैं. उनका नो अमेरिकन व्हीकल इन जापान. लेकिन अल्टीमेटली मानना पड़ा. तो जापान जैसे शक्तिशाली राष्ट्र को ट्रंप ने झुकाया. 

    इंडोनेशिया तो छोटा राष्ट्र है झुकाया इयू तो वैसे एलाइड है अब भारत है उनके सामने तो भारत झुकेगा क्या झुकाएगा ये आने वाला वक्त बताएगा लेकिन दो बातें बिल्कुल क्लियर है यहां पे जो है कि नरेंद्र मोदी एक सीमा तक ही बारगेन करेंगे एक सीमा तक ही कंप्रोमाइज करेंगे सर्वोपरि होगा नेशनल इंटरेस्ट और आपने कहा कब होगी डील तो समय सीमा तो ये है कि संभावना है अगस्त के सेकंड वीक में होने की लेकिन भारत सरकार को जल्दी नहीं है वो किसी टाइमलाइन से नहीं बंधना चाहते उन्होंने कहा है कि नेशनल इंटरेस्ट हमारा गाइडिंग फैक्टर तो आने वाले दिन काफी रोचक होंगे कि नरेंद्र मोदी कितना बारगेन करते हैं ट्रंप के साथ में. 


    सवालः सर मैंने यह भी सुना है कि भारत के साथ-साथ अमेरिका पाकिस्तान के साथ भी ट्रेड डील की तैयारी कर रहा है. क्या वाकई में पाकिस्तान अमेरिका की गुड बुक्स में आ चुका है? 

    जवाबः ऑफकोर्स दो टुकड़े हैं इसके. एक तो क्या पाकिस्तान और उनके साथ होने वाली हो सकती है भारत के साथ साथ करेंगे क्योंकि ट्रंप का पॉलिटिकली कहा जाए तो कोई धर्म ईमान नहीं है. कोई कमिटमेंट नहीं है. कोई लॉयल्टी नहीं है जिसे कहते हैं बिजनेस इज अ प्रायोरिटी. 

    अब उनको सामने दिखता है वहां पे जो है कि उन्होंने उसकी सिफारिश कर दी कि उनको विश्व शांति पुरस्कार दिया जाए. क्रिसो करेंसी का मामला है, रेयर मिनरल्स का मामला है. तो यह मान के चलिए कि एक ट्रेड डील उनके साथ होने वाली है, और सेकंड ये है कि जो पाकिस्तान के साथ रिश्ते हैं उनके सुधर गए हैं. अब पाकिस्तान इज नो मोर एलोन कंट्री आइसोलेटेड कंट्री एस पर अमेरिका इस कंसर्न जो पहले था. 

    उन्होंने उस संकट से उसको जनरल को निकाल लिया. उसको लंच पे बुला लिया है. आपने देखा वहां पे जो है तो निश्चित तौर पे कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भारत के साथ-साथ जो है अमेरिका और पाकिस्तान की डील भी होगी. दो पाकिस्तान अ बैगर हैज़ नो चॉइस हैज़ नो बारगेन बट स्टिल पाकिस्तान के को रिकॉग्नाइज करना उसको ठंडे बस्ते से निकाल के बाहर लाना, घर से निकाल के अपने बराबर खड़ा करना एक बड़ी बात है. तो मैं निश्चित तौर पे कह सकता हूं कि वो डील भी होने वाली है. 


    सवालः सर अमेरिका नाउ सेस पाकिस्तान इज अ रिलायबल एंटी टेरर पार्टनर. सो हाउ डू यू सी ट्रंप्स यू टर्न ऑन टेररिज्म? 

    जवाबः अबब्सोलुटली ही इस बेसिकली यू टर्न मैन. अगर हम कहें कि इस सदी का यूटर्न मैन कौन है तो पुरस्कार ट्रंप को जाएगा. उसकी टोटल घोषणाएं टोटल उससे यू टर्न लेना ही हैज़ मेड अ न्यू वर्ल्ड रिकॉर्ड एस फ एस द यू टर्न इस कंसर्न, और कितना बड़ा मजाक है जिस बिन लादेन ने अमेरिका को बर्बाद किया. हजारों लोग मरे उस घटना के अंदर 91 देखिए उसमें जो है और वो मिला कहां? बिन लादेन पाकिस्तान के अंदर. संसार में जितना भी टेरर है उसकी जड़ है जो नरेंद्र मोदी कहते हैं वो पाकिस्तान में बिल्कुल करेक्ट है. 

    इसके बावजूद केवल व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए अपने बिजनेस इंटरेस्ट के लिए या कंट्री के बिजनेस इंटरेस्ट के लिए आप यूं मान लीजिए कंप्रोमाइज करना यू टर्न लेना और ये कहना कि पाकिस्तान जो है ना एक नेचुरल हमारा एलआई है एंटी टेरर में. इससे बड़ा मजाक कुछ हो नहीं सकता. दैट वे जो है भारत के लोग हंसते हैं. संसार के लोग हंसते हो कि क्या है ये. 

    इस अमेरिका से कहां उम्मीद की जाएगी? टेरर हमारे साथ खड़ा होगा. तो बिल्कुल यू टर्न लिया उसने. एंड दिस इस मोस्ट अनफॉर्चूनेट फॉर अमेरिका एंड एस एंड एस वेल एस फॉर इंडिया आल्सो कि अमेरिका जैसा देश जो कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारे साथ था. जो आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार रहा है संसार में. वो आज छोटे-मोटे फैक्टर्स के लिए वेस्टेड इंटरेस्ट के लिए पाकिस्तान के लिए कह रहा है कि पाकिस्तान जो है इट्स अ नेचुरल अलाइनोमिनल अलाइ इन आवर एंटी टेरर कैंपेन. 

    सवालः सर ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को खुली चेतावनी दी कि चीन में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और भारत से हायरिंग बंद करें. सर क्या हुआ इस धमकी का आकर? 

    जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि इट्स अ फ्लॉप शो एज अदर शोज़. ट्रंप की धमकियों का कोई असर नहीं है. और मैं हैरान हूं कि ट्रंप का कोई ओएसडी उनको बताता क्यों नहीं है कि आपने इतनी धमकियां दी थी, इतनी वार्निंग दी थी. इतना बहम मरोड़ी थी लोगों की. कुछ हुआ नहीं परिणाम. इसका मुझे कोई परिणाम नहीं दिखाई देता. Google को चेतावनी दी थी उन्होंने. उन्होंने इंकार कर दिया. नहीं हम तो इंडिया में ही हैं. 

    एप्पल को चेतावनी दी थी. उन्होंने इंकार कर दिया. उनकी चेतावनियों का अभी कोई असर नहीं है. इट विल डाइट्स नेचुरल डेथ जो उन्होंने चेतावनी दी है. बाकी आगे लेट्स सी व्हाट हैप्स इन द कमिंग डेज. ट्रंप ने एक बार फिर से दोहराया कि अगर वो बीच में नहीं आता तो आज भी भारत का पाकिस्तान के साथ युद्ध चल रहा होता. 

    ये लड़ाई चल रही होती. क्या कहेंगे आप इसके बारे में? कुछ लोगों का कहना है कि क्षमा कीजिए. ट्रंप हैज़ गॉन मेंटल जो है सब हंसते हैं इस बात पे सारा संसार हंसता है 72 टाइम्स उन्होंने इस इस घोषणा को दोहराया है और 72 टाइम्स थक गए नरेंद्र मोदी विदेश मंत्री राजनाथ सिंह जवाब देते देते कि भैया नहीं है आपका कोई नहीं था ट्रेड की कोई बात नहीं हुई थी आपका कोई एहसान नहीं हमें हमारा काम करने दो हमें बखश दो जिसे कहते हैं मानते नहीं फिर बोल देते हैं ही इज़ वेस्टिंग टाइम ऑफ़ राजनाथ सिंह एंड जयशंकर देखा जाए तो अपना तो वेस्ट कर ही रहे हैं. और उन्होंने फिर बयान दे दिया. 

    फिर टाइम खराब हुआ. राना सिंह को कहना पड़ा कि नहीं यह गलत है इनके आरोप. जयशंकर को कहना पड़ा कि ये आरोप में गलत है. इट जस्ट ए वेस्ट ऑफ़ टाइम. एस अ मैटर फैक्ट वही है जो नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोई किसी का हस्तक्षेप नहीं था. किसी का दबाव नहीं था. हमने पाकिस्तान के घुटने टिका करके उनके अनुरोध पे इस समझौते को किया है. एंड दिस इस ऑल. लेकिन कोई आश्चर्य नहीं है कि अगले 10 दिन में ट्रंप फिर दोहराएंगे इस बात को दो तीन. तो मेंटली तैयार इस बात को बट जस्ट इग्नोर इट. 

    सवालः सर एवरीवन थिंक्स दैट ही हैज़ पिक दिस न्यू हॉबी चेतावनी देना, धमकी देना, बयानबाजी करना. लेकिन अभी उन्होंने हाल ही में एक और धमकी दी है कि अगर 101 दिन में रूस ने यूक्रेन के साथ समझौता नहीं किया तो रूस के ऊपर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. क्या लगता है सच में कर पाएंगे ट्रंप? 

    जवाबः कुछ नहीं कर पाएंगे वो. रशिया को ऐसी चेतावनी चार बार पहले दे चुके हैं. पिछले तीन महीने के अंदर जो है कुछ नहीं. अब उन्होंने क्या है? कह दिया बस एक मूड है. एक स्परो मोमेंट आता है उनको धमकी देने का. दे दिया उन्होंने. कुछ नहीं कर पाएंगे रशिया का. आप देख लीजिए और रशिया को धमकाने के लिए एक और उन्होंने कह दिया है कि मैं आर्थिक प्रतिबंध लगाऊंगा. मैं टेरिफ लगाऊंगा. 

    टेरिफ जैसे अलादीन का चिराग हो. आप कुछ भी कर सकते हैं टेरिफ से. ऐसा कुछ नहीं होने वाला टेरिफ से. टेरिफ का कार्ड पिट चुका है संसार में. अमेरिका का जो है आपने कितने केसेस में देखा. फिर और दूसरा क्या किया उन्होंने? ब्रिटेन में अपने परमाणु जो थे शिप वो वहां भिजवा दिए एक मैसेज देने के लिए कि पश्चिमी राष्ट्रों की सुरक्षा यूक्रेन की सुरक्षा अगेंस्ट रशिया मेरी जिम्मेदारी है. 

    सबसे बड़ी बात है ना जो परमाणु कार्ड है उसके खिलौने की तरह खेल रहे हैं वह खुद तो मरेंगे सबको मरवाएंगे यहां परमाणु बम से किसी दिन जो है पता नहीं चले बम किसने चलाया और फिर कह देंगे सॉरी सॉरी से क्या होगा कुछ नहीं होगा दैट विल है तो कुछ नहीं होने वाला उनकी धमकियों का उसका कोई परिणाम नहीं निकलने वाला ऐसा मेरा मानना है ये रशिया भी हंसता होगा और बहुत सारे मामलों में तो पुतिन एंड ट्रंप आर हैड बीन नेचुरल अलाइज आम आरोप लगता रहा है ट्रंप पे कि पुतिन की सहायता से चुनाव जीते हैं पर ट्रंप का तो कोई सिस्टम है नहीं ना इसलिए बहुत से लोग कहते हैं इट्स गॉन मेंटल डोंट टेक हिम सीरियसली तो कुछ होने वाला नहीं है. 

    संसार में हर व्यक्ति सुबह सबसे पहले उठ के चाय की चुस्की के साथ अखबार में देखता होगा कि एक्स पर ट्रंप ने अब क्या नया पोस्ट किया है तो उनके इस टेरिफ ट्वीट मेनिया को आप कैसे देखते हैं ब्रिलियंट चाय एक रस्म है भारत में पीते हैं विदेशों में होगा शायद कोई ग्रीन टी पीता होगा कुछ कॉफी पीता होगा लेता होगा कुछ हां कुछ भी जो है अब एक नया रस्म आ गई कि चलो चाय तो पीते हैं लेकिन ट्रंप ने आज क्या कहा है 280 शब्दों में उसने क्या कहा है? 

    बिकम फैशन ऑफ द डे जिसे कहते हैं और ट्रंप मानते नहीं है. वो 280 वर्ड का जब तक एक वो ट्वीट नहीं डाल देंगे तब तक उनको मजा नहीं आएगा. और होता क्या है? ट्रंप बोलते हैं संसार के सारे रिजर्व बैंक उन देशों के जो सेंट्रल बैंक हैं. उनके वित्त मंत्री उनके प्रधानमंत्री एक्सेप्ट पीपल वन और टू एक्सेप्ट नरेंद्र मोदी एंड वन और टू अदर अदर कंट्री चाइना छोड़ दीजिए इनको आप वो वो सारे घबराए रहते हैं. ट्रंप ने क्या कहा? उनकी दिनचर्या ट्रंप की उंगली के एक इशारे से चलती है और बंद होती है. 

