THE JC Show: भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show पहलगाम हमले के बाद भारत के एक्शन 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर है. इस शो का नाम है- 'MISSION ACCOMPLISHED WAR ON TERROR CONTINUES.'
सवालः जैसा कि आज हम बात कर रहे हैं मिशन अकंप्लिश्ड वॉर अगेंस्ट टेरर कंटिन्यूस. इस पर आपका आकलन क्या है?
जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए भारत 24 के सीईओ और एडिटर एंड चीफ डॉ. जगदीश चंद्र ने जवाब देते हुए कहा कि अबब्सोलुटली नरेंद्र मोदी ने अपना वादा पूरा किया. पैलगांव के गुनाहगारों को उनकी सजा दिलवाई. इसके साथ ही नौ बड़े आतंकी अड्डे नष्ट किए. 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक और अफसर भी उसमें मारे गए. कुल मिलाकर पाकिस्तान इतना मजबूर हुआ कि उसने घुटने टेके. भारत और अमेरिका से गुहार लगाई. युद्ध विराम हुआ. तो इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि मिशन अकम्प्लिश जस्टिस डिलीवर.
पाकिस्तान पेस बैक फॉर इट्स पैलगांव मिस एडवेंचर और अब जो दूसरा भाग है वॉर अगेंस्ट टेरर कंटिन्यूस दिस इज what we आर कीपिंग फिंगर्स क्रॉस्ड कि कब यह सिंदूर टू शुरू होता है क्योंकि सबके मन में देश के मन में एक इच्छा है सो लेट्स वेट कि आप सिंधु टू की कवरेज करने के लिए कब जाते हैं. ऑल द बेस्ट.
सवालः जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरेआम यह कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई शुरू हो चुकी है. कल्पना के परे आतंकवादियों को सजा दी जाएगी और हुआ भी वैसा ही. 7 मई को जिस तरीके से आतंकवादी ठिकाने को नेस्तनाबूत किया. आपको लगता है कि इस पूरे प्रोसीजर के दौरान नरेंद्र मोदी की इमेज एक बार फिर आयरन मैन की तरह निकल कर आई है?
जवाबः बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप. आयरन मैन थे लेकिन जिसे कहते हैं ना रिब्रश हुई है इस सारे ऑपरेशन में जो है आयरन मैन माना गया उनको दो टूक बात के लिए दो टूक फैसलों के लिए दो टूक निर्णायक लड़ाई के लिए और आपने देखा किस तरह से पाकिस्तान को झुकाया और किस तरह से पूरे संसार में एक मैसेज क्लियर दिया है अगेंस्ट टेरर ये नरेंद्र मोदी का क्लियर मैसेज है कुल मिला के सेफली हम कह सकते हैं कि उनकी जो आयरन मैन की इमेज थी उसको रिब्रुश हुआ है वो फिर से उसका नवीनीकर करण हुआ है. एंड अगेन वंस अगेन ही स्टैंड्स एस आयरन मैन इन दिस कंट्री.
सवालः सर ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति बनने में और उसे पूरी तरीके से एग्जीक्यूट करने में नरेंद्र मोदी एक प्रधानमंत्री के तौर पर तो रहे ही लेकिन साथ में एक आर्मी कमांडर की तरह नजर आए. आपके पास इसको लेकर क्या राय है?
जवाबः yes he is also acted as an army commander since day one..he was completly involved in policy formation and execution of all millitary schemes सारे आर्मी जनरल्स के साथ उनका सीधा संवाद था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, डिफेंस सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी सबके साथ उनका सीधा संवाद था. वो सारी डिसीजन मेकिंग प्रक्रिया में प्रोसेस में इनवॉल्व थे. उन्होंने आर्मी को फ्री हैंड दिया. आर्मी में उन्होंने अपना भरोसा जताया और यह कहा कि आई बिलीव इन टोटल ट्रस्ट विद टोटल डेलीगेशन.
उनको फैसले करने की पूरी छूट दी गई. और एक बात और महत्वपूर्ण है कि नरेंद्र मोदी आर्मी में बेसिकली बहुत पॉपुलर हैं. राइट फ्रॉम जवान टू जनरल वो लोग उनकी बहुत रिस्पेक्ट करते हैं. बड़ा स्नेह रखते हैं उनके साथ में उन्हें प्यार करते हैं.
कल पंजाब के आदमपुर में नरेंद्र मोदी सैनिकों के बीच पहुंचे और जिस तरह से उनका स्वागत हुआ, सैनिकों में उत्साह था, वह देखते ही बनता था. और एक बात और है आपने देखा होगा कि आर्मी जनरल की ड्रेस में वो बहुत अच्छे लगते हैं. लोग उन्हें पसंद करते हैं. ही लुक्स वेरी इंप्रेसिव. तो कुल मिला के आप ये कंक्लूड कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री के साथ-साथ इस सारे ऑपरेशन में ही आल्सो एक्टेड एस एन एफिशिएंट एंड ब्रिलियंट आर्मी जनरल आल्सो.
सवालः सर 12 मई को जब प्रधानमंत्री मोदी देश के नाम अपना संदेश भाषण शुरू करते हैं. उसके बाद यह आकलन है कि प्रधानमंत्री मोदी फिर से 140 करोड़ जनता के हीरो बन गए. क्या आप इस आकलन से सहमत हैं?
जवाबः बिल्कुल इस आकलन से सहमत हैं. 140 करोड़ लोगों के वो हीरो बने हैं. एक्चुअली क्या है लोगों के मन में थोड़ा गुस्सा था युद्धविराम के बाद. शायद नरेंद्र मोदी खुद भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे, या मन में कसक उनके भी रही होगी कि युद्ध विराम थोड़ा जल्दी हो गया. सबके मन में यह भावना थी कि पाकिस्तान को एक बार और पीटना है. जिसे कहते हैं एक और ठुकाई पाकिस्तान की ड्यू है.
इसी बीच में युद्ध विराम हो गया. इसीलिए नरेंद्र मोदी ने लोगों की नब्ज़ को समझा. लोगों की नर्व्स की उन्हें बहुत अच्छी पहचान है. वो टेलीविजन पे आए राष्ट्र के नाम अपना भाषण दिया और इतना आक्रामक भाषण दिया और इतनी महत्वपूर्ण घोषणाएं करी कि सारे उनके शुभचिंतक समर्थक और जिसे हम मोदी सेना कहते हैं देश में जो है वो सारा देश जो है ना उस दिन बहुत खुश हुआ और मुझे लगा कि एक ही झटके में वो फिर से वापस उस सारे गुस्से और नाराजगी को दूर करके फिर से 140 करोड़ लोगों के हीरो जो है वो उसी दिन वहां पे बन गए. ऐसा मेरा आकलन है.
सवालः सर इस भाषण में नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा है कि भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर थ्रेट से ब्लैकमेल नहीं होगा. तो आपकी नजर में इस चेतावनी के क्या दुर्गामी परिणाम हो सकते हैं?
जवाबः रियली its very imoortant actually, narendra modi wants to recall pakistan’s nuclear blufff हर बार जब मौका आता है वो न्यूक्लियर धमकी देता है. अमेरिका झुकता है. दूसरे देश झुकते हैं. भारत पे दबाव आता है. भारत खुद सोचता है. युद्ध रुक जाता है एक बार. इस बार भी शायद ऐसा ही हुआ है. पाकिस्तान ने न्यूक्लियर की धमकी जो है ना ब्लफ था वो अमेरिका पे चला दिया. चल गया वहां पे. और इधर हालात ऐसे हुए कि पाकिस्तान आर्मी भी चाहती थी भारत से कि युद्धविराम हो तो हुआ तो नरेंद्र मोदी के मन में एक कसक है कि अगली बार ऐसा नहीं हो.
अमेरिका जो है उसके ब्लैकमेल में नहीं आए इस तरह से तो कुछ ऐसा करो कि ये जो थ्रेट है न्यूक्लियर के हमेशा के लिए पाकिस्तान की खत्म हो जाए. अब सवाल ये है कि खत्म कैसे हो? तो बड़ा गंभीर प्रश्न है. ऐसा मैकेनिज्म हो आर्मी के पास कि न्यूक्लियर विमान उड़ने से पहले उनको मान नष्ट कर दें. खैर ये आर्मी से रिलेटेड क्वेश्चंस हैं.