    मार्केट उनके एक उंगली के इशारे से खुलता है और बंद होता है. तो सब लोग बहुत परेशान है और लोग ये कह रहे हैं इट्स अ ग्लोबल थ्रेट इट्स अ ग्लोबल न्यूसेंस एव्री मॉर्निंग कि वहां से आता है फिर उसमें लग जाते हैं शाम होते होते फिर पता लगता है तीन दिन बाद के ट्रंप वाज़ नॉट सीरियस. उन्होंने डेट बढ़ा दी आगे या उसको वापस ले लिया या उसको मॉडिफाई कर दिया है तो बात सही है आपकी ट्रंप का जो ये ट्वीट का मिनिया है इसको वाकई मीनिया कहा जा सकता है लेट्स सी इससे मुक्ति कब मिलती है फिलहाल इट्स अ ग्लोबल न्यूसेंस इट्स अ ग्लोबल कंपलशन फॉर ऑलमोस्ट एवरीवन कि ट्रंप क्या कहता है देखो पढ़ो सोचो अब संसार में लोग दुआ करते हैं आजकल अर्थशास्त्री दुआ करते हैं कि अरे ट्रंप से मुक्ति कब मिलेगी हमें इस ट्वीट से कब मुक्ति मिलेगी तो लेट्स सी सर क्या ये सच है कि ट्रंप ट्रंप की कार्यप्रणाली और उनके अनप्रिडिक्टेबल बिहेवियर की वजह से सारी दुनिया यहां तक कि जो राष्ट्रमित्र हैं उनके जो दोस्त हैं उनके कहीं ना कहीं उनमें भी एक हम देख रहे हैं बेचैनी है. उनमें भी लगता है कि कहीं ना कहीं एक इस तरीके की अशांति हो गई है. 

    आप इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं? बिल्कुल ठीक है. ऑल पीपल आर नॉट इमैच्योर लाइक ट्रंप. आप यूं कहिए अनप्रेडबल लाइक ट्रंप. सुलझे हुए देश हैं, सुलझे हुए राष्ट्रपति हैं, सुलझे हुए प्रधानमंत्री हैं और खासकर उनके एलआई हैं जो या यूरोपियन यूनियन के 27 देश हैं और लोग हैं इवन चाइना, रशिया, इंडिया मन में सोचते होंगे कि यार इसको कैसे हैंडल करेंगे? इसी पॉलिसीज में कोई कंसिस्टेंसी नहीं है अमेरिका की. 

    अमेरिका की जो फॉरेन पॉलिसी है वो बिल्कुल तहसनहस हो गई है. वो रोल बदल जाती है. हर देश की एक पॉलिसी होती है. नरेंद्र मोदी की एक पॉलिसी है जो चल रही है आज 15 साल से 12 साल से चल रही है. वो कहते हैं मैं किसी के साथ नहीं हूं. मैं तो मतलब हर किसी के साथ हूं. 

    नॉन एलाइन का मतलब उसका यह है कि हम शांति के साथ हैं. हम युद्ध में किसी के साथ नहीं है. एक पॉलिसी है उनकी अपनी जो है कि संसार में शांति करनी है और युद्ध अंतिम समाधान नहीं है. समाधान पेपर पे है, डायलॉग से ये उनकी एक पॉलिसी है और उसकी कोई पॉलिसी नहीं है. तो चिंतित है संसार के राष्ट्र अमेरिका. इतना बड़ा देश है. 

    इसको इतना घुमा देगा ये और इतना अस्थिर हो जाएंगे. वो भी अस्थिर हो जाएंगे. इसके साथ-साथ और खुद अमेरिका में कितना आप देखिए उसका विरोध एक तरह से होने लगा वहां पे. कल मैं पढ़ रहा था कि एक अमेरिकन आम आदमी महसूस कर रहा है कि ट्रंप के आने के बाद में सोचा था करोड़ों रुपए बरसेंगे वहां डॉलर बरसेंगे एक्स्ट्रा औरों से लूट के लाएंगे टेरे से यहां बरसाएंगे लाके जो है कुछ नहीं हुआ कोई दो लाख डॉलर का नुकसान हर अमेरिकन को हो रहा है वहां इस छ सात महीने के कार्यकाल में जो है तो ये बड़ी चिंता का विषय है तो आई शेयर अब्सोलुटली योर कंसर्न योर क्वेश्चन के संसार के जो जितने मैच्योर कंट्रीज हैं या प्रगतिशील राष्ट्र हैं वो ट्रंप के इस अनप बिहेवियर और उसके फ्रीक्वेंट चेंज इन ह पॉलिसी से वो लोग चिंतित हैं. 

    सवालः सर ट्रंप के विरोधी एलन मस्क की टेस्ला कार की भारत में लॉन्चिंग को आप कैसे देखते हैं? 

    जवाबः लॉन्चिंग ये बोल्ड एक्सपेरिमेंट है नरेंद्र मोदी का. ये व्यापार को, प्रोत्साहन को, राजनीति से हटके देश में इन्वेस्टमेंट को लाने का एक अच्छा प्रयास है. अमेरिका से और दूसरी बात इससे यह पता लगता है नरेंद्र मोदी किसी से डरते नहीं है. नरेंद्र मोदी के मन में कोई भय नहीं है. ट्रंप और नॉन ट्रंप का. मालूम है पूरी दुनिया को कि एलन मस्क के टेस्ला के मालिक के और ट्रंप के क्या रिश्ते हैं. 

    भारत ने परवाह नहीं की. नरेंद्र मोदी ने परवाह नहीं की. यहां आएगा जो पैसा लगाएगा देश के लिए आर्थिक प्रगति में योगदान देगा. इन्वेस्टमेंट करेगा उसका स्वागत है. इरिस्पेक्टिव एनी पॉलिटिकल लाइन. शत्रु राष्ट्र तो नहीं है ना कम से कम. चाइना नहीं है. पाकिस्तान नहीं है दैट वे. अमेरिका है. और फिर वो खुद नरेंद्र मोदी समझते होंगे ट्रंप का क्या भरोसा. आज उनकी दोस्ती टूटी है. कल को दोस्ती फिर कायम हो जाएगी. तो भारत सरकार भी सोचती है कोई रेलेवेंस नहीं है. 

    फिर क्या है एक मार्केट में नया प्लेयर आता है तो चीजें सस्ती होती है. दैट वे आप जो कहिए फिर एक बात और है इसका असली इंपैक्ट मालूम पड़ेगा जो भारत ट्रेड डील फाइनल करेगा तो ट्रंप इसी कार को रोकने के लिए क्या करते हैं या चुप रहते हैं या क्या करते हैं दैट इज टू बी सीन हो सकता है ऐसी टेरिफ लगा दें कि उस कार को आने में बाधा पैदा हो जाए लेकिन फिलहाल कुल मिला के यह है भारत में इन्वेस्टमेंट को एफडीआई को अट्रैक्ट करने का नरेंद्र मोदी का बोल्ड स्टेप है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए कॉम्पिटिटिव मार्केट में एक नई कार की एंट्री हो रही है उसका स्वागत किया जाना चाहिए और ऐसी आशा की जानी चाहिए कि ट्रंप इस कार को लेके ट्रेड पैक्ट को फाइनल करते समय कोई नया अड़ंगा खड़ा नहीं करें. 

    और सर ट्रंप की इमीग्रेशन पॉलिसी कहां तक पहुंची? वो डिजास्टर है अमेरिकन उसकी पॉलिसी इमीग्रेशन के आप देख चुके हैं. तीन तो कोर्ट से उनको डिस्प्ले आ चुका है. कोर्ट ने स्टे कर दिया है. बैन कर दिया. सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं उसको लेकर के. और अमेरिका में लोग इतने परेशान हो गए हैं. वहां पे जो है अब ट्रंप की जो पॉपुलरिटी जो ग्राफ है वो 25% पे रह गया है टोटल वहां पे. आप यह देखिए और एक व्यक्ति ने यह दावा किया एक सूत्र ने 20% है 25% नहीं है और कम से कम 40% लोग वहां ऐसे हैं इस समय जो एडल्ट्स हैं और 25 प्लस के लोग हैं वो ये सोचते हैं अरे पॉलिसी में क्या किसको डिपोर्ट कर देगा पता ही नहीं है. 

    अब इंडिया और पाकिस्तान के लाखों लोग वहां रहते हैं. उनके अमेरिकन लोगों से रिश्ते हैं. अब मान लीजिए आप पाकिस्तान से मैं अमेरिका में रहता हूं. हम दोनों अमेरिका में रहते हैं. आपको ट्रंप ने पता लगा सुबह डिपोर्ट कर दिया. आपके रेड हो गई इमीग्रेशन की. रेड एक नया सब्जेक्ट इमीग्रेशन रेड. कभी नहीं सुना था संसार में ऐसा अफ्रीका में होती होगी. 

    अब तो किसी पे भी ट्रंप के लोग पहुंच जाते हैं सुबह के रेड है आपकी इमीग्रेशन की उनको पकड़ के बांध बूंद के ले जाते हैं वहां से जो है तो अमेरिका में चिंता का विषय है कि हमारा भाईचारा कब तक हमारे किस दोस्त को ट्रंप कब उठा के ले जाएगा या वो जो रेड है उनकी कब किसको उठा के ले जाएगी तो चिंता का विषय है वहां पे जो है तो बहरहाल ऐसा है कि सुप्रीम कोर्ट का मैं नहीं कह सकता बाकी सो फार इट्स अ डिजास्टर इन अमेरिका एंड ऑल अदर कंट्रीज एंड ट्रंप्स पॉपुलरिटी हैज़ क्रैश वर्चुअली ऑन दिस पॉलिसी 

    सवालः सर मैंने सुना है कि भारत में स्कॉच विस्की पीने वालों के लिए यह एग्रीमेंट एक वरदान है. क्या आप भी ऐसा सोचते हैं? 

    जवाबः कहते हैं दिख रहा है. हालांकि शराब पीने वालों के लिए पैसे कोई कीमत नहीं होती. जिसको तलब है, शराब पीना है जिसको जैसे तो लेगा उसको तलब मारती है व्यक्ति को. तलब के सामने फिर प्राइस की वैल्यू नहीं होती. लेकिन फिर भी ऑल सैड एंड डन. 150% टेरिफ था. 

    अब 75% टेरिफ हो गया है. अगले 10 वर्षों बाद में जो है यह 40% पे रह जाएगा. टेरिफ आज जो 75% पे है ये. तो लोग खुश हैं इससे मिस की कंपनियां खुश हैं. इसकी कंपनियां कह रही है एक नया चमत्कार है. इसने राह दिखाई है दूसरे देशों को और इसकी जो एसोसिएशन है वर्ल्ड की उसने इसका बड़ा स्वागत किया. उसने कहा पॉजिटिव ग्रोथ की ओर एक बड़ा कदम है. और संसार में मैंने आपसे कहा ही था ना कि शराब का इतना रुतबा है. 

    इतनी डोमिनेंस है कि आप पूरे संसार के नाइट क्लब देख लीजिए और देख लीजिए. आप शाम को जो निकलते हैं तो सिवाय शराब के कुछ नहीं दिखाई देता. मैं 75 देशों में गया शाम को गया सुबह गया. देखा मैंने तो हर समय वहां जो जिसको कहते हैं ना पार्टी कर रहे हैं या नाइट क्लब है वह केवल शराब है और कुछ प्रोफेशनल वुमेन मूविंग अराउंड जो है तो शराब में एयरपोर्ट या तो शराब से भरा हुआ है किसी होटल में चले जाइए तो 5000 बोतलें आपको दिखाई देती है उसकी बाहर के अंदर फाइव स्टार होटल में जो है तो ऐसा लगता है सारा संसार शराब में डूबा हुआ है. 

    इतना व्यापार है शराब का देखा जाए तो ये और बड़ी संख्या में लोग और सरकार की आमदनी का एक बड़ा जरिया भी शराब है. तो उस रिस्की के ऊपर जो है जो टैक्स इतना कम हुआ है तो लोग मगन है वरदान है उनके लिए एक तरह से जो है तो बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप कि उनके लिए वरदान साबित हो रहा है ये और पॉपुलर स्टेप है और बल्कि इस ये काम ऐसा हुआ है कि ब्रिटिश के प्राइम मिनिस्टर अगर इस बात के लिए भारत में वोट मांगे तो कुछ लोग उनको इस बात के लिए वोट दे सकते हैं कि आपने विस्की को सस्ता कर दिया हमारे यहां जो है दैट इज़ है और वो उसके पीछे जो फैक्टर है जो ड्राइविंग फैक्टर तो नरेंद्र मोदी की डील है दैट इज़ है लेकिन फिर भी एक सिंपथी का माहौल है जैसे ट्रंप के प्रति नाराजगी एंड टू सम घृणा का माहौल बन रहा है लोगों में. ऐसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री के प्रति एक सहानुभूति और एक मैत्री भाव का माहौल बन रहा है कि अरे आदमी ठीक है. 

    हमारे इस 99% तो एक्सपोर्ट फ्री कर दिए वहां पे और सही आदमी है ये. सर राजस्थान में भी एक लीडर को इस बात पर पसंद किया जाता था कि जब उनकी सरकार आती थी तो लकर शॉप की टाइमिंग जो है वो बढ़ जाती थी शाम को. तो काफी इससे पसंद किया जाता है लीडर्स. ये तो सबकी हालत है क्योंकि पैसा चाहिए इस वक्त सरकारों को. हम तो शुरू में ये होता है 8:00 बजे दुकान बंद हो जाएगी दारू की. एक है रूल एक तरह से लेकिन बाद में खैर आप 12:00 बजे तक खुलती है. 