टेक्निकल सवाल हैं. लेकिन विषय गंभीर है. नरेंद्र मोदी बहुत सीरियस हैं. इसलिए मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में उनके न्यूक्लियर एस्टैब्लिशमेंट को इनफेक्टिव करने के लिए डिफ्यूज करने के लिए भारत कोई ना कोई बड़ा फैसला या कोई ना कोई बड़ी रणनीति या कोई बहुत बड़ा मैकेनिज्म जो है भारत तैयार करेगा. ऐसी आशा की जाती है. लेकिन नरेंद्र मोदी की थ्रेट सीरियस है और वो इस बात के लिए आमदा है कि अगली बार जो है पाकिस्तान को ब्लफ नहीं चलने देना है. लेट्स सी.
सवालः सर बड़बोले ट्रंप ने पूरा जो प्रकरण था इसमें सबसे इंपॉर्टेंट श्रेय लेने की कोशिश की कि युद्ध विराम का श्रेय हमको जाता है. फिर कश्मीर में जो कश्मीर जो मामला है उसमें मध्यस्था का प्रस्ताव रखते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में उन्होंने इन तमाम बातों को सिरे से खारिज कर दिया. आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाबः इज़ रियली वेरी अनफॉर्चूनेट एंड इमच्योर इन ऑन द पार्ट ऑफ़ ट्रंप. ही हैज़ नो बिजनेस टू डिक्लेअ हिमसेल्फ एस ए सेल्फ स्टाइल एंबेसडर और पीस मेकर और मीडिएटर बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान. देखा जाए तो ही है सीरियसली एंबरेस्ड ह डियर फ्रेंड नरेंद्र मोदी. अब नरेंद्र मोदी जब खुद घोषणा करने वाले थे. पाकिस्तान घोषणा करने वाला था. तो 10 मिनट पहले आप ट्वीट कर देते हैं.
उसका श्रेय लेते हैं. दिस इज प्रोफेशनल मिसकंडक्ट ऑन द पार्ट ऑफ़ ट्रंप. हम फिर राष्ट्र के नाम नरेंद्र मोदी भाषण देने जाते हैं. आप 10 मिनट पहले फिर दूसरा ट्वीट कर देते हैं. व्हाट इज दिस? दिस इज अनलाइक ए प्रेसिडेंट और ए सीनियर पर्सन. तो इससे ट्रंप की जो स्थिति है वो काफी खराब हुई है. एंड ही एक्टेड अगेंस्ट द नॉर्म्स ऑफ़ डिप्लोमेसी. ही वायलेटेड द प्रिंसिपल ऑफ़ डिसेंस इन डिग्निटी इन पॉलिटिक्स एंड डिप्लोमेसी. एंड दिस इज ऑल एवरीवन नोस कि समझौता कैसे हुआ है. ट्रंप ने श्रेय लेने की कोशिश की लेकिन श्रेय मिला नहीं उन्हें.
सवालः सर ट्रंप ने सीज फायर का क्रेडिट लेने की कोशिश करते हुए यह कहा है कि व्यापार का हवाला देकर यह लड़ाई रुकवाई गई है. लेकिन भारत ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है. तो ये इतने बड़े लेवल पर कैसे हो सकता है?
जवाबः हो सकता है ट्रंप के साथ कुछ भी हो सकता है. आप देखिए ना यह और कई बार वो अप एंड डाउन कर चुके हैं और बोल दिया एक बार नहीं दो बार रिपीट कर दिया उन्होंने. तो सरकार ने बकायदा इस बार विदेश मंत्रालय ने सिस्टम रिलीज किया है कि हु कोल्ड हु फस्ट क्या घटनाक्रम हुआ सारा उसमें कहीं इस बात का हवाला नहीं है तो सफेद झूठ है विदेश मंत्रालय को ये कहना पड़ा नॉर्म्स तोड़ के अपने शालीनता तोड़ के कहना पड़ा ट्रंप को एक्सपोज करने के लिए कि ये बात झूठ है और ये बात झूठ निकली दिस डजंट सूट द पर्सनालिटी ऑफ द प्रेसिडेंट ऑफ अमेरिका लेकिन अब हो रहा है सारा जो है ये हो रहा है एंड ही इज़ गेटिंग रिपेयर्ड आल्सो इन द सेम कॉइन इन द सेम लैंग्वेज बाय इंडिया. लेट्स सी
सवालः सर सीजफायर को लेकर पाकिस्तान से ज्यादा गुस्सा देश में ट्रंप को लेकर है. ऐसा क्यों?
जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए डॉय जगदीश चंद्र बोले कि ये इसीलिए है कि इन दिस एंटायर प्रोसेस जो है ट्रंप हैज़ इमर्ज एज अ विलेन और खलनायक इन इंडियन माइंड्स. लोग सोचते हैं एक तो ट्रंप के कारण से पाकिस्तान के दबाव में आके जो है उन्होंने जल्दी युद्ध विराम कराया. कम से कम दो दिन और रुकते तो पाकिस्तान को एक सबक तो सिखाते. तो एक भावना देश के लोगों के मन में है.
दूसरा क्या है कि इस प्रकार का भाव सबके मन में है कि उन्होंने तुलना कर दी पाकिस्तान से भारत की. 140 करोड़ लोगों के देश की तुलना 20 करोड़ लोगों के देश के साथ. तो इट इज़ एन इंसल्ट टू इंडिया. ऐसा होता नहीं है नॉर्मली जो है. फिर उन्होंने ऐसे टाइम में क्रिटिकल टाइम में पाकिस्तान को बेल आउट का एक पैकेज दिलवा दिया आईएमएफ से 1.3 बिलियन डॉलर का.
तो ये सब कारण ऐसे हैं जिसमें ट्रंप की छवि जो है एक विलेन के रूप में बनी है भारत के लोगों में भारत के लोगों के मस्तिष्क में है. तो लोग नाराज हैं. लोगों के मन में गुस्सा है. लेकिन काफी गुस्सा प्रधानमंत्री ने जो राष्ट्र के नाम भाषण दिया और जो कदम उठाए उससे काफी हद तक डाइलट हुआ वो गुस्सा जो ट्रंप के प्रति था.
सवालः सर अपने संबोधन में मोदी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा यह की है कि आतंक के खिलाफ जवाबी हमले की जो कारवाई है उसको केवल स्थगित किया गया है. इसका क्या मतलब है?
जवाबः Absolutely, he has a meaning in this. He means इट. क्योंकि असली बात तो यह है कि उन्होंने एक तरह से वार्निंग दी है. पाकिस्तान को नोटिस दिया है चेतावनी दी है और यह कहा है कि इफ यू डोंट डिस्ट्रॉय योर इंफ्रा ऑफ टेरर जो है तो यू विल हैव टू गिव अ हैवी प्राइस गो टू चेतावनी है, और दूसरी बात यह है कि अभी मन नहीं भरा है किसी का ना जनता का ने शायद नरेंद्र मोदी खुद का.
सबके मन में कसक है कि पाकिस्तान को पूरा सबक नहीं सिखाया गया है. इसलिए हर किसी को एक पहली गोली चलने का इंतजार है. और नरेंद्र मोदी ने कह दिया है कि एनी टेरर एक्ट विल अमाउंट टू एक्ट ऑफ वॉर. और यह भी उन्होंने कहा है कि गोली का जवाब गोले से देंगे. तो बस उस गोली का इंतजार है.
तो देश के लोगों को भी इंतजार है कि मन नहीं भरा है सबका. तो मुझे ऐसी आशा है कि पाकिस्तान की जो हरकतें हैं वो बाज नहीं आएंगे और अगले 5 सात 10 दिन में किसी भी दिन एक गोली वहां से टेररिज्म की चलेगी और फिर वापस शायद उसी दिन जो है सिंधु टू की घोषणा होगी और देश के लोग जो चाहते हैं वो उनकी उम्मीद जो है नरेंद्र मोदी फिर से पूरी करेंगे. ऐसा मेरा आकलन है. शायद इसी कड़ी में सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो और बहुत गंभीर बातें कही हैं. चेतावनी दी है पाकिस्तान को.
सवालः एक यह कि टेरर टॉक्स एंड ट्रेड कैन नॉट गो together हैंड इन हैंड. सेकंड ब्लड एंड वाटर can नॉट फ्लो टुगेदर. अब ऐसी स्थिति में जो ये क्लेरिटी ऑफ़ माइंड है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये जो दृढ़ निश्चय है इसको आप कैसे देखते हैं?
जवाबः इट हैज़ टू बी एप्रिशिएटेड. उन्होंने सही कहा कि ट्रेड एंड टेरर कांट गो टुगेदर. तो उन्होंने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिया है. सारे निर्यात आयात, बंदरगाह व्यापार सब बंद कर दिया है. और जो बात कही है कि वाटर एंड ब्लड कांट फ्लो टुगेदर. तो देखिए वो पानी बंद पड़ा हुआ है. जो इंडस समझौता है जो वो एज इट इज है. उसमें कोई परिवर्तन नहीं है. तो वो जो उन्होंने कहा है वो उन्होंने किया है. एंड ही सीरियस ऑन दिस फ्रंट. दिस इज ऑल.