    फिर होता है कि आप साइड भी नहीं पिलाएंगे तो हर दुकान के पीछे एक पखवाड़ा सा बना होता है. वहां शाम को बैठ जाते हैं जाके और जब टोटल लगाते हैं आप तो हरमों में जाके रेवेन्यू होती है. तो अच्छे-अच्छे गांधीवादी मुख्यमंत्री और बिना गांधीवादी मुख्यमंत्री सारे घोषणा करते हैं. 

    मजबूरी है आर्थिक की क्योंकि फिर बहुत सारी आपको फ्री स्कीम्स मुफ्त की घोषणाएं करनी है. पैसा कहां से लाओ अल्टीमेटली जाए? तो शराब एक माध्यम है. तो जितनी नैतिक घोषए हम करते हैं उसके प्रति कि 8:00 बजे रहेगी कि रहेगी वो सब टूट जाती हैं. जो उसकी हमारे कंपल्शन है रेवेन्यू का उसमें वो टूट जाती है. फिर शराब का काम ऐसे ही चलता है. सर मैंने सुना है कि 95% एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स पर ब्रिटेन में जीरो टेरिफ है. 

    जिसकी वजह से यह माना जा सकता है कि एक बार फिर भारत में नरेंद्र मोदी की बल्ले बल्ले हो गई और सिमिलरली नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के कृषि या डेयरी प्रोडक्ट्स को भारत में रियायती टेरिफ की सूची से बाहर रखा है. अब्सोलुटली करेक्ट. नरेंद्र मोदी हैज़ अगेन एमर्ज एज अ हीरो ऑफ़ द फार्मर्स ऑफ़ द कंट्री जिसे कहना चाहिए. आप छोटे-मोटे ये विरोध कर नोएडा में एक जगह हैं. 

    यहां पे फेमस है इसी काम के लिए. साल भर तक आंदोलन होता रहा वहां पे और किसान बैठे रहे अपनी मांगों को लेकर के. इस एग्रीमेंट के बाद में भारत के किसी किसान को आंदोलन करने का कोई अधिकार नहीं है इस सरकार के खिलाफ. कोई उनकी मांग बाकी नहीं रहनी चाहिए. उसका कारण क्या है? आप देखिए ना 95% आपके एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स जो इंक्लूडिंग डेरी प्रोडक्ट्स है वो टैक्स फ्री हो गए हैं. 

    भारत के किसानों को उत्सव मनाना चाहिए. इस बात का 95% आपके प्रोडक्ट जो है वो ब्रिटेन में जाएंगे तो टैक्स फ्री हैं. आप सोचिए और दूसरा बड़ा चमत्कार ये है इसमें उपकार मानिए सरकार का भी कि सरकार ने घुटने नहीं टेके ब्रिटेन के सामने जैसे अमेरिका भी अड़ा हुआ है. 

    अमेरिका अड़ा हुआ है कि नहीं एग्रीकल्चर डी प्रोडक्ट्स तो आपको अनुमति देनी पड़ेगी मुझे. नरेंद्र मोदी अड़े हुए हैं कि नहीं यह संभव नहीं है. सो फार भी संभव नहीं है. फिर आगे देखेंगे इसको जो है तो नरेंद्र मोदी ने दो काम किए बड़े.एक तो 95% को फ्री करवाया एक्सपोर्ट को. आप देखिए वहां के लिए और भारत में उनके एग्रीकल्चर डेरी प्रोडक्ट्स को आने नहीं दिया. बहुत प्यार से मना के समझौता कराया. तो कृषि क्षेत्र में दो ऐसी बड़ी उपलब्धियां हैं जिनका मेरे विचार से कोई छोटे-मोटे उस आंदोलन का कोई अर्थ नहीं है. और आंदोलन करना लोकतंत्र में अपनी जगह है. 

    आप आंदोलन करिए. लेकिन देश के 140 करोड़ लोग ये देख रहे हैं कि कृषि के क्षेत्र में नरेंद्र मोदी ने कितना बड़ा चमत्कार इस डील के द्वारा यह करके किया है. सर इस डील से जो उत्साहित लोग हैं उनका कहना है कि मेड इन इंडिया ब्रांड का जो डंका है वो लंदन में भी बजेगा. आप क्या कहना चाहते हैं? बिल्कुल सही है. जब आपके 95 99% एक्सपोर्ट फ्री हो गए तो आपकी चाय है, आपका कुछ और है, सामान है, खाने का सामान है, दूसरा सामान है, वहां पहनने का सामान है, ज्वेलरी है, टेक्सटाइल है. वो सब बिकेगा वहां पे जाके. 

    जब आप देखेंगे तो आपको पता लगेगा कि 50% लोग जो लंदन के बाजार में भारतीय कपड़े पहन के घूम रहे हैं. भारतीय टेक्सटाइल घूम रहे हैं. भारतीय हैंडीक्राफ्ट घूम रहे हैं. भारतीय चाय पी रहे हैं वहां बैठकर के. भारतीय कॉफी पी रहे हैं. तो डंका तो इसी से बजता है ना दैट वे जो है तो छा गया भारत एक तरह से. तो मतलब मैं तो खुद हैरान हूं कि ये डील नरेंद्र मोदी ने आखिर करवाई कैसे? मतलब इतना आत्मसमर्पण ब्रिटेन का हमारे प्रति इस डील के अंदर फाइनेंसियल आत्मसमर्पण नॉट पॉलिटिकल दैट वे जो है. इतना प्रभावित उनके आभा मंडल से तो क्या हुआ? यह हुई कैसे? एक्चुअल में प्रश्न तो यह होना चाहिए था इस शो के अंदर जो है कि नरेंद्र मोदी ने करवाया कैसे? बिना गन पॉइंट के, शालीनता से, लोकतांत्रिक तरीके से ये चमत्कार हुआ कैसे? कैसी डील आप देखिए ना 99% एक्सपोर्ट फ्री, एग्रीकल्चर 95% फ्री अनबिलीवेबल. 

    सवालः सर, मैंने सुना है कि ब्रिटेन में एक बहुत बड़ा हिंसक ग्रुप है मीरपुरीज जो कि भारतीयों और ब्रिटेन के लिए खतरा का विषय है. आखिर क्या है यह पूरा मसला? 

    जवाबः ये चिंता का विषय है. ये खिस्तान टाइप मूवमेंट है. हालांकि नरेंद्र मोदी अभी गए थे तो एक समझौता यह भी वहां ब्रिटेन के साथ हुआ है कि खस्तानी मूवमेंट और दूसरे जो भगोड़े हैं यह आजकल गैंग हो गए ना प्रोफेशनल गैंग्स हो गए वहां बस जाते हैं कनाडा में अमेरिका में जाके जो है ब्रिटेन में उनको कैसे निकाल के लाना है वहां से जो है और नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पे कहा है कि भ जो डेमोक्रेसी में फ्रीडम है उसे कुछ लोग मिसयूज़ कर रहे हैं कोई टेरर ग्रुप्स जो है उनको ठिकाने लगाइए उनको पकड़े हम ला के जो है तो ब्रिटेन इस बात पे सहमत है.

    इनके साथ जो है और ये मीरपुर की बात जो आप कह रहे हैं पीओके में जो है ना एक छोटा सा गांव है मीरपुर वहां के लोग लंदन में बस गए आकर के ठीक है लंदन से पैसा जाने लग गया तो गांव में इतने ज्यादा लंदन का आदान प्रदान है सामान का या चीजों का शराब का ज्वेलरी का इसका वेपन्स का कि छोटा लंदन कहा जाता है मीरपुर को तो वहां के जो लोग थे उन्होंने अपना ग्रुप बना लिया आके ब्रिटेन के अंदर तो उसको मीरपुर कहते हैं उस गांव के नाम से जाना जाने लगा उनका क्या काम है अपहरण करना ठीक है गैंगरेप करना अपहरण करना और उसके बाद में जो ऑफेंसेस गैंगस्टर्स जो काम करते हैं वो सारा करना लूटपाट करना बड़े पैमाने पे ऑ्गेनाइज क्राइम जिसे कहते हैं वो सब कर रहे हैं वहां पे और उनका एजेंडा एक ही है दे वर्चुअली वॉर अगेंस्ट इंडिया लाइक खानी ग्रुप्स वहां पे जो है और आज तो चिंता नहीं है ब्रिटेन को अब चिंता होगी उग्रवादी किसी का नहीं होता हिंसक व्यक्ति किसी का नहीं होता आज भारत के खिलाफ काम कर रहा है ग्रुप वहां पे वो जो है भारतीय लोग चिंतित है कल को ब्रिटिश लोगों के खिलाफ काम करेगा इट्स अ पॉइंट ऑफ़ कंसर्न फॉर बोथ द गवर्नमेंट्स और शायद गवर्नमेंट ने इस यात्रा के दौरान इस पे कॉग्निस लिया होगा.

    आई एम श्योर सर ब्रिटेन द्वारा 1 जनवरी 2027 से लागू किए जाने वाले कार्बन टैक्स से यदि भारत को नुकसान पहुंचता है तो सर फिर आप इंडिया यूके की डील का भविष्य कैसे देखते हैं? पीयूष गोयल ने साफ तौर पे कहा है कि भाई अगर नुकसान होगा तो हम रिटेलिएट करेंगे. हम जवाबी कारवाई करेंगे. 

    हम डिस्प्लेज़र कन्व करेंगे. हम विरोध प्रकट करेंगे और कोई ऐसा काम नहीं करने देंगे ब्रिटेन को जो भारत के नेशनल इंटरेस्ट के खिलाफ हो. सो देयर इज़ नथिंग टू वरी एट दिस मोमेंट. हो सकता है ऐसा अभी वक्त है उसमें 1 जनवरी 2027 ऑलमोस्ट डेढ़ साल पड़ा डेढ़ साल से थोड़ा ज्यादा टाइम पड़ा है ये और जिस तरह की डील हुई है और जैसे रिश्ते हैं मधुर रिश्ते हैं भारत के ब्रिटेन के साथ मुझे लगता है इसका भी कोई ना कोई हल निकल जाएगा उसमें दे विल नॉट बी एनी कंफ्रेशन आई फील सो.

    सवालः सर मैंने सुना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी साल 2000 में लंदन के दौरे पर गए थे कैसा रहा? 
    जवाब: उनका अनुभव और पब्लिक रिस्पांस मैंने पढ़ा इसको जो है और देखा तो गए थे 2000 में विश्व हिंदू सम्मेलन में न्यूयॉर्क में जा रहे थे संयुक्त राष्ट्र संघ के रास्ते में रुक गए लंदन में तो वहां कुछ इंटलेक्चुअल ग्रुप से बातचीत हुई वहां पे जो है तो भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति एशिया उपमहाद्वीप की राजनीतिक स्थिरता इन विषयों पे बातचीत हुई उसमें उन्होंने भाषा में चेतावनी दी थी क्या टेररिज्म को अगर नहीं रोका गया तो ग्लोबल टेररिज्म हो जाएगा और चेतावनी सही निकली.

    देखिए ना आप अमेरिका में क्या हुआ वहां पे जो है और फिर उसके बाद में 2003 में एक बार थोड़े समय के लिए गए. 2003 में भूकंप आया था. हम लोग उसमें शायद थे वहां गुजरात जाते थे. जो है भज का भूकंप था. सारा गुजरात हिल गया था. देश हिल गया था. मैसिव डिस्ट्रक्शन जिसे कहते हैं. तो उसमें गुजरात के जो लोग हैं लंदन में उन्होंने बड़ी सहायता करी. धन से सामान से इसे सहायता करी. बाल नरेंद्र मोदी वहां पे गए और गुजराती सम्मेलन खचाखच भरा हुआ हवल उस दिन वहां पे जो है तो उसने उनसे कहा कि भाई आपने सच्ची दोस्ती गुजराती होने के नाते निभाई है. 

    मैं आपके एहसान का बदला चुकाने आया हूं. अब नरेंद्र मोदी की भाषा सरस्वती की देन है ना. आप उनके पुराने भाषण देखिए जो चलते हैं हमारे यहां रात को 11:00 बजे जो है गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वो तो बड़ा प्रभावी रहा दौरा उनका. लोग गदगद हुए और उनके आने के बाद में लोगों ने फिर और बड़ी मात्रा में गुजराती जो प्रभावित थे भूज के भूकंप पीड़ित उनको सहायता करी. तो ये दो छोटी-छोटी यात्राओं का जिक्र कहीं आता है. 

    सवालः भारत ब्रिटेन समझौता और अमेरिका के साथ प्रस्तावित ट्रेड एग्रीमेंट. इसमें सर आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद मंत्री पीयूष गोयल का रोल कैसे देखते हैं? 