सवालः सर मोदी ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान से अब जब बात होगी तो आतंक और पीओके पे होगी. क्या लगता है मोदी के मन में क्या चल रहा है?
जवाबः मोदी के मन में वही है जो 140 करोड़ लोगों के मन में है कि जल्दी से जल्दी पीओके पर कब्जा करना है. वह भारत का हिस्सा उसको रिकैप्चर करना है. उनके मन में यह है और फिर क्या है कि कुछ समय से माहौल भी इस तरह का बन रहा है. पूरे देश में पिछले 6 महीने से तो बिल्कुल कैलकुलेटेड मूव है.
अमित शाह कह रहे हैं, जेपी नड्डा कह रहे हैं, रक्षा मंत्री कह रहे हैं और सब लोग कह रहे हैं कि पीओके वापस लो. यहां तक कि ओवैसी भी कह रहे हैं कि पीओके वापस लो. नरेंद्र मोदी खुद कह रहे हैं कि मुझे कोई बात नहीं करनी.
वापस पीओके लेने के अलावा मुझे इसे किसी से कोई बात नहीं करनी जो है तो मानस बन चुका है अब अफसर का इंतजार है कि अब जैसे ही सिंदूर ऑपरेशन टू चालू होता है तो इट विल बी वेरी क्यूरियस टू वॉच कि अबकी बार जो हमला है या जो एंट्री है या जो पाकिस्तान को सबक सिखाने का काम है वो पीओके से शुरू होता है या नहीं बाकी अल्टीमेट लगता है मुझे कि नरेंद्र मोदी जो ठान लेते हैं अमित शाह जो ठान लेते हैं होता है तो आज नहीं तो कल मुझे लगता है बचे हुए 3 वर्षों में यह लोग पीओके तो शायद लेके ही रहेंगे. लेट्स सी.
सवालः सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बहुत सारी बातें कही. उसके अलावा प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी इस लड़ाई में और भी महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं. इसको लेकर आपके पास कोई जानकारी है?
जवाबः हां उन्होंने मोटी मोटी बातें कही है. देखो सबसे पहले तो उन्होंने एक तरह से कहा है कि वो जो था कि आतंक का जवाब बहुत दृढ़ता से देंगे और हम वेस्टेन रखेंगे. पहली गोली नहीं चलती तो अगर चलेगी तो वही गोली का जवाब गोले से देंगे.
दूसरी बड़ी बात उन्होंने कही है कि हम इस बार डिफरेंशिएट नहीं करेंगे. आतंकी और जो सपोर्ट कर रहा है गुनाहगार देश उसको जो प्रोटेक्ट कर रहा है उसको. इसका मतलब है आतंकी के साथ-साथ पाकिस्तान के खिलाफ भी सरकार कार्रवाही करेगी. ऐसा इनका मानना है. तीसरा फिर उन्होंने आतंक के लिए कह दिया है कि जो एक्ट है कोई भी आतंक का वो एक्ट अगेंस्ट जो है ना कंट्री माना जाएगा. एक तरह से वॉर माना जाएगा.
और फिर उन्होंने कहा है कि न्यूक्लियर ब्लैकमेल जो है ना मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा. इस तरह की दो चार बातें उन्होंने कही हैं जो सब जगह वही एक संदेश है वन टू जेड जो है कि नरेंद्र मोदी गुस्से में हैं. वो निर्णायक मुद्रा में है और इस बार अगर आतंकी फिर कोई घटना होती है तो उसका बहुत ही फिटिंग रिप्लाई जो है वो नरेंद्र मोदी देंगे. ये कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं हैं.
सवालः सर मोदी ने पाकिस्तान को ये नेक सलाह दी है कि वो अपने यहां पर चल रहे टेरर यूनिवर्सिटीज को बंद कर दे. क्या लगता है पाकिस्तान भारत की इस सलाह को मानेगा?
जवाबः देखो भावलपुर और मुरीद के में पाकिस्तान में टेरर यूनिवर्सिटी तो चल ही रही हैं. ग्लोबल यूनिवर्सिटी कह रहे हैं उनको कि ग्लोबल टेरर यूनिवर्सिटीज हैं. नरेंद्र मोदी के पास इसका इनपुट है, फीडबैक है और इसीलिए उन्होंने सलाह दी पाकिस्तान को.
अब लेट्स सी कि पाकिस्तान इस सलाह को मानता है क्या? पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड तो ये कि शायद वो सलाह को नहीं मानेगा. नहीं मानेगा तो नेक्स्ट टारगेट ये दो जगह हो सकती हैं. मोदी के रडार पे होंगी दोनों जगह जो हैं. तो अगली जो लड़ाई जब भी होगी या अगला आतंक का जो जवाबी कार्रवाई भारत करेगा. देखते हैं यह दो स्थान उसमें कवर होते हैं कि नहीं.
सवालः सर कांग्रेस के दो सीनियर लीडर पी चिदंबरम और शशि थरूर दोनों ही आजकल प्रधानमंत्री मोदी की युद्ध नीति की खूब तारीफ कर रहे हैं. क्या यह आने वाले कल का कोई संकेत है?
जवाबः डॉ. जगदीश चंद्र ने इस सवाल के जवाब में कहा कि देखो नरेंद्र मोदी का आभामंडल ही ऐसा है. अच्छे-अच्छे चले आते हैं उसमें. चिदंबरम ने कहा है कि मैं जो सिलेक्टिव टारगेट है आतंकी अड्डों को नष्ट करने का नरेंद्र मोदी की जो पॉलिसी है, मैं उसका समर्थन करता हूं.
और उन्होंने कहा है कि पॉलिटिकल इंटरेस्ट डिफरेंट है और नेशनल इंटरेस्ट डिफरेंट है. हम तो चौका है आलाकमान चिदंबरम जैसे व्यक्ति की इस भाषा को देख के जो है फिर इसी तरह से थरूर का है. पिछले दिनों केरल में एक कोर्ट का उद्घाटन था.
प्रधानमंत्री गए थे. केरल के मुख्यमंत्री भी थे इस बार वहां उनके साथ उनकी बेटी का केस भी चल रहा है शायद दिल्ली में जो है और उसी समय शशि थरूर भी वहां पे थे. तो उसको देख के शशि थ्रू को मोदी के साथ तो नरेंद्र मोदी ने एक व्यंग किया था कि बहुत से लोगों का चिंता की लकीरें आ गई होंगी या बहुत से लोगों का स्वाद खराब हो गया होगा ये फोटो देख के जो है तो कई लोग तब से कहने लगे हैं कि ये जो थरूर हैं ये मोदी के प्रवक्ता हैं या कांग्रेस के नेता हैं तो इन दोनों पे इस तरह की बात चल रही है तो लेट्स सी कौन कब कहां चला जाए मोदी के आभामंडल में कहा नहीं जा सकता लेकिन बहरहाल इन दोनों कांग्रेस नेताओं ने मोदी की पॉलिसी को मोदी की वार पॉलिसी को ओपनली सपोर्ट करके सबको चौंकाया है.
सवालः सर संसार में ऑपरेशन सिंदूर का क्या मैसेज गया है?
जवाबः वो बड़ा क्लियर मैसेज है. पहला मैसेज ये है कि जीरो टॉलरेंस ऑन टेररिज्म एंड नरेंद्र मोदी लेज़ डाउन ए न्यू प्रिंसिपल ऑफ काउंटर टेररिज्म जिसे कह सकते हैं. और ही लेज़ डाउन ए न्यू प्रिंसिपल ए न्यू नॉर्मल अगेंस्ट टेरर इन इंडिया अगेंस्ट पाकिस्तान. तो ये मैसेज बड़ा क्लियर है.
सेकंड यह है कि सारे संसार को उन्होंने बताया है कि मैं बैठूंगा नहीं. अगर वहां से गोली चलती है तो गोले से जवाब दूंगा. वही वाला जो दृढ़ निश्चय है उनका. तीसरा उन्होंने ये भी कहा है कि जो टेरर को जो पनाह देते हैं लोग लाइक पाकिस्तान एंड ऑल जो है उनपे भी एक्शन करूंगा मैं टेररिस्ट के साथ-साथ. तो सीरियस वार्निंग है और पूरे वर्ल्ड के अंदर जो है ना टेररिज्म के अगेंस्ट एक स्ट्रांग लीडर की इमेज जो है वो नरेंद्र मोदी की बनी है इस सारे प्रोसेस में. दिस इज अ फैक्ट.