    जवाबः ही इज़ अ लॉयलिस्ट एंड अ कॉम्पिटेंट मिनिस्टर इन नेचुरल एलय इन मोदी कैबिनेट. जिसे कहना चाहिए ए मैन ऑफ ऑल सीजंस इक्वली क्लोज टू मोदी इक्वली क्लोज टू अमित शाह पिटिकल सेटअप में दैट विल है एंड सॉफ्ट स्पोकन पर्सन साइलेंट परफॉर्मर कोई कंट्रोवर्सी नहीं कोई झगड़ा नहीं कोई मीडिया से ना दोस्ती ना वैसी ना दूरी ना नजदीकी इस काम अच्छा काम किया प्रधानमंत्री ने उनको जिम्मेदारी दी बहुत दिनों तक लंदन में पड़े रहे अमेरिका गए यहां गए तो पूरा इस डील को जो जो सुपरविजन था प्राइम मिनिस्टर का जो गाइडलाइन थी, जो मैंडेट था उसको उन्होंने ने इफेक्टिवली वहां पे जो है इंप्लीमेंट किया वहां पे और एक बड़ी बात उन्होंने कही इस डील के बाद में उन्होंने कहा कि दिस हैज़ नॉट ओनली प्रोजेक्टेड इंडिया एस ए लीडिंग एक्सपोर्टर टू ब्रिटेन बट आल्सो क्रिएटेड न्यू अपॉर्चुनिटीज फॉर इंडियन कंपनी टू इन्वेस्ट एंड टू अर्न रेवेन्यू एंड टू अर्न प्रॉफिट्स एंड आल्सो वन मोर स्कोप टू अर्न मोर रेवेन्यू इन एरियाज ऑफ़ फार्मिंग एंड फिशिंग. वहां जो है अच्छा बयान दिया उन्होंने और प्राइम मिनिस्टर के साथ गए थे. 

    आपने देखा फोटो खींचा मैंने देखा था फोटो जो है वो खड़े हुए हैं प्राइम मिनिस्टर के साथ साइलेंट परफॉर्मर बैक सीट पे जो है ये हालांकि फोटो बराबर खड़े हुए हैं सिरे से है तो नाइस मिनिस्टर सक्सेसफुल मिनिस्टर एज अ कॉमर्स मिनिस्टर इंडस्ट्री मिनिस्टर आखिर क्या संभावना है नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के निकट भविष्य में चीन यात्राओं को लेकर यात्राएं हैं चाइना तो ऑलमोस्ट निश्चित है अगस्त के लास्ट वीक में जा सकते हैं या सेप्टेंबर के फर्स्ट वीक में जा सकते हैं प्राइम मिनिस्टर और माह माहौल अच्छा बन गया है. 

    मानसरोवर यात्रा की सुविधा हो गई है. फ्लाइट्स की सुविधा हो रही है. टूरिज्म वीजा खुल रहा है. दोनों कंट्रीज के बीच में जो है जा सकते हैं. उस सम्मेलन में शंघाई में जाएंगे. वहां पे सम्मेलन होगा और संबंध चाइना भी चाहता है सुधारना. भारत भी चाहता है. थोड़े हो गए थे. कोरोना के बाद हो गए थे. फिर वो गुलमान घाटी में जो एंथ्स हो गए थे. रिलेशन थोड़ा ठीक हो रहे हैं. तो इट्स ऑल सेट के प्राइम मिनिस्टर विल बी विजिटिंग चाइना आइदर इन अगस्त एंड और आई थिंक इन सेप्टेंबर बट एस फ एस यूएस इज़ कंसर्न कि वहां जाएंगे कि नहीं जाएंगे वो अभी निश्चित नहीं है. 

    मेरे हिसाब से क्योंकि ट्रंप जब तक अनप्रिडेबल रहेंगे और जब तक निश्चित नहीं होगा कि वो क्या व्यवहार करेंगे और जब तक हमारा एग्रीमेंट नहीं होगा मुझे नहीं दिखाई देता कि प्रधानमंत्री वहां जाएं क्योंकि मन से तो अपसेट है ना वो भी तो ट्रंप के व्यवहार से खास करके पाकिस्तान के प्रति और फिर ये कहना कि पाकिस्तान एंटी टेरर है. फिर जनरल को लंच पर बुलाना ही मस्ट बी अपसेट इन अ वे और जिसे कहते हैं कीपिंग फिंगर्स क्रॉस जो है और क्योंकि धैर्यवान व्यक्ति हैं सोच रहे होंगे चलो आज नहीं कल हालात ठीक होंगे लेकिन जब तक हालात ठीक होने का सिग्नल नहीं दिखेगा जब तक नरेंद्र मोदी की शर्तों पे भारत के शर्तों पे समझौता नहीं होगा मुझे नहीं लगता कि वो अमेरिका जाएंगे ऐसा मुझे नहीं लग रहा है दैट वे दैट इज टू बी सीन भारत तिब्बत सीमा पर चीन जो दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है उसको लेकर भारत की क्या-क्या चिंताएं हो सकती चिंताएं स्वाभाविक हैं. 

    एशिया का सबसे बड़ा बांध, चाइना कहता है संसार का सबसे बड़ा बांध, 2 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट. फेस वैल्यू पे एक हमारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है ये. इससे बिजली मिलेगी. हमारी पेट्रोल और डीजल पे निर्भरता कम होगी. भारत चिंतित है. अरुणाचल की सीमा से 30 किलोमीटर की दूरी पर डैम है. तो वॉटर टेररिज्म भी एक होता है. 

    वॉटर उस तरह का कंपल्शन या डिप्लोमेसी वाटर डिप्लोमेसी वो चाइना कर सकता है. हमें सूखा कर सकता है. हमें एक्स्ट्रा बाढ़ भी कर सकता है वहां पे. तो लोग चिंतित हैं कई लोग इसमें. और एक व्यक्ति ने लिखा है बकायदा. उन्होंने कहा कि देयर इज़ अ रिस्क इन दिस क्लाइमेट ऑफ अनसर्टेनिटी. दिस डैम इज अ रिस्क. और यह भी कहा है कि चाइना प्रोजेक्ट तो ये कर रहा है. मार्केटिंग कर रहा है कि हम जो क्लाइमेट सलशंस है उसका एक पार्ट है डैम जबकि ये तो क्लाइमेट के डिरप्शन होंगे उनका पार्ट है ये तो दिस इज टू बी सीन बाकी बहरहाल चिंता तो है इसको लेकर के स्ट्रेटेजिक चिंता है.

    सवालः सर 5 साल बाद भारत में चीन के पर्यटकों को वीजा मिलेगा इस पॉजिटिव डेवलपमेंट को आप कैसे देखते हैं?

    जवाब: इट्स अ पॉजिटिव मूव इट विल इट विल प्रमोट क्रॉस बॉर्डर ट्रेवल बिटवीन द टू कंट्रीज चाइना ने खुद ने कहा इट ए पॉजिटिव मूव और वैसे भी देखा जाए तो वो ठीक है संबंध खराब हो गए थे तो बंद हो गया. बाकी भारतीय व्यापारियों में बहुत निराशा थी इस बात की कि अरे बैन लग गया. लेकिन क्या करूं? नेशनल इंटरेस्ट तो सबसे पहले है ना. दैट वे अब ये बैन खुल रहा है. तो बड़ी संख्या में लोग आएंगे जाएंगे और अब लोगों का तो आम बात होगी. 

    चाइना जाना सामान खरीद के लाना एक मैटर ऑफ़ द डे टू डे रूटीन व्यापारियों का छोटे-छोटे लोगों का छोटे व्यापारियों का भी हो गया है. तो बहुत अच्छा मूव है. ये व्यापार बढ़ेगा. हमारे यहां ट्रेवल बढ़ेगा और ट्रेवल के साथ में जो अलाइन इंडस्ट्रीज हैं उनमें कारोबार बढ़ेगा और आप यह मानिए कि टूरिज्म मिनिस्टर हैं गजेंद्र सिंह शेखावत ही मस्ट बी हैप्पी पर्सन टू सी कि टूरिज्म के सेक्टर में एक और ओपनिंग खुली है एक और एक नया सेक्टर सामने जो बंद था सेक्टर पहले से वो है इट्स अ गुड पॉजिटिव मूव.

    सवालः सर आगे बढ़ते हैं क्योंकि यूके के बाद प्रधानमंत्री मालदीव्स पहुंचे थे तो आज के हमारे शो की जो दूसरी हेडलाइन है वो ये है मोदी के लिए रेड कारपेट मोइजू ने किया प्रायश्चित अब इसके मायने क्या?

    जवाबः इसके मायने यह है कि बगावती या विद्रोही मालदीव्स का मोदी के सामने आत्मसमर्पण भूल सुधार मन से प्रायश्चित और आगे एक अच्छे व्यक्ति अच्छे राष्ट्र की तरह भारत के साथ व्यवहार करने का वादा इसका जष्ट कहा जाए तो इसका इस तरह से है. आप याद कीजिए नेचुरल एलआई हम मालदीव्स भारत का यस और सागर विज़न में एक नेचुरल इंपॉर्टेंट व्यक्ति बिकॉज़ ऑफ़ इट्स स्ट्रेटेजिक लोकेशन दैट वाज़ भारत संकट में काम आया. 

    बड़े भाई का रोल निभाया. 1988 में सैनिक सहायता दी. 2004 में सुनामी आई तो सहायता दी. कोरोना में सहायता दी. अच्छा चल रहा था. अचानक न जाने क्या हुआ. चाइना ने उसका मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया जो है उसने अपने चुनाव में जो कैंपेन किया वह एंटी इंडिया कैंपेन किया इंडिया आउट और उस कैंपेन के बेस पर चुनाव जीता राष्ट्रपति बना और केवल दो वर्ष में दो वर्ष के बाद ही यूटर्न लिया वापस नरेंद्र मोदी के चरणों में रेड कारपेट पे गुलदस्ता लेके खड़े हुए हैं. 

    21 तोपों की सलामी दे रहे हैं. खुद एयरपोर्ट पहुंचे हुए हैं वहां पे. आप देखिए विुअल दैट विल जो है तो यह जो यूटर्न हुआ है उसका तो यह उसका प्रायश्चित है और अच्छा है जिसे कहते हैं दे रहा है दुरुस्त आए नरेंद्र मोदी भी खुश होंगे कि चलो भूल सुधार हुआ एक तरह से और आप देखिए ना कि कैसे-कैसे कैंपेन किए थे भारत के खिलाफ उन्होंने उस वक्त जो है तो ये एक भूल सुधार है आत्मसमर्पण है और एक अच्छी दिशा में उठाया हुआ एक कदम है. 

    सवालः मालदीव्स के द्वारा और सर जब पीएम मोदी मालदीव्स पहुंचे जब भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका जो स्वागत किया उनमें जो जोश था जो एक्साइटमेंट थी उनमें थी उसको आप कैसे देखते हैं? 

    जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि वो तो अद्भुत है देखो मैंने पहले भी कहा कि नरेंद्र मोदी देश में हो विदेश में हो भारतीय जो लोग वहां है और भारत के अलावा भी लोग जिस तरह टूटते हैं उनको देखने के लिए और उनके मन में तो एक तमन्ना रहती है. क्या है नरेंद्र मोदी एक ब्रांड बन गए हैं, भारतीयों के लिए एक ब्रांड है पूरे संसार में और ऐसे-ऐसे देशों में लोग रहते हैं युगांडा में रहते हैं छोटे-छोटे राष्ट्रों में लोग रहते हैं भारत के वो भी सोचते हैं कि यार मोदी जी आ जाए 2000 लोग भी रहते हैं तो कहते हैं मोदी जी एक बार आ जाए दैट वे तो वो भी लगातार इस मिशन को कर रहे हैं. हर छोटे छोटे-छोटे राष्ट्र में जाते हैं आते हैं तो लोग टूट के पड़ते हैं. 

    आप विजुअल देखिए अभी विजुअल देखिए दैट कैसे जनता से मिल रहे हैं और एक नेचुरल रिस्पांस होता है. एक तो सरकारी रिस्पांस कि एंबेसी गाड़ी में बसें बैठा के 200 लोग ले आए आप वहां पे जो है और स्वागत कर रहे हैं. एक होता है नेचुरल रिस्पांस लोगों का बच्चों का, महिलाओं का, पुरुषों का, जनरल व्यापारी का वहां जो भारत के लोग काम कर रहे हैं वहां पे जो है सुपरहिट और एक नेचुरल ये क्या है? ग्लोबल फिनोमिना है नरेंद्र मोदी के प्रति. उसी का एक पार्ट है. 

    नथिंग न्यू. सर जिस तरीके से जो उत्साह आप तस्वीरों में भी दिखा रहे हैं जो उनको रिसीव किया गया, रिसेप्शन मिला ये सब देखकर क्या सोच रहे होंगे चीन के राष्ट्रपति से? मस्ट बी अ बिट अपसेट पर बहुत ही चाइना में धूर्त किस्म के लोग हैं. पॉलिटिक्स में भी तो मन की बात मन में रखी होगी. बोलते कम है. 

    लाइक ट्रंप एक्सप्रेस नहीं किया होगा अपने आप को. चिंतित तो होंगे कि पैसा हमने दिया, इतना बड़ा लोन हमने दिया. मदद करी और आपको तैयार करने के साथ में भारत के खिलाफ कैंपेन करवाया आपसे. सब कुछ किया. ऐन वक्त फिर जाके आप भारत की शरण में वापस खड़े हो गए. तो मस्ट बी डिप्लोमेटिकली पॉलिटिकली वेरी अपसेट. चाइना जो है सोच रहे होंगे. लेकिन चाइना का भी क्या है ना एक लंबी रेस के घोड़े हैं यह भी. और एक लॉन्ग रोप देते हैं लोगों को आगे बढ़ने के लिए. तो इनको खेलने की छूट भी देते हैं. 