सवालः सर आखिर इस युद्धविराम की इनसाइड स्टोरी क्या है? पाकिस्तान इतना ज्यादा मजबूर क्यों हो गया अमेरिका और भारत के सामने गुहार लगाने के लिए कि सीज फायर कट हुआ?
जवाबः ये सारी इनसाइड स्टोरी बिल्कुल क्लियर है. लेकिन ट्रंप ने इसको उलझाने की कोशिश की. अपना क्रेडिट लेने की कोशिश की. लेकिन अब विदेश मंत्रालय ने मिनट टू मिनट का सारा डिटेल जारी किया है.
Who फाउंड Whom,Who टॉक टू Whom. हम तो जो जानकारी अभी तक अवेलेबल है उसके हिसाब से ये है कि जब इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान के जो एयर डिफेंस सिस्टम थे उनको नकारा किया. उनके एयरपोर्ट्स को बहुत सीरियसली डैमेज किया और उनको आशा थी कि अगले 24 घंटे में भारत कोई बड़ा हमला करने वाला है. तो तुरंत वही जो उनका ब्लफ है न्यूक्लियर थ्रेट का वो वहां के जनरल मुनीर ने सुना है कि फोन किया सीधा अमेरिका के विदेश मंत्री को और कहा कि हम परमाणु हमला कर सकते हैं.
तो विदेश मंत्री ने इसको माना अलार्मिंग इंटेलिजेंस जो धमकी इनकी पुरानी है जो ब्लफ है अमेरिका इनके ब्लफ में आ गया. वो भाग के पहुंचे ट्रंप के पास कि साहब परमाणु युद्ध हो सकता है. लाखों लोग मारे जा सकते हैं. तो ट्रंप ने कहा कि ठीक है आप इंटरवीन करो युद्ध विराम कराओ.
इसी के पैरेलल क्या घटनाक्रम हुआ कि सुबह 10:30 बजे के आसपास जो पाकिस्तान का डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन है उसने मैसेज भेजा भारत वाले काउंटर पार्ट को कि हम बात करने के इच्छुक हैं युद्ध विराम कर सकते हैं.
तो मीटिंग में था इंडियन काउंटर पार्ट वो 3:30 बजे उनकी बातचीत हुई उससे तो इन्होंने सीनियर लीडरशिप के सामने अपना प्रस्ताव रखा कि पाकिस्तान बात करना चाहता है. युद्ध विराम करना चाहता है. इससे पहले कि नरेंद्र मोदी कोई फैसला करते तो 5:25 पे ही जो है ट्रंप ने यह ट्वीट कर दिया कि मैंने बड़े प्रयास से रात भर जाग के मेहनत
करके लाखों लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए इनमें समझौता करा दिया है. दैट वाज़ वेरी पुअर इन टेस्ट. तो समझौता तो हो रहा था लेकिन इस तरह से हुआ. ट्रंप बीच में कूदे और सच है कि झूठ है. उन्होंने श्रेय लेते हुए और एक बार नहीं दो बार श्रेय लेते हुए ट्वीट किया सेकंड बार.
वह बड़ा मतलब क्या कहना चाहिए? बड़ा रड था और बड़ा मतलब इंसल्टिंग टाइप डेरोगेटरी लैंग्वेज थी कि मैंने वार्न किया उन दोनों को अगर आप नहीं करेंगे तो मैं आपका व्यापार बंद कर दूंगा करोगे तो व्यापार मैं आपका बढ़ाऊंगा तो ऑल दिस फुल स्टॉक्स जो है ये लेकिन इनसाइड स्टोरी यह है के Trump Has Nothing Much To Do in this entire exercise जो काम होने वाला था ट्रंप ने उसको फ्रेम करके प्री एंड कैश कर लिया और इंप्रेशन इस तरह का बना कि ट्रंप ही हीरो है इसके अंदर और यह सारा जो हुआ है युद्ध विराम इसमें उसका डिसाइसिव रोल रहा है. जबकि ऐसा है नहीं.So this all the inside story.
सवालः सर PM नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित इन मिलिट्री मेजर्स के अलावा जो इंडस वाटर ट्रीटी सस्पेंड की गई. ऐसे गैर सैनिक प्रतिबंध भी क्या अब भी जारी रहेंगे?
जवाबः हां Absolutely. नरेंद्र Modi's माइंड is very clear.He is again in a Mood to have a decisive action Against Pakistan and when he gets an opportunity again. तो आप देखिए नदी का सब पानी रुका रहेगा जो बातचीत है व्यापार रुका रहेगा आर्यात निर्यात रुका रहेंगे.
बंदरगाहों के व्यापार रुका रहेगा वीजा के जो हैं रेस्ट्रिकशंस वो रुके रहेंगे दूतावास बंद है तो बंद रहेंगे थोड़ी बहुत प्रेजेंस रहेगी तो जो फैसले किए थे पांच छह वो सारे एज इट इज़ रहेंगे उनमें कोई रियायत नहीं है क्योंकि जो झगड़ा हुआ है सारा जो सिंदूर वन है जिसको मैं सिंदूर वन कहूंगा अब इसको जो है तो ये क्या हुआ है, कि अब्रप्टरी हो गया एक तरह से और ये भी डिसाइसिव नहीं है.
जब यह सिंदूर टू होगा या थ्री होगा मानिए आप ये जब डिसाइसिव होगा तब ये छह समझौते खुलेंगे तब तक ये सब कुछ बंद रहेगा. पाकिस्तान शॉप इज शट डाउन इंडिया अंडर मोदीस लीडरशिप. अभी तो यही है.
सवालः सर राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह मानना है कि कभी-कभी युद्ध बिना लड़े भी युद्ध को जीता जाता है. क्या इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ऐसा ही किया?
जवाबः किया बहुत कोशिश की थी उन्होंने. युद्ध नहीं हो. शुरू से ही जो है डायलॉग से सब काम चल रहा था जो है अचानक ऐसा हो गया तो फिर यह होता है कि भाई प्रयास तो उनका यही था कि युद्ध को बिना लड़े ही जीतें. एक मैंने पढ़ा भी था कि उनके बेसिक फिलॉसफी यह थी कि How to win without a war. लेकिन जब वॉर आ जाता है सामने फिर आपको शस्त्र-शस्त्र उठाने पड़ते हैं.
अपने जो कहते हैं धर्म जो है राज धर्म आपको निभाना पड़ता है. बाकी बेसिक प्रिंसिपल जो है उनकी फिलॉसफी वो यही है कि यू विन ए वार विदाउट ए फाइट विदाउट गोली चलाए बिना जो है ना आप वॉर को जीते जो है उनकी फिलॉसफी तो यही है. इस बार थोड़ा एक्सेप्शन हुआ है हालात को देखते हुए.
सवालः सर संघर्ष विराम हुआ. आप आगे का भविष्य इस युद्ध विराम का कैसे देखते हैं?
जवाबः युद्ध विराम का भविष्य इस पर डिपेंड करता है कि पहली गोली कब चलती है पाकिस्तान से, टेररिस्ट से या पाकिस्तान से उसका इंतजार है बस. एक बार गोली चली तो फिर युद्ध विराम खत्म है. और अबकी बार जो लगता है नरेंद्र मोदी शायद किसी की सुनेंगे नहीं.
नरेंद्र मोदी गुस्से में हैं. यह जो कुछ हुआ है फिजको ट्रंप का इसका उत्साह उनको बहुत इस पे मेरा मानना है कि क्रोध आया होगा और वो आपने चित्र में भी देखा कि वो थोड़ा सा अभी गुस्से में हैं और रही बात युद्ध की कि युद्ध कितना लंबा चलेगा कब तक चलेगा तो एक ज्योतिष ने मैंने कहा था पिछले दिनों भविष्यवाणी की थी कि 31 दिन तक युद्ध चलेगा और इसमें नौ 18 और 26 तारीखें हैं मई की ये इंपॉर्टेंट होंगी.
तो let's see 18 और 26 को क्या होता है और युद्ध कब तक चलता है. लेकिन बेसिकली युद्ध के बारे में जो मेन जो रोल है या जो भूमिका है या जो निर्णय है वो पाकिस्तान पे डिपेंड करता है कि पाकिस्तान कब वायलेट करता है. अगेन और पहली गोली वहां से कब चलती है और हम कब रिटेलिएट करते हैं उसको. बस उससे उसकी अवधि युद्ध की है ना काफी हद तक डिसाइड होगी. This Is all.
सवालः सर युद्ध विराम के बाद राजनीतिक क्षेत्रों में सबसे अहम सवाल यही है कि क्या युद्ध विराम ही एकमात्र विकल्प है?
जवाबः देखो उसमें ऐसा है कि जीवन का लक्ष्य है शांति. युद्ध जीवन का लक्ष्य नहीं हो सकता. युद्ध तो मानवता के खिलाफ एक अपराध है. लेकिन युद्ध विराम जो है वह शांति की ओर बढ़ने का स्थाई शांति की ओर बढ़ने का पहला कदम है. पहली कड़ी है. इसलिए उसे करना पड़ता है जो है तो आप ये कह सकते हैं एक तरह से कि ये जो है शांति की दिशा से इसका हल होगा.
एक तरह से युद्ध इसका हल नहीं है. नरेंद्र मोदी और यूएनओ खुद कह चुके हैं कि War is not a solution only एंड डिप्लोमेसी इज the only way to proceed furthur. यह बात सही है. तो उसी की पुष्टि करते हुए मैं कह रहा हूं. इसमें है कि इसका जो स्यूशन है वो वार्ता में है.
युद्ध में नहीं है. और आपने कहा कि क्या युद्ध विराम ये अंतिम विकल्प है? तो मेरा कहना यह है कि अंतिम विकल्प नहीं है. लेकिन युद्ध विराम से शांति के युग की शुरुआत होती है. उसमें हम आगे बढ़ते हैं.
सवालः सर जब खुद नरेंद्र मोदी और यूएन दोनों का यह मत है कि मिलिट्री सॉल्यूशन इज नो सॉल्यूशन. ओनली डिप्लोमेसी एंड इज the way. तो फिर आखिर भारत और पाकिस्तान में यह युद्ध क्यों हुआ?
जवाबः देखो कभी-कभी शांति के लिए युद्ध लड़ना पड़ता है. क्या ट्रेजडी है? देखिए तो शांति के लिए युद्ध लड़ा. फिर यह वाला युद्ध तो थोप दिया गया ना. अब घटना ऐसी करी पहलगाम में कि जवाब देना जरूरी था. रिटेलिएट करना था. और फिर भी नरेंद्र मोदी ने इसे युद्ध नहीं माना. इसे टारगेटेड अटैक था आतंकियों पे. पाकिस्तान ने युद्ध में कन्वर्ट करने की कोशिश की.
तो भारत बाध्य हुआ उसके अंदर जो है और आप देखिए पहले युद्ध कितने दिन चले हैं कोई 83 दिन चला है कोई 13 दिन चला है कोई 22 दिन चला है ये चार दिन में युद्ध सिमट गया That way जो है तो कोशिश की थी, इन्होंने कि युद्ध नहीं हो लेकिन नियति का लिखा कौन टाले एक तरह से और थोपा गया युद्ध था. ये और कभी-कभ मैंने आपसे कहा ना शांति के लिए युद्ध करना पड़ता है तो ये सब हुआ.
सवालः सर क्या ये सही है कि आतंकवाद की सारी धाराएं पाकिस्तान से ही बहती हैं?
जवाबः Absolutely खुद नरेंद्र मोदी ने कहा है कि चाहे चाहे 91 का हमला हो, लंदन में बमबारी का मामला हो और कहीं कोई और कोई ऐसी घटना हो, हर जगह जो आतंकवाद की जो रूट है, जो जड़े हैं, वो कहीं ना कहीं आपको पाकिस्तान में दिखाई देंगी.
असेसमेंट इज़ Absolutely correct. इसलिए एक विद्वान ने लिखा है कि टेरर has an address and its पाकिस्तान ओनली. कितना खूबसूरती से लिखा है उसने. तो ये सर्वविधिता है पूरे संसार में कि आतंक का जो अड्डा है मेन वो पाकिस्तान है. तो इसीलिए कहा जाता है पाकिस्तान इज़ अ ग्लोबल और इंटरनेशनल कैपिटल ऑफ टेररिज्म और नरेंद्र मोदी हैंडल कर रहे हैं उसको.
सवालः सर भारत की तरफ से की गई जवाबी कार्वाई में जेईएम का मसूद अजहर के पूरे परिवार का सफाया हो गया. इसी तरीके से आईसी 814 कंधार हाईजैक का भी आरोपी युसुफ अजहर को भी सेना ने ढेर कर दिया. भारतीय सेना की इस उपलब्धि को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः Absolutely we ऑल सैल्यूट टू भारतीय सेना इंडियन आर्मी and the leadership नरेंद्र मोदी ये तय था बस थोड़ी सी कसर रह गई मसूद अजर का जो है उनका पूरा परिवार नष्ट हो गया 14 मेंबर थे सब मारे गए तो इतना निराश हुआ तो उन्होंने कहा कि या खुदा मैं भी मर जाता तो अच्छा होता तकदीर थी बच गया वो अगली बार नहीं बचेगा तो ये दोनों जो है ना ये की टारगेट थे इंडियन आर्मी के क्या भारत सरकार के एंड एंटी एंटी टेररिस्ट प्लान के तो एक का तो परिवार खत्म हुआ दूसरा खुद खत्म हो गया.
ऐसी आशा की जानी चाहिए कि अगले किसी अटैक में जो है ना ये दोनों सामने आएंगे. भारत के लोग यह चाहते हैं कि जिस तरह इजराइल में जो है हसन नसरुल्लाह उनको जैसे मारा गया है. ऐसे भारतीय सेना किसी दिन जो है टारगेटेड करके एक तरह से फोकस करके जो है यह हाफिज सईद और मसूद अजर को भी मार गिराए.
भारत के लोगों की आकांक्षा और इच्छा है. तो जो आपका पहला सवाल था तो वी ऑल सैल्यूट एंड एप्रिशिएट एडमायर इंडियन आर्मी फॉर हैविंग डिसाइसिवली लिक्विडेटिंग दी टू एक का तो परिवार और दूसरा खुद जो है. तो नाउ लेट्स सी हाउ इंडियन आर्मी गेट्स दी टू पीपल इन देयर हैंड्स. लेट्स सी.
सवालः सर आर्मी ने अपनी पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए प्रेस ब्रीफिंग में ब्रिगेडियर और लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारियों की बजाय दो लेडी ऑफिसर्स पर भरोसा जताया. उसमें कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर विमुखा सिंह को जो जिम्मेदारी सौंपी गई इस एक्सपेरिमेंट को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः It is a brilliant and प्रगमेटिक मूव ऑफ़ नरेंद्र मोदी. आर्मी लीडरशिप Must have inspired by नरेंद्र मोदी टू हैव दिस एक्सपेरिमेंट. आप देखिए. और दूसरा क्या है? it is a Secular फेस ऑफ इंडियन आर्मी. एक हिंदू ऑफिसर, एक मुस्लिम ऑफिसर.
बड़ा अच्छा मैसेज गया इसका. पूरे देश में हिंदू से मुस्लिम्स हैं. मुस्लिम समुदाय में मुझे डेफिनेट इनेशन है. बहुत खुशी इस बात पे जताई. लोग प्रभावित हुए. तीसरा क्या है कि इनका ब्रांडिंग हुआ है दोनों लेडी ऑफिसर्स का. अब यंग लड़कियां जो है आर्मी में आने के लिए प्रोत्साहित होंगी.
इससे एक तरह से जो कहना चाहिए. तो ब्रांडिंग हुआ है. आज ये कहीं बाजार में निकलेंगी तो आप देखिए दे हैव बिकम सम सॉर्ट ऑफ अ स्टार और टेलीविजन स्टार जहां जाएंगे लोग इकट्ठे हो जाएंगे उनको देखने के लिए. तो ये वुमेन एंपावरमेंट है और कोई बड़ी बात नहीं नरेंद्र मोदी के वुमेन एंपावरमेंट किस दिन उनके मन में आए कि इन दोनों को चुनाव लड़ाते हैं.
तो टिकट देके इनको चुनाव लड़ा सकते हैं. हैंड्स डाउन दोनों जीत जाएंगी. तो कुल मिला के एक अच्छा प्रयोग हुआ है. वुमेन एंपावरमेंट का मैसेज गया है और आर्मी में और सब जगह जो है ना मैंने देखा कि आर्मी की और विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस नॉर्मली बोरिंग होती है.
जाते हैं लोग लिखने के लिए. लेकिन जब से दोनों बैटरी लगी तो लोगों में क्रेज है इनके प्रति. मीडिया में क्रेज है कि देखो इनको सुनो ये क्या कहती हैं, क्या अच्छा करती हैं. तो इट इज़ अ वेरी गुड एक्सपेरिमेंट बाय आर्मी अंडर द लीडरशिप नरेंद्र मोदी एंड दिस शुड फर्दर कंटिन्यू. इसी तरह से जब मैं महिला ऑफिसर्स को पुलिस यूनिफार्म में देखता हूं आईपीएस ऑफिसर्स को तो लोग बड़े प्रभावित होते हैं उससे.