    चलो खेल लो थोड़े दिन इधर खेल लो उधर खेल लो जा के फिर खींच लेंगे किसी बात पे जाके है ना तो मतलब उस तरह के है ना चाइनीस के जो कुछ लोग इधर-उधर हैं तो क्रुक किस्म की पॉलिटिक्स भी होती है तो दिस इज टू बी सीन बाकी एट द मोमेंट तो चाइना प्रेसिडेंट चाइना जो है मस्ट बी अपसेट.

    सवालः सर सर मैंने सुना है कि भारत और मालदीव के बीच ड्रग ट्रेड को रोकने के कोई बड़ा समझौता हुआ है क्या इसके बारे में कुछ जानकारी? 

    जवाब: अब्सोलुटली करेक्ट समझौता हुआ है जी क्योंकि जो राष्ट्रपति अभी हैं उनके चुनाव कैंपेन का हिस्सा था कि ड्रग माफिया को रोकना जो है मेरी नेशनल प्रायोरिटी होगा. अरब सी में जो ड्रग का व्यापार है, ड्रग का डोमिनेंस है उसको मैं रोकूंगा. भारत ने एप्रिशिएट किया. तो भारत ने ये समझौता किया और उनको ये एश्योर किया कि हमारी जो डिफेंस हमारी जो सिक्योरिटी एस्टैब्लिशमेंट्स हैं भारत के और वहां की जो डिफेंस फर्सेस हैं ये मिलके ग्रुप बना करके उसको रोकेंग ड्रग मीनिया को जो है तो अच्छी बात है. 
    अच्छा प्रयास है दोनों देशों का. तो वाकई है कि समझौता हुआ है और ऐसी आशा की जानी चाहिए कि अरब सी में खास के अराउंड मालदीव जो है ड्रग मीनिया को कंट्रोल करने में भारत जो है एक सक्रिय भूमिका निभाएगा. ऐसी आशा की जानी चाहिए. 

    सवालः सर अभी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुजी ने इस बात का जिक्र किया कि इट वाज़ अ डिफाइनिंग विजिट. आखिर यहां भारत और मालदीव के बीच क्या-क्या समझौते हुए और आप किस तरह से देखते हैं? 

    जवाबः देखो मालदीव के राष्ट्रपति गदगद हैं. भूल सुधार हुआ. चिंता हटी गले लगाया आने वाली सहायता मिली ही मस्ट बी हैप्पी पर्सन तो उन्होंने कहा डिफाइनिंग विजिट प्राइम मिनिस्टर ने भी कहा कि हमारे सदियों पुराने संबंध है इनके साथ में और नेचुरल दोस्ती है हमारी इनके साथ में समझौते जो है कुल आठ हुए हैं मैंने सुना कुल मिला के बेसिक बात उसमें यह है कि छोटा राष्ट्र है उसको खड़ा करना है व्यापार भी बढ़ाना है उसके साथ में उसको सहायता भी देनी है उसको सिर्फ पांव पे भी खड़ा करना है जो गाइडिंग फैक्टर इस समझौते के लेकिन फिर भी अगर कहा जाए नाउ नंबर वन बोथ द कंट्रीज विल एक्सप्लोर द पॉसिबिलिटीज ऑफ़ साइनिंग अ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लाइक ब्रिटेन. क्या हो सकता है? फिर इन्वेस्टमेंट यहां कहां कर सकते हैं? 5000 करोड़ का कोई लोन है वो देंगे उनको जो है फिर उसके साथ में एजुकेशन या हेल्थ या इन सेक्टर में उसको साथ ले चलने की कोशिश करेंगे. दैट विल है. तो इस तरह से जो है यह कुछ समझौते टोटल मिलाके वहां हुए हैं. 

    इनका बेसिक पर्पस यह है कि उसको आर्थिक दृष्टि से थोड़ी मदद करना, उसकी सहायता करना, उसकी खोई हुई लॉयल्टी, वफादारी को फिर से प्राप्त करना. दैट इज़ चाइना से थोड़ा दूर करना, उसको वापस यहां पे लाना और उसकी गलती का एहसास कराना. तो ये सारे काम इन समझौतों के द्वारा हो गए हैं. 

    बाय एनलार्ज अप कह सकते हैं ऑल द एग्रीमेंट्स एम ओनली टू प्रमोट सम सॉर्ट ऑफ ए बिजनेस विद म्यूचुअल इंटरेस्ट एंड बेसिकली टू हेल्प दैट पुअर कंट्री ऑन ह्यूमिटेरियन ग्राउंड्स. सर सवाल ये भी है कि क्या मालदीव के डिक्लाइनिंग जो टूरिज्म फैक्टर है उसने मोइजों को मजबूर किया नरेंद्र मोदी के शॉर्ट में आने के लिए? बिल्कुल सही कह रहे हैं आप. टूरिज्म उनकी इकॉनमी का मेन हिस्सा है. 

    30% उनकी जो जीडीपी है वह टूरिज्म से आती है. 60% फॉरेन एक्सचेंज उनका टूरिज्म से आता है. और टूरिज्म में इंडिया एक मेजर प्लेयर है. वहां पे कैंपेन जब उन वहां के जो तीन मंत्री थे उन्होंने डेरोगेटिव स्टेटमेंट दे दिया था भारत के खिलाफ. तो नरेंद्र मोदी ने उनसे माफी मंगवाई. उनको सस्पेंड करवाया और अब हालात वापस ठीक हुए. 

    उस समय भारत ने कैंपेन कर दिया था भारत के लोगों ने भावना में कि इसको सबक सिखाएंगे और ये कहा था कि बॉयकॉट मालदीव्स वो कैंपेन चला था जो है उससे 150 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ उनको तब उनके समझ में आया कि ऐसे काम नहीं चलेगा हमारी गलतियों में भारत से संबंध सुधारने पड़ेंगे अब क्या है बड़ी संख्या में क्योंकि नरेंद्र मोदी जाके आ गए हैं और टूरिस्ट की मनपसंद जगह है मालदीव्स इसमें कोई शक नहीं है तो वापस अब भारत का जो है पर्यटन क्षेत्र जो है खुलेगा अगेन वन मोर गुड न्यूज़ फॉर गजेंद्र सिंह शेखावत यूनियन टूरिज्म मिनिस्टर दैट वे जो है तो यह सही था बात और टूरिज्म का है तो अब टूरिज्म बढ़ेगा दोनों देशों के बीच में उन्होंने भी चैन की सांस ली होगी चलो ठीक है समझौता हुआ तो सर क्या चीन से धोखा खाने की वजह से या फिर वहां पर जो अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है उसकी वजह से मोइजो वापस से भारत की तरफ लौटे दोनों कारण है हम चीन के प्रति उनके मन में भाव तो यही रहा होगा दोष दोष ना रहा जो है और दोस्त की भी सीमा हो सकती है कि रोज पैसे मांगने आ जाते हो. कब तक दूंगा? यह भी कारण हो सकता है. 1.37 बिलियन डॉलर का कर्जा चाइना ने दिया उनको. चाइना क्या है? सूदखोर कंट्री है. भारत और चाइना में बेसिक डिफरेंस क्या है? नरेंद्र मोदी दोनों हाथों से सहायता करते हैं. दैट इज वेल. वो इंटरेस्ट पे एक तरह से पैसा देते हैं. 

    आपके इंफ्रा को फिर वो जैसे आप जाते हैं लोन लेने तो लोग कहते हैं ना कागज गिरवी रख दो मकान के. तो वो आपके इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के कागज गिरवी रखवा लेता है. वह छोटा देश लोन नहीं चुका पाता है. फिर कब्जा कर लेता है एक तरह से. वहां फिर ऐसी सुविधाएं मांग लेता है. सैन्य अड्डा यह वो जो दूसरा राष्ट्र मजबूर होता है देना पड़ता है उनको जो है तो ऐसा लगता है कि शायद मालदीव का अनुभव भी अच्छा नहीं रहा चाइना की दोस्ती का और वो जो 1.37 अरब डॉलर का उन्होंने लिया था कर्जा वो एक तरह से उनके लिए परेशानी का कारण बना. 

    भारत की ओर झुके और भारत ने खुले हाथ से मदद की. 5000 करोड़ का वो किया. तो उनको लगा कि भारत और चाइना में एक बेसिक डिफरेंस है. वह एक ब्याज पर पैसा देने वाला व्यक्ति है. भारत क्या है कि देता है वापस नहीं मांगता है. मन से सहायता करता है. दैट वे जो है तो ऐसा माना जाना चाहिए कि चीन के साथ उनका एक्सपीरियंस अच्छा नहीं था. तो ब्रोली हम कह सकते हैं चीन से धोखा खाया उन्होंने. अब नाउ इट इज़ टू बी सीन हाउ चाइना रिएक्ट्स टू ऑल दी डेवलपमेंट्स. द टाइम विल टेल. 

    सवालः सर इसी से जुड़ा मेरा सवाल है कि क्या चीन ने सचमुच मालदीव और मोइजे को धोखा दिया? 

    जवाबः अब देखो चाइना तो कभी स्वीकार नहीं करेगा कि मैंने धोखा दिया. लेकिन क्या ना दो पार्टनर होते हैं. एक पार्टनर कहता है धोखा दिया. दूसरा कहता है धोखा नहीं दिया. पति पत्नी का रिश्ता है. मान लीजिए कोर्ट कचरे में लोग तलाक के केस होते हैं. जज डिसाइड करता है. एक व्यक्ति सही होता है ना जो छोड़ के जाता है. तो वो छोड़ के गया ना ये तो मालदीव छोड़ के गया है. 

    इस घर में झुका है उस घर को छोड़ के जो है तो धोखा दिया कि नहीं दिया? लेकिन मालदीव निश्चित तौर पे सोच रहा होगा कि दे हैव बिट्रेड माय ट्रस्ट, माय कॉन्फिडेंस, माय फ्रेंडशिप. यह तो पक्का ही है जो है इसलिए इधर झुकाया हुआ आ के जो है और आ गया है तो ब्रॉडली फेस वैल्यू पे हम ये मान सकते हैं कि चाइना मस्ट हैव बिट्रेड मालदीव्स ट्रस्ट.

    सवालः सर प्रधानमंत्री मोदी के मालदीव के दौरे के दौरान जो रक्षा मंत्रालय है वहां पे उसके बाहर प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा सा कट आउट था एक तस्वीर लगी थी इस तस्वीर के मायने क्या है?

    जवाबः इसके मायने ये है कि नरेंद्र मोदी का क्रेज खत्म ही नहीं होता संसार में लोग ये सोचते हैं हम इसको एक्सप्रेस कैसे करें उसके नए-नए तरीके ढूंढते हैं. तो एक भूल सुधार का बताया ना मैंने इनका मालदीव्स का भूल सुधार से हटके भूल सुधार तो एक सीमा तक होता है ना. ये जो उन्होंने कट आउट लगाया आप देखिए विजुअल के अंदर वहां का सबसे बड़ा दफ्तर है. 
    रक्षा मंत्रालय है. ठीक उसके ऊपर मोदी जी का फोटो लगा हुआ है. अब रक्षा मंत्रालय होता है. देश की सुरक्षा का सबसे प्रमुख स्थान होता है. वहां मोदी के फोटो लेने का मतलब यह है कि इस राष्ट्र का सर्वोच्च व्यक्ति सर्वोच्च सुरक्षा करने वाला व्यक्ति गॉड फादर. आप यह कहिए या राष्ट्रपति एक तरह से कहिए और नरेंद्र मोदी हैं. तो बहुत बड़े सम्मान की बात है यह भारतवासियों के लिए भी और मालदीव्स के लिए कंप्लीट यूटर्न है. 
    यूटर्न के अलावा क्या ये जो पार्ट है यूटर्न का ये इमोशनल है मैं ऐसा मानता हूं. वहां तक यूटर्न ठीक था कि आप एयरपोर्ट पे जाएंगे तोपों की सलामी देंगे, रेड कारपेट बिछाएंगे और करेंगे. वो ठीक है. लेकिन ये जो फोटो लगवाया है यह इमोशनल बॉन्डिंग का प्रतीक है. दैट वे जो है इसका स्वागत किया जाना चाहिए. वो चर्चा का विषय है संसार चाइना खास करके मस्ट बी वेरी केयरफुली वाचिंग जो है कि हो क्या रहा है ये बाकी सब तो ठीक है.आपके रक्षा मंत्रालय पे नरेंद्र मोदी यार हम क्या कर रहे थे इतने साल दैट वे तो वेरी इंटरेस्टिंग डेवलपमेंट 

    सवालः सर एक सवाल और है मोहजू इंडिया आउट अभियान जब चला रहे थे उसके बाद जब वो मालदीव के माले एयरपोर्ट पर पहुंचते हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिसीव करने के लिए खुद तो उस वक्त दोनों की जो बॉडी लैंग्वेज थी उसको आप कैसे देखते?