अभी मैं एक बार नोएडा के पुलिस कमिश्नर से मिला लक्ष्मी से तो मैंने देखा कि क्या ठसका था. क्या पुलिस ड्रेस में कितनी इंप्रेसिव लगती हैं. जयपुर में मैं सब देखता हूं. तो आने वाले समय में मेरा कहना यह है कि एज ए वुमेन एंपावरमेंट जो है ना महिला अधिकारियों की आर्मी में आईपीएस में नियुक्तियों को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
ऐसा मेरा मानना है कि पुलिस या आर्मी ड्रेस में जब महिला अफसर होती हैं तो उनका जो प्रभाव है मोरल अथॉरिटी मोरल प्रभाव जो है फील्ड में वो शायद पुरुषों से ज्यादा दिखाई देता है. ऐसा मुझे लगता है.
सवालः सर प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभी ऑपरेशन को ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया और ऐसा लोगों के ज़हन में भी अब है कि इसने देश की नारी शक्ति के मर्म को छुआ है. अब क्या आपको भी ऐसा लगता है?
जवाबः बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. आज सारे देश की जो पीड़ा है उसका चेहरा जो है वो जो कैप्टन विनय है उनकी शोक मग्न पत्नी बन गई है. अभी आपने इंडिया टुडे कवर स्टोरी देखी होगी जी कि बेचारी बैठी है पति का शव हाथ में लिए हुए तो बिल्कुल मर्म को छुआ है जिसे है और सारे देश ने ये आप देखिए टेलीविजन पे किस तरह से एक महिला जो है आतंक का शिकार महिला जो है पति का शव लेके वहां बैठी हुई है तो सारे देश की महिलाओं का मर्म को छुआ उसने और दूसरा क्या है कि लोगों ने यह भी देखा कि सेना ने जो है सिंदूर का शौर्य किस तरह से बनाया जिन लोगों ने सिंदूर खत्म किया था सेना ने उनको खत्म कर दिया. जिन लोगों ने सिंदूर उजाड़ा था, सेना ने उनको बर्बाद कर दिया.
इन अ वे जो है यह इस सारी दुखद घटना का एक जो मैसेज है मर्म को छूने वाला वो इससे गया है. और एक बात और है कि शायद PM ने सब चीफ मिनिस्टरर्स को कहा होगा, पार्टी चीफ को कहा होगा कि जहां-जहां इनके शव जा रहे हैं जो ये यात्री थे जिनकी हत्या हुई वहां पे उसको सम्मान दिया जाए.
तो सब जगह सम्मान हुआ. मंत्री पहुंचे, लोकल ब्यूरोक्रेसी पहुंची और पूरे मान सम्मान के साथ जो दुर्घटना तो होनी थी हो गई उसको. पोस्ट दुर्घटना जिस तरह से उसका Human Aspect था उसको जो नरेंद्र मोदी सरकार ने डील किया वो उसकी तारीफ की जानी चाहिए.
सवालः सर आतंक के खिलाफ इस लड़ाई में तीनों Forces ने जो कलेक्टिव लीडरशिप एंड रिजल्ट ओरिएंटेशन दिखाया उसको आप किस तरह से देखते हैं?
जवाबः बहुत अच्छा.once again the credit goes to the leader narendra modi वो क्लोजली एसोसिएटेड थे. सबसे बड़ी बात थी कि उनके आदेश में उनके डिसीजन मेकिंग प्रोसेस में फैसलों में क्लेरिटी थी. एक फ्री हैंड था आर्मी कमांडर्स के लिए और माइंड क्लियर था. कोई कंफ्यूज नहीं था. आमतौर पे क्या है? वॉर के समय पॉलिटिकल लीडरशिप कंफ्यूज होती है. Clarity नहीं होती डिसीजन मेकिंग में कमान देने में. नरेंद्र मोदी के लेवल पे क्लेरिटी थी. तो सब एकजुट थे और तीनों में कोऑर्डिनेशन बहुत अच्छा था.
तो मैं कह सकता हूं इट वाज़ कंप्लीटली फ्लोलेस ऑपरेशन जो उन्होंने किया है और इसके लिए उनकी तारीफ होनी चाहिए. It was a good experiment of all the three forces working together closely with each other and something good which other people should learn, other institution should learn that how to work collectively and how to be result oriented.
सवालः सर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पहलगाम में मारे गए 26 लोगों के परिवारों की क्या प्रतिक्रिया रही होगी? क्या इमोशंस रहे होंगे?
जवाबः देखो दुख में डूबे हुए तो थे ही. अब नरेंद्र मोदी ने उनके आंसू पोंछे एक तरह से तो जो उजड़ गए थे सुहाग जो है वो सब ने देखा किस तरह उसका बदला लिया नरेंद्र मोदी ने उन लोगों से आतंकियों से है. तो बस इस तरह का है मन में कि हमारी सुनने वाला कोई है.
हमारे से कोई आदमी कंसर्न फील कर रहा है जो है. सो दिस इज ऑल तो लोग मतलब दुख में भी थोड़ा सा खुशी है चेहरे पे कि मान सम्मान दे रही है सरकार हमें. और बाकी तो उनका जो नुकसान था वह तो हो गया. देखो तो इरपेरेबल लॉस था जो लोग चले गए जीवन से लेकिन क्या है ना शो मस्ट गो ऑन तो उस थ्योरी के अंदर जो है शो मस्ट गॉन थ्योरी के अंदर जो है वो सब लोग आज मोदी के प्रति कृतज्ञ भाव रखते हैं, और उन्हें प्रणाम करते हैं.
सवालः सर भारत के केवल नौ हथियारों और मिसाइलों ने पाकिस्तान में तबाही मचा दी. सर ये ब्रह्मास्त्र है आखिर कौन सा?
जवाबः एक तो ब्रह्मास्त है आपका जो है उसने सात एयरवेज पाकिस्तान के जो है उनको डैमेज किया अकेले ने. फिर S400 है जिसको आप सुदर्शन चक्र जो है वो है फिर आकाश है. तो सबसे बड़ी बात ये कि ज्यादातर इंडिया मेड जो आर्म थे उनका एग्जाम था. उनकी परीक्षा थी ये और वो सब खरे उतरे हैं. अब एस4 का इतना आतंक रहा और अभी देखिए नरेंद्र मोदी कल आदमपुर गए थे तो उनके पीछे जो है ना वो प्लेन का बना हुआ था.
एस4 का सेंस ऑफ गौरव और आदमपुर जो गए वहां पे तो नरेंद्र मोदी का एक मैसेज होता है हर बात के अंदर. पाकिस्तान ने प्रचार किया था कि हमने आदमपुर एयरबेस को खत्म कर दिया. वो डैमेज कर दिया. उन्होंने कहां है डैमेज? मैं खड़ा हूं ना.
तो पाकिस्तान का जो ब्लफ था इंटरनेशनल मीडिया में तो नरेंद्र मोदी ने उसको एक्सपोज किया वहां जाकर के तो हथियार थे और हथियारों का और मैंने सुना है इसमें से कुछ हथियार ऐसे हैं अब दूसरे देश हैं इनको खरीदने की सोच रहे हैं भारत से तो पहली बार हुआ है कि भारत के हथियार जो है, ना संसार में मार्केट में आगे बढ़े हैं और उनकी डिमांड होने लगी है.
देसी सवाल सर एक हीरो जिसका आप जिक्र कर रहे हैं S400 रशिया का और S400 का जिक्र बार-बार इस पूरे दौरान में हुआ तो आपको लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अमेरिका के Sanctions की परवाह किए बिना S400 जो सुदर्शन मिसाइल है. उसको खरीदा उसका इस्तेमाल किया हां मैंने सुना था ये अमेरिका इस खेस के खिलाफ था नरेंद्र मोदी सरकार ने स्टैंड लिया उसमें नेचुरली प्रधानमंत्री ने स्टैंड लिया होगा इस लेवल पे जो है और स्टैंड उनका खरा उतरा उनको लगा कि उनका फैसला रेट्रोस्पेक्ट जो फैसला किया था S4 का वो सही था. S4 ने सबको मात दी यहां पे चाइनीज़ मिसाइल तक को मात दी उन्होंने जाके. तो मोदी मस्ट बी हैप्पी मैन एंड मस्ट बी फीलिंग गुड अबाउट ह अर्लियर डिसिशन टू टेक अ स्टैंड अगेंस्ट अमेरिकन एडवाइस.
सवालः सर पाकिस्तान के आतंकी कैंपों पर स्ट्राइक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सभी देशों को विश्वास में लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस कंसेंसस डिप्लोमेसी को आप किस तरह से देखते हैं?