    जवाबः वेरी माइन्यूट क्वेश्चन आई हैव टू थिंक फॉर ए मोमेंट जहां तक मैंने विजुअल देखे उनको जो है तो वो थोड़ा सा क्या है कि लेस कॉन्फिडेंट थे अपराध बोध का एहसास था गिल्ट आप कहिए नैतिक गिल्ट आ जाता है ना कभी-कभी जो है तो मैंने तस्वीर देखी आप देखिए नरेंद्र मोदी तो चल रहे हैं आगे काला चश्मा लगाए हुए अपना जो है एक राजा की मुद्रा में वहां के राष्ट्रपति की मुद्रा में पीछे वहां के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की मुद्रा में पीछे पीछे चल रहे हैं उनके कदम नहीं उठ रहे वो चाहते आते हैं नरेंद्र मोदी आगे ही रहे. ये स्टेट ऑफ माइंड होता है ना व्यक्ति का साइकोलॉजिकल फैक्टर जो है ये वरना साथ चलो ना भाई. आप तो मूल होस्ट हो यहां के. वो पीछे चलेंगे और कदम आप देखिए ऐसे उठाएंगे धीरे से कि मोदी से आगे नहीं निकल जाए कहीं. ऐसी मतलब एक रोचक है ऑब्जरवेशन है. 

    मेरा ऑब्जरवेशन हो सकता है गलत हो. इसके अंदर जो है तो लेस कॉन्फिडेंस में और थोड़ा सा उस अपराध बहुत से कदम उनके जो डग थे ये धीरे-धीरे उठ रहे थे वहां. मोदी आगे की उस मुद्रा में थे. चल रहे हैं. तो बॉडी लैंग्वेज का ये अंतर मुझे दिखाई दिया वहां पे. अब आप देखिए देखिए दैट वे जो है दिस इंटरेस्टिंग क्वेश्चन एंड इंटरेस्टिंग ऑब्जरवेशन दिस इज ऑल सर इसके साथ ही भारत और मालदीव के रिश्तों में मोइजू की तरफ से जो भूल सुधार किया गया है इस भूल सुधार के बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो मालदीव्स की यात्रा रही वहां की जनता का रिस्पांस कैसा रहा जनता का रिस्पांस फैंटास्टिक है एक तो क्या ना मालदीव्स इंडिया इमोशनली हिस्टोरिकली कल्चरली क्लोज है वहां के लोग भी चाइना को पसंद नहीं करते उस तरह से एस अ सिटीजन नेचुरली भारत को पसंद करते हैं और अब इसलिए इसका रिस्पांस अच्छा रहा जनता का आप देखिए अभी यहां पे विजुअल देखिए आप जनता के वहां के लोग जो हैं कितने उत्साहित हैं कैसे खड़े हैं मोदी की कंपनी में कितने हर्षोल्लास से खड़े हुए हैं उसका कारण क्या है कि हर जनता हर देश की जनता सुरक्षा चाहती है एक स्थायित्व चाहती है स्टेबिलिटी चाहती है.

    पॉलिटिकल स्टेबिलिटी उनको पता है कि भारत हैज़ बीन अ ट्रस्टेड एंड ट्राइड अलय जो है कोई इससे खतरा नहीं है डेमोक्रेट है चाइना के प्रति उनके मन में एक अलग तरह का भाव रहता है जो है इसलिए जब ये बात आई वापस उन्होंने देखा कि चलो उन्होंने भूल सुधार करी है अब हम सुरक्षित हैं स्थाई सरकार हैं स्थाई गॉड फादर है इज़ अ बेटर गॉड फादर देन चाइना दैट वे जो है तो नेचुरल रिस्पांस अच्छा था और प्लस क्या है कि मोदी का प्रति जो आकर्षण मैंने आपसे कहा ना देश विदेश में जो लोग मोदी को जानते नहीं है वो मोदी मोदी करके जब जाते हैं भारत लोग बात करते हैं इस तरह की तो इस तरह से दोनों का जो कंबाइन है फैक्टर्स का एक तो चाइना के प्रति उनका मोह कम है.उसमें भारत को प्राथमिकता देते हैं दूसरा उनका भरोसा है कि भारत के साथ रहने से पॉलिटिकल स्टेबिलिटी रहेगी. यहां पे दी टू आर द मेजर रीज़ंस जिनसे वहां की जनता प्रेफर्स मोदी ओवर चाइना. 


    सवालः सर क्या आपको ऐसा लगता है कि यदि फिर कभी मालदीव पर कोई संकट आया तो पहले की तरह नरेंद्र मोदी उसकी इस बार भी करेंगे कोई मिलिट्री मदद? 

    जवाबः बिल्कुल करेंगे. दो कारण है. एक तो ह्यूमिनिटी फर्स्ट और सेकंड है नेबर फर्स्ट. ये दो पॉलिसीज हैं. दोनों सूट करती हैं. और फिर क्या है? नरेंद्र मोदी चाइना की तरह क्रूर नहीं है. शासक हैं. लोकतांत्रिक शासक है, उदार शासक है. संस्कार अलग है, संस्कृति अलग है. 

    देखते हैं ना मंदिर में कैसे खड़े होते हैं. दैट इज है. चाइना में संस्कृति नहीं है. इस तरह की हृदय विहीन संस्कृति है. तुलना तो इन दो के बीच है ना. कहां जाएगा? उधर जाएगा, इधर जाएगा, इधर ही आएगा जो है और हाथ जोड़ कोई व्यक्ति आएगा तो भारत में क्या दानवीर होने की प्रवृत्ति है भारतीय शासनों में. ठीक? 

    एक मन भी होता है इस तरह का. ठीक है वो व्यक्ति घर पे मांगने आया है तो दे दो उसको कुछ जो है. उनकी मांग क्या होगी? छोटी मोटी होगी. कभी 500 मिलियन डॉलर लेने आ जाएंगे. 100 मिलियन डॉलर लेने आ जाएंगे. कभी कोई बहुत मांग आने नहीं है. उनका क्राइसिस डिफेंस का हो जाएगा तो चाइना एकदम से तो अटैक करेगा नहीं. ठीक है ना? धमकी वमकी देगा. 

    भारत पे कोई सेना भेज देगा. पहले झगड़ा क्या था? चाइना को लगा कि 77 हमारे जो आर्मी के लोग वहां थे और आर्थिक हित थे हमारे वो भी नहीं होने चाहिए भारत के साथ में. चाइना ने अपना कुछ किया और उन्होंने भूल सुधार कर लिया है. तो मेरा ऐसा मानना है वक्त जरूरत होने पे मानवता के नाते नरेंद्र मोदी भारत उनकी मदद करेगा. 


    सवालः सर मालदीव की 60वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे. उनकी इस प्रेजेंस को आप कैसे देखते हैं? 

    जवाबः प्रेजेंस हिस्टोरिक है. अपार्ट फ्रॉम यू टर्न ऑफ मालदीव्स तो ये क्या है कि हिस्टोरिक है प्रेजेंस. पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां जो इंडिपेंडेंस डे पे आप हैं वहां पे चीफ गेस्ट. फिर इस राष्ट्रपति के शासन में पहला विदेशी राष्ट्र अध्यक्ष जी जो उसको चेयर कर रहा है उस दिन के फंक्शन को. वहां की आर्मी का सैल्यूट ले रहा है इंडिपेंडेंस डे पे. नरेंद्र मोदी एक तो नॉर्मल विजिट में जाते हैं. 

    नॉर्मल दिन जाते हैं वहां पे. ठीक? सारी बातें होती हैं. और एक उनका होता है कि उनके इंडिपेंडेंस डे पे चीफ गेस्ट हो के जाना दोनों में बहुत फर्क है वहां पे. इसका मतलब यह है कि वहां का जो उस सरकार का जो यूटर्न है वो कंप्लीट है. इन टर्म्स ऑफ़ इमोशनल इन टर्म्स ऑफ़ फिजिकल जिसे कहते हैं इन टर्म्स ऑफ़ मिलिट्री एवरीथिंग जो है तो एक अच्छी घटना है और बड़ा इसका इसका मैसेज है इसका. मालदीव के स्वाधीनता दिवस मोदी का चीफ गेस्ट बनना इट हैज़ अ पॉलिटिकल मैसेज आल्सो.


    सवालः सर मालदीव से लौटते समय 27 जुलाई को तमिलनाडु के चोलपुरम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति जनता में जो जबरदस्त रिस्पांस था क्या उसे देखते हुए आपको ऐसा लगता है कि इस बार के 2026 विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी ब्रेक थ्रू कर लेगी और आखिर क्या हो सकता है तमिलनाडु का सियासी गणित? 

    जवाबः देखिए पहले तो मंदिर में नरेंद्र मोदी का जो प्रवेश है उनकी भाव भंगिमा है. आप यह बिल्कुल देखिए. मैंने पहले भी कहा था कि वो जो पूजा अर्चना करते हैं जो काम करते हैं वहां जाके धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो वहां के जो बरसों पुराने पंडित और जो शास्त्री हैं वो भी ऐसा नहीं कर पाते. परफेक्शन के साथ नरेंद्र मोदी हम काम पर परफेक्शन के साथ करते हैं. 

    नरेंद्र मोदी धार्मिक काम हो पिटिकल काम जो एडमिनिस्ट्रेटिव काम सारा तो आप देखिए किस तरह का दृश्य है वहां पे विुअल में आप देख रहे हैं इसको. दूसरा क्या है कि पिछला चुनाव जब हुआ 2024 का तो न जाने क्यों भाजपा को समर्थन नहीं मिल पाया वहां लेकिन नरेंद्र मोदी का काम परफेक्ट था. वहां के मंदिरों में जो गए थे तमिलनाडु के और जो दृश्य थे देखने वाले ऐसा लगता था मुझे जनता उमड़ पड़ेगी अल्टीमेटली तमिलनाडु भी एक हिंदू स्टेट है देखा जाए तो और वहां के लोगों के मन में धर्म के प्रति राम के प्रति अयोध्या के प्रति एक खास तरह का भाव रहता है वहां पे दैट वे जो है तो ये निश्चित मान के चलिए कि जो चुनाव आएगा आगे 26 में चुनाव आएगा देखिए उसमें में आपको इंपैक्ट दिखाई देगा चुनाव के अंदर जो है इस विजिट का भी इंपैक्ट आपको दिखाई देगा. 

    बेसिकली तो भारत में रहने वाला हर व्यक्ति रीजनल कास्ट लैंग्वेज से हटके हिंदू है ना हिंदू संस्कारों से बंधा हुआ है एंड नॉट ओनली चेन्नई ये नरेंद्र मोदी का जो चित्र है ये जो उनका अनुष्ठान है उत्तर भारत में सुपरहिट है जिस दिन से लोगों ने इसको अपलोड किया उन्होंने मिरेकल आप देखिए कितनी बड़ी संख्या में नॉर्थ इंडिया में लोग उनको इस फोटो को जो देख रहे हैं प्रशंसक उनके फोटो को देख रहे हैं और रही पॉलिटिकल बिसाद की बात तो आपने कहा 26 में चुनाव है ठीक है और नरेंद्र मोदी अमित शाह का एजेंडा है बेसिकली के तमिलनाडु को कैप्चर करना है.

    सहयोगी दल के साथ मिलके तो अलायंस उन्होंने कर लिया एआईडीएम के साथ ठीक है ईपीएस उनके साथ हो गया है गठबंधन जो है पिछले चुनाव में 75 सीट्स थी एनडीए की टोटल 66 खाली ईपीएस के मतलब इनकी थी एडीएम की थी तो यह क्या मजबूत गठबंधन बना है तो ऐसी आशा की जानी चाहिए कि यह गठबंधन स्टालिन के अलायंस को टक्कर देगा जी ऐसा माना जाना चाहिए दैट वे लेकिन क्या है कि चेन्नई तमिलनाडु इज वै हार्ड नेट टू ब्रेक एट द सेम टाइम जो है तो वहां एक नई पार्टी खड़ी हो गई टीवी के पार्टी बनी विजय विजय कुमार उसको लीड कर रहे हैं तो लोग कह रहे हैं कि 41% सर्वे कह रहा है उसको चाह रहे हैं उनकी पसंद है तो भाई फिर ये क्या होगा 26% पे ये है कहते हैं 23% पे दूसरी पार्टी है तो 41 पे यह पार्टी है तो सीरियस थ्रेट है पर चुनाव दूर है अभी और नरेंद्र मोदी अमित शाह ठान के बैठे हैं कि इस बार रणनीति के द्वारा हर तरह से संभव करके उसको जो है वो इस तमिलनाडु को ब्रेक थ्रू करना है. 


    ये सारा सिनेरियो है. तो अब यह जो गठबंधन बना है भाजपा का इसके साथ में जो बना है तो ऐसी आशा की जानी चाहिए कि भाजपा ब्रेक थ्रू पक्का करेगी. अब सरकार बना पाती है कि नहीं? इट्स अर्ली टू से चुनाव दूर है अभी. लेकिन स्टालिन भी कंफर्टेबल नहीं है. उसने लास्ट ईयर जब 45% सरसार लगा दिया बिजली के बिलों पे 100/ 50% प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ा दिया और नीट वीट के झगड़े अलग हैं. और फिर क्या है? केंद्र सरकार से झगड़े चलते रहते हैं. उसमें क्या होता है? जनता भी परेशान होती है कभी-कभी. जनता मेरिट में नहीं आती. जनता कहती है आप लड़ते रहोगे केजरीवाल की तरह हमेशा सरकार से. फिर काम कब करोगे? डेवलपमेंट कब करोगे? एक फील आता है जनता में इस तरह का. तो इट्स नॉट वेरी ईजी फॉर स्टारिन आल्सो टू रिपीट देयर डोमिनेंस. लेकिन कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य कि नरेंद्र मोदी की जो यात्रा हुई है यह बीजेपी के लिए माइलस्टोन है और खासकर जो इमोशनल पार्ट है इसका हिंदू धर्म का उसको आकर्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम था ये. 