जवाबः देखिए नरेंद्र मोदी फॉर द लास्ट कपल ऑफ इयर्स इज रिडफाइनिंग इंडियन फॉरेन पॉलिसी द पॉलिसी डिप्लोमेसी ऑफ कंसेंससेस लड़ाई से काफी पहले जो है उन्होंने जितने बड़े राष्ट्र हैं उन सबको विश्वास में लिया चाहे अमेरिका था, रशिया था फ्रांस है, ब्रिटेन है.
सबको विश्वास में लिया उन्होंने जो है और एक सहमति बन गई थी इस तरह की और सात बड़े राष्ट्रों ने तो घोषणा करके कहा था कि India has right to self defence. भारत को आत्मरक्षा में गोली चलाने का अधिकार है एक तरह से तो अच्छा ये पॉलिसी काम आई इसलिए जब लड़ाई हुई आपने देखा तो इस टर्की और उसके चाइना के कोई पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा नहीं हुआ और देखा जाए तो भारत के समर्थन में पूरे संसार की मौन सहमति थी एंडोर्समेंट था नरेंद्र मोदी के एक्शन का एक्सेप्ट दी टू कंट्रीज तो ये मूव अच्छा था लड़ाई से पहले सबको साथ लेना सबको विश्वास में ले चलना ट्रांसपेरेंसी रखना उनको बताना कि हम ये करने वाले हैं इट वास अ गुड मूव व्हिच हैज़ गिवन रिजल्ट्स.
सवालः सर ऐसा पहली बार देखा गया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में कश्मीर और आतंकवादी दोनों दोनों अलग-अलग दिखाई दिए. इस डेवलपमेंट को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः ये एक बड़ी घटना है. ये एक बड़ी डिप्लोमेटसिक विक्ट्री है नरेंद्र मोदी सरकार की और इसमें जो है एक क्लियर डिस्टिंग्शन हैज़ बीन मेड दिस टाइम टू सेपरेट कश्मीर इशू फ्रॉम टेररिज्म जो है ये ये पहली बार हुआ है. ये बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक वेन है नरेंद्र मोदी की जिसे कहना चाहिए. आमतौर पे कहता था दोनों मिक्स अप हो जाते थे. तो कश्मीर का मुद्दा हावी हो जाता था.
टेररिज्म छिप जाता था उसके पीछे. अब कि क्या सारा फोकस जो है ना बहुत स्मार्टली जो है ना टेररिज्म पे हो गया है और टेररिज्म का विरोध कोई नहीं कर सकता. कश्मीर के विरोध में तो लोग दो आदमी बोल सकते हैं.
टेररिज्म पे तो हर का एक ही मत है कि एवरीबडी शुड एक्ट अगेंस्ट टेरर एंड स्पेशली अगेंस्ट इस्लामिक टेरर जो है तो वो स्मार्ट मूव है और उन्होंने बहुत जो क्लियरली इनको डिफरनशिएट कर दिया है कश्मीर और इन दोनों को जो है इट इज़ अ वेरी गुड डिप्लोमेटिक मूव.
सवालः सर इसी से जुड़ा हुआ 35 सालों में हमने ऐसा पहली बार देखा कि कश्मीर में भी किस तरीके का आक्रोश नजर आया. लोग आतंकी हमले के बाद सड़कों पर उतर आए. बाजार को बंद किया गया. कश्मीर में आए आतंकवाद के खिलाफ इस टर्निंग पॉइंट को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः Its a dramatic turning point I should say और its a very good move. its a very positive indication for the entire country Especially for the narendra modi, अमित शाह जो इतने लंबे समय से कश्मीर में शांति स्थापना में लगे हुए हैं.
इस पूरी घटना से जो है ना कश्मीर के सब लोग आतंक के खिलाफ एकजुट हुए. और मस्जिदों से आवाज आई कि इंसानियत का एक कत्ल बंद हो हजरत बल्लक में. वहां पे जो अगली नमाज की जो थी तो उस नमाज से पहले जो है बकायदा दो मिनट की श्रद्धांजलि इन सब लोगों को दी गई.
इसके बाद में मीर रवाज फारूक अब्दुल्लाह इन सब ने एक ही आवाज में कहा कि दहशतगर्दी है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. इसके बाद 28 अप्रैल को जो है वहां पे कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र हुआ. उसमें प्रस्ताव पारित किया गया.
दहशतगर्दी के खिलाफ और मारे गए लोगों के प्रति जो है ना संवेदना और सहानुभूति का प्रस्ताव जो है वहां पर पारित हुआ. इसके बाद लोग सड़कों पर निकले. लड़के लड़कियों ने जो ना हाथ में बैनर ले किए कि स्टॉप इनोसेंट किलिंग्स जो है टेरर विल नेवर विन यूनाइटेड इन ग्रीफ.
इस तरह के नारे लेके सब लोग चले. नई नई सिचुएशन थी. वहां पे बाजार बंद हुए. आप देखिए जो लोग वहां पे होटल चलाते हैं छोटे कारोबारी बुनकर ये सब उसमें शामिल हुए. लकड़ी की नकासी पे लोग काम करते हैं वो इसमें शामिल हुए.
छोटे-छोटे होटल वाले और वो आपके जो शिकारा है वो वाले हाउस वोट वाले जो हैं ये सारे लोगों ने मिलकर के शाम को जो है कैंडल जुलूस निकाला कश्मीर के इतिहास में अद्भुत और सबका एक ही मैसेज था हमारे नाम पे ये खून की होली बंद करो.
हम तुम्हारे साथ नहीं हैं. तो इट इज़ अ स्ट्रेटेजिक फेलर ऑफ़ पाकिस्तान फॉरेन पॉलिसी एंड दिस टाइम स्ट्रेटजिक विक्ट्री फॉर नरेंद्र मोदी एंड अमित शाह. आमतौर पे क्या था कि कश्मीर में ये धारणा थी और धारणा सही भी थी कि कुछ एक लोग एक वर्ग वैसा है जो पाकिस्तान के प्रति एक साइलेंट सहानुभूति रखता था. इस घटना के बाद में सहानुभूति लगभग खत्म है.
आप मान लीजिए 90% खत्म है सहानुभूति. पूरा कश्मीर जो है ना इस एक मुद्दे पे उन आतंकियों के खिलाफ खड़ा हुआ है. तो किसी भी आतंकी घटना को लेके पूरा कश्मीर एक साथ खड़ा हुआ हो. यह 35 साल में पहली बार हुआ है.
एंड द क्रेडिट गोज़ टू द लीडरशिप. इसे कहना चाहिए. देयर इज़ अ वेरी गुड डेवलपमेंट इज़ अ वेरी गुड टर्निंग पॉइंट इन द पॉलिटिक्स ऑफ़ कश्मीर व्हिच विल हैव लॉन्ग रीचिंग इंप्लिकेशंस. सर पहलगाम की इस घटना के बाद अब कश्मीर में टूरिस्ट और वहां पर हालात नॉर्मल होने की किस तरह की संभावना दिखाई देती है? देखो संभावना तो इस पर है कि अब जनता का
एक तो मूड है. एक तो आजकल क्या है करेजस टूरिज्म भी चालू हो गया है. लोग रिस्क ले जाते हैं. 20,000 फीट पे खड़ा है, कोई 15,000 फीट पे खड़ा है, कोई मुहाने पे खड़ा है. पानी में बह भी रहे हैं लेकिन फिर भी मर भी रहे हैं.
लेकिन फिर भी एक है. तो कुछ एक लोग अभी भी ऐसे हैं जो कहते हैं करेज टूरिज्म में बिलीव करते हैं. वो लोग अगर आगे बढ़े और कश्मीर फिर से जाना शुरू किया उन्होंने. तो उन्हें देख के बाकी लोग भी जाना शुरू कर सकते हैं वहां पे जो है और दूसरी बड़ी बात यह है कि अभी तो हालात अच्छे नहीं है.
90% होटल की बुकिंग्स कैंसिल है. सब ट्रेवल एजेंट बैठे हुए हैं वहां पे और बाजार सुने हैं. लोग दुकान पे बैठे हुए हैं तो ग्राहक नहीं है. शिकारे वाले खड़े हैं. उनके कर्मचारी बाहर वहीं झील पे बैठे हुए हैं. रोजगार नहीं है.