    सवालः सर इसी से जुड़ा हुआ ही मेरा सवाल है क्योंकि प्रधानमंत्री अभी जब पहुंचे तमिलनाडु में तो वहां पर चोल साम्राज्य के महान शासक राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती थी. वहां पर वो वहां पर वो गंगेकोंडा चेलापुरम मंदिर पहुंचे. सिक्का उन्होंने जारी किया. इसके साथ ही तमिल परिधान वेष्टि अंगवस्त्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आए. तो तमिलनाडु की राजनीति में अगर इसके धार्मिक और भावनात्मक मैसेज को समझने की कोशिश करें तो वो क्या रहेगा? 


    जवाबः वो ये है कि वहां जो चोल शासक हैं बहुत लोकप्रिय थे. नरेंद्र मोदी ने 1000 साल हो गए थे उस शासकों के काल को तो उसकी जयंती थी उस पे गए थे नरेंद्र मोदी वहां पे गए. तो उन्होंने कहा कि चोल शासन जो है वो जो युग था वो स्वर्णिम काल था तमिलनाडु का. ये उन्होंने वहां पे सबसे बड़ी बात कही. दूसरा उसी दिन जो है डॉक्टर कलाम की जयंती थी उसको श्रद्धांजलि दी उन्होंने वहां पर जो है तो जो वहां का लोकल सेंटीमेंट है इस अवसर को साथ जोड़ने की कोशिश की और जनता जुड़ती है. 

    लोकल सेंटेंस लोकल भावनाओं से अब क्या है ना देखिए तमिलनाडु हुआ बंगाल हुआ केरला हुआ ये आसान नहीं है भाजपा के लिए लेकिन क्या होता है इनकी वर्षों की मेहनत होती है बीजेपी और आरएसएस में खास बात क्या है कि लगे रहते हैं लगे रहते हैं लगे रहते हैं छोड़ते नहीं है उसको अंतगत असफल होते हैं आप बंगाल में देखिए ना इतना वोट बैंक तो बना ही लिया. उन्होंने वोट शेयर कर ही लिया उन्होंने. केरल में भी एंट्री बन रही है. तो कोई बड़ी बात नहीं है. 

    चेन्नई में सब्सटेंशियल ब्रेक थ्रू पार्टी का इसमें हो सकता है. और जो विजिट है इस विजिट का असर तो देखो इसका इमोशनल असर है. साइकोलॉजिकल असर है. स्टेट ऑफ़ माइंड पे लोगों को प्रभावित करती है. दिस इज़ ऑल. आप देखिए वो दूध से जिस तरह की पूजा कर रहे हैं और जो बैठे हुए हैं.  मैं तो खुद हैरान होता हूं कि इसका प्रशिक्षण लिया. उन्होंने पूजा का या स्वतः आता है मन से निकल के और हर तरह की वेशभूषा में हर मंदिर की वहां के अनुष्ठान की वहां के संस्कृति संस्कारों के हिसाब से पूजा करना अद्भुत थे.

    सवालः सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जो कार्यक्रम यहां पर रहे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन नजर नहीं आए. इससे पहले भी जब रामेश्वरम में पीएम पहुंचे तब भी एमके स्टालिन नजर नहीं आए थे. इस पूरे घटनाक्रम को आप किस तरह से देख रहे हैं? 

    जवाबः इज अनफॉर्चूनेट जिसे कहते हैं फेडरल गवर्नमेंट बट एट द सेम टाइम कंपलशन ऑफ स्टालिन आल्सो वो केंद्र से लड़ाई का झंडा हाथ में लिए हुए हैं इस आधार पर वोट मांग रहे हैं वो वो आरोप लगा रहे हैं मेरा पैसा रिलीज नहीं करती सरकार शिक्षा समग्र शिक्षा का पैसा रिलीज नहीं करती मेरा जो सेंट्रल शेयर है टैक्सों का वो नहीं आता सुप्रीम कोर्ट में केस कर रहे हैं गवर्नर मेरी फाइलें रोक के बैठ जाता है सुप्रीम कोर्ट से फैसला लाते हैं ग्राउंड पे क्या है वो सेंटर से लड़ रहे हैं वो मोदी सरकार से लड़ लड़ रहे हैं तो लोगों ने कहा होगा अभी आप जाओगे तो मैसेज गलत जाएगा इस टाइम पे जो है जाना चाहिए था उनको एज अ मेट्रो प्रोटोकॉल. 

    सवालः सर यूके और मालदीव के ऐतिहासिक यात्रा से लौटने के बाद सारे राष्ट्र को संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर नरेंद्र मोदी के ओजस्वी और आक्रामक भाषण का इंतजार था. क्या आप भी ऐसा सोचते हैं? 

    जवाबः भाषण का इंतजार था लोगों को. कोई संदेह नहीं इसमें. नरेंद्र मोदी बोलते हैं सारा राष्ट्र सुनता है उनको. इसलिए कहा जाता है मोदी जब बोलते हैं तो देश सुनता है उनको. संसार सुनता है उनको. और आज देखिए ना आज अमित शाह ने उसी कैटेगरी के अंदर जो है मोदी के भाषण से ठीक पहले जो है और ऑफ कोर्स नरेंद्र मोदी की परमिशन से उनके सुपरविजन से उन्होंने एक ऐतिहासिक बयान दिया आज और सारे देश का दिल जीत लिया जिसे कहना चाहिए और आज नरेंद्र मोदी को भी लगा होगा कि यस ही इज़ माय प्रधान सेनापति ही इज़ फिट टू बी माय प्रधान सेनापति ही इज़ कैपेबल टू कैरी माय मैंडेट टू मेंटेन लॉ एंड ऑर्डर इन द कंट्री टू इंश्योर द इंटरनल सेफ्टी ऑफ़ द कंट्री एस अ होम मिनिस्टर ऑफ़ द कंट्री. 

    आप देखिए और उन्होंने घोषणा की स्वाभिमान के साथ में और कहा कि तीनों आतंकवादी मार दिए गए हैं और पक्ष आरोप नहीं लगाया कि आपने झूठा किसी को मार दिया और आप कह रहे हैं आतंकवादी वही थे जिन्होंने पहलगांव किया था तो सारे सबूत श्रंखलावार तिथिवार डेट वार सीक्वेंस ऑफ इवेंट जो होता है उनको पकड़ने का आइडेंटिफाई करने का आपका वो सारा प्रोसेस किया. उनको भागने नहीं दिया और ये कहा कि वही है पाकिस्तान के तीन आतंकवादी संसद में पेश के मार के उनको पेश कर दिया.  

    जो है ये तो आज पहली बार जिसे कहना चाहिए की सच्ची श्रद्धांजलि राष्ट्र ने मोदी सरकार ने गृह मंत्री ने उन 26 लोगों की आत्मा को दी है. इन लोगों को मार के और सच में देखा जाए इस घटना के बाद में जो है एक बार फिर से देश के लोगों में पिछली क्या है कि इस पहलगांव को लेकर के और खासकर इस बात को लेकर के कि लोग हैं कहां वो पकड़े नहीं गए मारे नहीं गए आप कहते हो भारतीय सेना सर्वश्रेष्ठ है. 

    आप कहते हो ऑपरेशन सिंदूर से हमारा मान बड़ा है आम आदमी प्रभावित नहीं होता कभी-कभी वो कहता है रिजल्ट लाओ मेरे वो तीन लोग कहां है मुझे ये बता दो प्रतिशोध का भाव राष्ट्र का प्रतिशोध का भाव जिसे होता है वो तीन आदमी चाहिए आज मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री ने गृह मंत्री ने तीनों की लाश देश के सामने लाके रख दी कि ये लो तीन व्यक्ति तो पार्टी में और कैडर में एक जो डीमोरलाइजेशन का लाश ला के लाने का मतलब यह है कहने का नॉट फिजिकली ला के रख दी एक बात का भाव है. 

    कहने का उनकी लाश लाके वहां पे रख दी जो है तो वो वापस रीस्टोर हुआ कॉन्फिडेंस मैं आपसे कहता हूं दबी जबान में भाजपा के समर्थक भी जो सोचते थे कि यार मजा नहीं आया ऑपरेशन सिंदूर में कुछ दिन और चलाना चाहिए, पाकिस्तान को ठोकना चाहिए, भावना चाहिए तो आज जो हुआ है तीन व्यक्तियों की मृत्यु और गोली लगी है. उनके जो कहना चाहिए उससे देश के जनमानस को एक शांति मिली. एक तरह से कि ठीक है, और उसी अनुपात में भाजपा का ग्राफ जो कुछ लोग कहते थे डिक्लाइन हो रहा है. 

    दबी जबान में नहीं हो रहा है वो वापस से फिर से खड़ा हुआ तो वापस से कह सकते हैं हम आज इस ऑपरेशन सिंदूर पे जो बहस चल रही है पार्लियामेंट के अंदर नाउ इट्स अ वेस्ट ऑफ टाइम शट डाउन ऑल दिस शट डाउन ऑल दिस आ गए सामने आपके सामने एक्शन आ गया. बहस किस बात की बहस इसी बात की थी कि सरकार ने क्या किया? तीन आतंकवादी लाके नहीं आप बेसिकली ला पाए. बाकी तो सब्सक्वेंट इशू है. किसने किसके जहाज गिराए नहीं गिराए और बहुत सारे मुद्दे हो जाएंगे उसके अंदर. लेकिन मेन राष्ट्र ये चाहता था कि वो तीन अपराधी कौन है? उनको मृत्युदंड की सजा आपने दी कि नहीं दी? दे दी सरकार ने जो है यह तो दैट वे तो ऐतिहासिक क्षण था और इसी कारण से इन सब बातों से नरेंद्र मोदी को भी लोग सुनना चाहते हैं. 

    देश में बहुत जबरदस्त जिसे कहना चाहिए उत्सुकता थी आज भी जो है और रहेगी हमेशा जब भी वो बोलते हैं सारा राष्ट्र उनको सुनता है. सो दिस इज़ ऑल दिस इज़ कंबाइन ऑफ़ टू फैक्टर्स. मोदीस पॉपुलरिटी पीपल एक्साइटमेंट टू लिसन मोदी. एट द सेम टाइम अमित शाह का जो गृह मंत्री के नाते जो बयान था अद्भुत था. तो डेडली कंबाइन ऑफ दी टू इंसिडेंट जिसे आप कहते हैं जिससे राष्ट्र के लोगों में जो है एक बड़ा कहना चाहिए सरकार के प्रति सेना के प्रति जो है एक आभार का सेंटीमेंट जो है एक थैंक्यू अवार्ड जिसे कहना चाहिए वो आज सामने आया है. 


    सवालः सर प्रधानमंत्री मोदी का जो कार्यक्रम है मन की बात क्या आपको भी ऐसा लगता है कि वो सरकारी कार्यक्रम की छवि को छोड़ के करोड़ों लोगों के सामने मेरिट पर खड़ा हो गया है? 

    जवाबः यह सच है कहना कि शुरुआती दौर में इसका जो छवि थी एक सरकारी कार्यक्रम की थी. कभी एक दूरदर्शन में आप राष्ट्र के नाम संदेश दे रहे हैं जैसे इस तरह का था लेकिन भरोसा था नरेंद्र मोदी को एक दिन ये कार्यक्रम गति पकड़ेगा जो है अब 124 एपिसोड हो गए हैं गति पकड़ गया है एक कारण यह भी रहा है कि अब जो बोलते हैं तो राज्यों में मुख्यमंत्री पार्टी कार्यकर्ता उनको बैठ के सुनते हैं, देखते हैं उससे दूसरा यह भी है कि प्रसाद भारती नवनीत सहगल आए हैं, तो उन्होंने इसको और बढ़ाया है. 

    इसका जो इंफ्रास्ट्रक्चर था प्लस पीएमओ में जो है इसका बड़ा इस पे काम हुआ है इसके अंदर कि ये कार्यक्रम आम जनता तक पहुंच पहुंचे कैसे? एक बार तो पहुंचाओ ना फिर पसंद आएगा नहीं पसंद आएगा. तो अब मुझे लगता है इट हैज़ गेन मोमेंटम विद द पैसेज ऑफ़ टाइम. और अब इस कार्यक्रम को लोग सरकारी कार्यक्रम नहीं मान रहे हैं. तो आप ये कह सकते हैं ब्रॉडली इट हैज़ अचीव्ड द लेवल ऑफ अराउंड 80% पॉपुलरिटी एक तरह से ऑफ जेन्युइन प्रोग्राम जो है. तो अच्छा है प्रोग्राम. 

    आप सही कहते हैं. उसमें क्या है कि एक तो मन से बोलते हैं वो बात. सच्चे मन से बोलते हैं, हृदय से बोलते हैं. कन्याकुमार से कश्मीर तक बोलते हैं. आप देखिए और एक ऐसा लगता है कि एक ऐसा प्लेटफार्म है देश में. पहले सिफारिशें आती थी पद्मश्री और पद्म भूषण के लिए वो सारी बंद हो गई हैं. 

    सिफारिशें पत्र आते थे. मंत्रालय प्रोसेस करता था. अपनी सिफारिश होती थी. मंत्रियों की स्कीम्स की. अघोषित लिस्ट बनती थी पहले. इन इन को देना है. वह सारा का सारा ढांचा नरेंद्र मोदी ने डिमोलिश कर दिया है. और अब ग्राउंड क्या है उसका? मन की बात. एक ग्राउंड है मन की बात. जितने लोगों का अगर पुरस्कार मिलता है कहीं ना कहीं मन की बात के पात्र रहे होते हैं. उस कहानी के हीरो रहे होते हैं. उस कहानी के जो गांव की कहानी है, शहर की कहानी है, शिक्षा कहानी है, किसी विकलांग की कहानी है, किसी महिला की कहानी है, उन सारी कहानियों को जोड़ के जो बनता है ग्रुप उसे कहते हैं मन की बात. 
    एक तरह से जो है तो एक तरह से होम वर्क अब किसी मंत्रालय को करने की आवश्यकता नहीं है. आपको जो है इसमें क्या सैनिक का भी सम्मान होता है, महिला का सम्मान होता है, गरीब का सम्मान होता है. गांव में छोटे-छोटे आविष्कार करते हैं लोग जो है गुदड़ी के लाल उनका सम्मान होता है. तो प्रसाइजली आई एग्री विद दिस स्टेटमेंट कि अब यह कार्यक्रम सरकारी छवि से हटके थोड़ा सा एक नेचुरल पॉपुलर कार्यक्रम होने की दिशा में काफी आगे बढ़ गया है. 

    सवालः सर लंदन में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अनुवादक के घबराने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहजता और सरलता ने वहां पर ब्रिटिश पीएम और पत्रकारों का दिल जीत लिया. इस घटनाक्रम को आप कैसे देखते हैं? 

    जवाबः घटनाक्रम नेचुरल है. ये ये नरेंद्र मोदी का नेचुरल एक्सप्रेशन है. आप देखते हैं उनके जन समय को बच्चा तस्वीर लेके खड़ा होता है. तो बुलाते हैं, पुचकारते हैं, साइन करते हैं और वो क्या है कि ट्रेंड कर जाता है फोटो. तो है कुछ कुदरत उनको कुछ मौका भी देती है. और मौके को एनकश करना भी उनको आता है. 

    जो है अपने आप को एक्सप्रेस करना आता है. अब वो क्या है कि जो समझौता की इसका व्याख्या चल रही थी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो वहां के प्राइम मिनिस्टर ने कोई कमेंट किया. अनुवादक जो है उसको ठीक से कर नहीं पाई हिंदी में अनुवाद के हिसाब से प्रॉपर शब्द नहीं मिला होगा कभी-कभी जो है तो नरेंद्र मोदी ने समझ लिया कि अटक गई है ये अनुवादक जो है कोई नहीं अंग्रेजी में पढ़ दो और हम भी कभी-कभी सेक्टिवली अंग्रेजी भाषा में काम ले लेते हैं. परेशान मत हो तुम. बात छोटी सी थी. नरेंद्र मोदी से हीरो बनते हैं. 

    वो मैंने कहा ना कि एक अलग ये आदित्य एक अलग तुम एक शोध करना कभी इस पे कि नरेंद्र मोदी की जो एक्स्ट्रा पॉपुलरिटी है या आकर्षण है ये क्या है? इसका क्या कारण है? छोटी-छोटी घटनाएं उनको हीरो बनाती है. लोग उसको देखते हैं. लाखों लोग देखते हैं. फिर वो ट्रेंड कर जाती है घटनाएं जो है एनी हाउ. तो ये घटना इस तरह की थी. इट वा लाइट मूड लेकिन बट इट कॉ द अटेंशन ऑफ़ द पीपल. 

    सवालः तो फिर सर एक चर्चा निकल पड़ी है जिसमें यह कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रिकॉर्ड तोड़ दिया और रिकॉर्ड किसका तोड़ा है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का. ये चर्चा देश में हो रही है. तो इस डेवलपमेंट को आप कैसे देखते हैं? 

    जवाबः ये तो फ़क्चुअल डेवलपमेंट है. एक तरफ से देखा जाए तो अब इंदिरा गांधी के भी क्या है कि शासन के दो टुकड़े हैं. अगर अनइंटरप्टेड कहा जाए सिंगल टेन्योर प्राइम मिनिस्टर का. ठीक है? तो नेहरू के बाद दो नंबर पे हैं आज नरेंद्र मोदी. इंदिरा गांधी से अगर हम इसकी तुलना करते हैं और नेहरू का देख ले पहले तो नेहरू 16 साल समथिंग ऐसा रहे जो है पांच साल ऐसे टाइम पर रहे जब चुनाव ही नहीं हुआ था आजादी के बाद उसको अगर आप काउंट करते हैं तो 16 साल बनते हैं. 

    नरेंद्र मोदी 11 सवा साल है उस रिकॉर्ड को भी नरेंद्र मोदी को तोड़ना होगा तो तीसरा टेन्योर पूरा करेंगे और चौथी बार फिर उनकी शपथ होनी चाहिए एक साल के लिए कम से कम तो नेहरू को भी तोड़ देंगे और इसमें मुझे कोई संशय आज के हालात को देखते दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि मोदी का भी कोई अल्टरनेटिव जो है डेवलप नहीं हो पाया है. 

    सो फार जो है ऐसा मुझे लगता है तो नेहरू का तो मैंने इस तरह कहा लेकिन अगर आप चुनाव के घोषित प्रधानमंत्री की तुलना में करेंगे तो नरेंद्र मोदी आज उसको पूरा कर चुके हैं जवाहरलाल के बराबर को दिनों में जाएंगे तो जवाहरलाल के 6125 कुछ ऐसा आंकड़ा है और नरेंद्र मोदी का 4078 और इंदिरा गांधी का 477 ऐसा कुछ आंकड़ा उस सीक्वेंस में मैंने देखा था जो है ये अब आप इंदिरा गांधी पे आ जाइए इंदिरा गांधी का भी यही है और वैसे अगर वो कहा जाए नेहरू मैंने कहा ना 12 साल रहे थे टोटल इनके तो 11 साल हो गए थोड़े दिनों में बराबर हो जाएंगे. 

    दैट इट इंदिरा गांधी क्या है वही अनइंट्रप्टेड वाली जो बात है उसमें जो है तो इंदिरा गांधी के भी कुछ 16 साल समथिंग ऐसे रहे हैं और उनके 17 साल हो गए थे 12 साल तो जेनुइनली नेहरू के इलेक्टेड और पांच साल वैसे मिला के जो है एंड जस्ट बिगिनिंग पता नहीं किस-किस का रिकॉर्ड तोड़ेंगे. 

    अभी तो परिवर्तन के कोई आसार नहीं है. सर इसी से जुड़ा हुआ सवाल था. स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू के 15 साल 11 महीने के प्रधानमंत्री कार्यकाल के रिकॉर्ड को क्या कभी नरेंद्र मोदी तोड़ पाएंगे? जहां तक रिकॉर्ड तोड़ने की बात है तो नेचुरली उन्होंने इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ा और पंडित जवाहरलाल नेहरू का रिकॉर्ड भी तोड़ने वाले हैं आगे चलकर. बट एट द सेम टाइम जो अंतरराष्ट्रीय सम्मान उनको मिले हैं वो रिकॉर्ड ना तो टूटा है ना आगे कहीं टूटने की संभावना है. इस 11 वर्षों में आप देखिए जिस देश में गए हैं हर देश का जो सर्वोच्च पुरस्कार है वो उनको दिया गया है. और कभी-कभी तो ऐसा लगता था देख के मुझे कि सारे राष्ट्रों में होड़ है.

    एक तरह से कि मोदी को सम्मानित कैसे करें? इसलिए नरेंद्र मोदी आजकल जहां भी जाते हैं पहला एजेंडा वहां का देश उनके सामने रखता है. साहब मेरे यहां का सर्वोच्च सम्मान है. मैं आपको देना चाहता हूं. इसे स्वीकार कीजिए. तो एक ऐसा रिकॉर्ड था इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों का जो आज तक ना तो कोई तोड़ पाया और शायद ही कोई तोड़ पाए. नो चांस. 

    सवालः सर एक सर्वे हुआ मॉर्निंग कंसल्ट का. उसमें ये कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 75% अप्रूवल रेटिंग के साथ सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री हैं. आप उसको कैसे? 

    जवाबः बिल्कुल सही. इट्स ओनली अ रिपीटेड अनाउंसमेंट. मैं तो लास्ट ईयर एक एजेंसी ने सर्वे किया था. उसने 75 का 78% समथिंग ऐसा बताया था उसमें जो है तो फैक्ट है एज एन आप उनकी तुलना आज आप किससे करोगे पूरे वर्ल्ड में अगर आप ग्लोबल लेवल पे देखोगे जाके तो आप ट्रंप से तुलना करोगे अमेरिका से नो मैच ट्रंप तो विवादों का पुलिंदा है कंट्रोवर्सी का पुलिंदा है कोई तुलना भी नहीं सकती आप देखिए एक स्टैंडर्ड पॉलिटिशियन नहीं है वो इस तरह से चाइना का आप देख रहे हैं. 

    डिक्टेटरशिप है आपके सामने पुतिन का आप देख रहे हैं युद्ध में अटका हुआ है लड़ाईयों में अटका हुआ है लड़ रहा है वहां सैनिक की तरह खड़ा होके तो आज एक जो स्टेबल प्राइम मिनिस्टर है एक स्टेबल ग्लोबल लीडर है जो कि सामान्य बुद्धि से एक्स्ट्रा बुद्धि से स्थायित्व ढंग से सोचता है. स्थाई काम करता है. 

    उकचुक फैसले जैसे टरामेंटल फैसले ट्रंप की तरह नहीं लेता है और देश को आगे बढ़ाता है और आज इतने समय से जो है प्राइम मिनिस्टर है तो कोई लीडर सामने है नहीं ऐसा तुलना इनसे होती है बेसिकली तो सर्वे करेक्ट है. सर्वे मैनपुलेटेड नहीं है. सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन और मालदीव्स पहुंचे तो वहां पर विदेशी मीडिया का रिस्पांस प्रधानमंत्री के इन दौरों को लेकर कैसा रहा? अच्छा था. 

    न्यूयॉर्क टाइम्स देखिए, वाशिंगटन पोस्ट देखिए, वहां के अखबार देखिए और भारत में तो कमाल का जिसे कहना चाहिए कम्युनिकेशन है पीएमओ का लीडिंग अखबारों के साथ और खासकर अंग्रेजी अखबारों के साथ इतना अच्छा रिपोर्टिंग होता है मतलब और एक जैसा होता है मतलब है कि स्वर कॉमन है इन द सेंस कि जो मेरिट है वो मेरिट सामने आती है जो समझौता होता आता है अननेसेसरी लोग दाएं बाएं नहीं झांकते हैं एक तरह से होता है ना तो कमी निकालनी है उसके अंदर जो है तो एक कंस्ट्रक्टिव और पॉजिटिव रिपोर्टिंग हुआ पूरे देश में हुआ बहुत अच्छे से हुआ विदेशों में हुआ. 

    विदेशों में तो सारा फोकस मालदीव पे ही रहा. एक तरह से मालदीव ने यू टर्न लिया. उसको नरेंद्र मोदी की डिप्लोमेटिक विक्ट्री कहा गया. एक तरह से भूल सुधार इन अ वे जो कहा गया. तो मीडिया का अच्छा है. मीडिया का रिस्पांस भी अच्छा था और एक थोड़ा बहुत जो मैनेजमेंट होता है मीडिया का वो भी बहुत अच्छा था. कुल मिला के जो है मीडिया की दृष्टि से ये यात्रा एक सफल यात्रा थी और इसमें कोई नेगेटिव स्टोरी जो है ना कहीं लगी नहीं. इससे प्लांट भी नहीं हुई और वैसे देखी भी नहीं गई. एनालिसिस लोग करते हैं. 

    ज्यादा एनालिसिस तो मालदीव को लेके ही रहा कि चाइना का क्या रिएक्शन होगा जो अपनी बातचीत हुई जैसे तो इट सक्सेसफुल विजिट ऑन ऑन मीडिया पैराटर्स यू कैन से बिल्कुल और जो आपका एनालिसिस था सर आउटस्टैंडिंग प्रधानमंत्री के फिर से एक बार होते इस विदेश दौरे को लेकर लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जब विदेश पहुंचे और भारत ने एक बहुत लंबा सफर तय इस दौरान किया है. 

    एंड स्टिल स्काई इज द लिमिट भारत के लिए. लेकिन लगातार इस सफर में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को उस एक पोजीशनिंग पर पहुंचाया है जहां पर एक लाइन सेट की है. लाइन सेट की गई है उन देशों के लिए जिसमें चीन हो या फिर पाकिस्तान हो. लाइन सेट की गई है मालदीव्स के लिए जो इंडिया आउट का नारा देता था. आज वेलकम इंडिया कहते हुए रेड कारपेट बिछा रहा है. लाइन सेट की गई है अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप के लिए जो टेरिफ प्रेशर बनाते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट बाकी कंट्रीज के साथ कर लेते हैं. यानी कि दोस्ती होनी है या फिर दूरी होनी है. यह तय होगा भारत की शर्तों पर और सामने वाले देश के रवैया पर और यही है भारत की डिप्लोमेसी. अगर इन शॉर्ट कहूं इट इज कॉल्ड एज अ डिप्लोमेसी ऑफ अ स्पाइन. 

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