अब कितने दिन ये चलेगा देखने की बात है. जबकि श्रीनगर और कश्मीर तो टूरिज्म का बिल्कुल जिसे कहना चाहिए कि एक गढ़ बन गया था. अब 2023 में जो है ना करीबन 2 करोड़ 32 लाख लोग अकेले वहां जो है कश्मीर में घूमने गए. 65,000 विदेशी वहां पर गए. यह कहना चाहिए इसको 10 लाख लोगों को वहां रोजगार मिलता है. अब इन सारे हालात से
सरकार चिंतित है. भारत सरकार के पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी इससे चिंतित हैं, वरिड हैं और वर्कआउट कर रहे हैं. कुछ ऐसा प्लान बने कि जनता का कॉन्फिडेंस वहां कैसे रेस्टोर हो टूरिज्म के प्रति बीते हुए दिन कैसे वापस आए. वरना कश्मीर की सारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी.
लेकिन जनता का जो मूड और ट्रेंड है ऐसा लगता है मेरा व्यक्तिगत आकलन है. अगले कुछ दिनों में अगर शांति रही तो लोग फिर से जाना शुरू कर देंगे वहां पे. तो लेट्स प्रे कि ऐसा हो वापस और जन्नत था कश्मीर का जो तुलिप गार्डन देखा करते थे वो दिन लौटे कश्मीर में और फिल्म वाले लोग और बाकी पर्यटक जो हैं सारे लोग फिर से श्रीनगर जाएं ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए.
सवालः जी सर कश्मीर विधानसभा के विशेष सत्र में सीएम उमर अब्दुल्ला ने इस सारी घटना में सरकार की विफलता की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सबको चौंका दिया. आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाबः इस नैतिक जिम्मेदारी को लेकर पूरे कश्मीर में बल्कि देश के एक बड़े भाग में अब्दुल्ला एक हीरो बन गए हैं. एक सहानुभूति के पात्र बन गए हैं. एक समर्थन के पात्र बन गए हैं. आप देखिए उन्होंने दो टू कहा कि कानून व्यवस्था का मैं इंचार्ज नहीं हूं यहां पे. ठीक है? लेकिन फिर भी पर्यटन मंत्री के नाते जो लोग आए थे मेरे भरोसे आए थे कि मैं इन्हें सुरक्षा दूंगा.
मेरे मेहमान थे. मैं उन्हें जो है सुरक्षा नहीं दे सका. तो मैं माफी मांगना चाहता हूं. माफी मांगने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. इस सारी घटना से जो है हम अंदर से टूट गए हैं. पहले कश्मीरी पंडित और सिख समुदाय के साथ ऐसा हुआ था.
अब लंबे समय बाद ऐसा हुआ है तो बहुत ही अभी जिसे कहना चाहिए ना गम में थे और यथार्थ उन्होंने स्वीकार किया और पूरे देश ने उनकी इस बात को उनकी इस नैतिक जिम्मेदारी की जो नैरेटिव है जो कांसेप्ट है जो फीलिंग है उसको रेस्पेक्ट किया और एक अलग स्थान जो है ना कश्मीर से बाहर निकल के पूरे देश में बना इस घटना से लेकिन सर इस पूरे माहौल में क्या जम्मू और कश्मीर को स्टेटहुड का दर्जा दिए जाने के कोई आसार है क्या?
नहीं लगता इट हैज़ बिकम अब्सोलुटली रेवेंट एट द मोमेंट दूल्ला ने कहा है कि ऐसे टाइम पर इसकी बात करना एक गुनाह है. 26 लोगों की लाशों पे बैठ के मैं कैसे स्टेटहुड मांग सकता हूं. कोई चांस ही नहीं है अभी इस बात का जो है तो खुद वो नहीं चाह रहे हैं और माहौल भी नहीं है.
भारत सरकार ने भी कहा था कि एप्रोप्रियट टाइम पे देंगे. तो टाइम अभी तो 6 आठ महीने तो गया है कम से कम ऐसा दिख रहा है और मुझे लगता है कि कश्मीर में जो कुछ हुआ है इवन कश्मीरी लोग भी इस मुद्दे को भूल चुके हैं.
स्टेटहुड क्या कोई मुद्दा था कभी सब अभी तो गवर्नमेंट डूबे हुए हैं. सबके मन में एक ही एक ही उत्सुकता है. एक ही चिंता है कि यार काम कब चालू हो? टूरिस्ट कब आना शुरू हो? हमारे रोजगार फिर से कब से चालू हो?
तो स्टेटहुड में अब कोई वहां इंटरेस्टेड नहीं है और खुद उद्दुल्लाह पीछे हट गए उससे. तो अभी कोई फिलहाल ऐसा चांस मुझे दिखता नहीं है. अभी तो पहली आवश्यकता वहां लॉ एंड ऑर्डर लोगों में पीस और लोगों में कॉन्फिडेंस रेस्टोर करने की है ताकि लोग फिर से इस जन्नत में लौटें और इस श्रीनगर को इस कश्मीर को इकोनॉमिकली फिर से रिवाइव करें.
सवालः सर क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि वाशिंगटन अब साउथ ईस्ट एशिया का क्राइसिस मैनेजर नहीं रहा?
जवाबः इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जगदीश चंद्र ने कहा कि हां बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप. आप मैनेजर नहीं है. खासकर ट्रंप के आने के बाद में क्या लोगों का भरोसा टूटा है? ट्रंप की रिलायबिलिटी बहुत कम है. He इज़ अनप्रिडिक्टेबल. तो कोई भी राष्ट्र उसके कहने से उसके हिसाब से दबाव की बात अगर छोड़े तो नहीं चलना चाहता. पाकिस्तान तक को पूरा भरोसा नहीं है कि ट्रंप फाइनली क्या करेगा.
भारत तो आप जानते ही हैं. तो बात फैक्ट है कि साउथ ईस्ट एशिया में जो है अमेरिका स्पेशली ट्रंप देयर लॉस्ट देयर लीडरशिप एंड क्रेडिबिलिटी. सर 22 तारीख से लेकर 11 मई तक जिंदगी और मौत मौन रही. सवाल मुखर रहे.
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में आपको कैसा लगता है जो पाकिस्तान के आर्मी चीफ है आसिम मुनीर उनका रोल देखो जनरल मुनीर जो है बेसिकली जिहादी जनरल है ही इज़ एमर्ज एज अ प्रिंसिपल कंसरेटर एंड प्रिंसिपल विलेन इन दिस एंटायर अनफॉर्चूनेट एपिसोड ही इज़ ए टॉक्सिक वर्जन ऑफ जिन्ना एंड जिया आप कह सकते हैं.
Who इज़ रेजिंग एक्सटर्नल थ्रेट इश्यूज जस्ट टू कंसोलिडेट पोजीशन ऑन द इंटरनल इश्यूज और कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ही इज़ टेकिंग पाकिस्तान ऑन ए सुसाइडल पाथ एंड इफ आईएसआई एंड आर्मी फॉलो ह मैंडेट टू क्फर्ट विद इंडिया देन आई थिंक दे मस्ट रिमेंबर के व्हाट नरेंद्र मोदी हैज़ डन इन सिंदूर वाज़ जस्ट अ ट्रेलर व्हाट नरेंद्र मोदी कैन शो देम. सर एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में पाकिस्तानी सेना ने यह खुद मान लिया है
सवालः पाकिस्तान के दुस्साहस को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः वेरी डेरिंग और पाकिस्तान नहीं आर्मी का दुस्साहस है. मुनीर का दुस्साहस है. उसमें मुनीर आईएसआई चीफ थे. मैंने पढ़ा है सारा ऑपरेशन उन्होंने उसमें मॉनिटर किया था. जिसमें 40 जवान मारे गए थे. अब इससे बड़ा प्रूफ और क्या चाहिए? अब तक यह लोग कहते रहे कि पाकिस्तान जिम्मेदार है.
भारत के लोग सारी ऑडियंस में इंटरनेशनल ऑडियंस में कहते रहे और अब तो खुद पाकिस्तान कह रहा है कि हम जिम्मेदार हैं. देखिए तो उसने ये रिलीज करके जो है इंडिया के लिए बड़ा उपकार किया है.
भारत जो है ना यूनाइटेड नेशंस में अमेरिका को ये दिखा सकता है कि देखिए नाउ देयर इज़ नो नीड ऑफ़ एनी इन्वेस्टिगेशन. नो रिक्वायरमेंट ऑफ़ एनी वेरफ़िकेशन. यह खुद कह रहे हैं कि पुलामा हमारा किया हुआ था.
इससे बड़ी क्या बात हो सकती है? तो इट इज अ डायरेक्ट एक्ट ऑफ वॉर डिक्लेयरिंग वॉर ऑन इंडिया जो है तो अगली बार अगर भारत की तरफ से बड़ी कारवाई होती है और भारतीय सेनाएं एंटर करती है पीओके में तो ये डॉक्यूमेंट बड़ा काम आएगा वहां पे कि ये इनकी स्थिति काम करने वी आर ओनली रेस्पोंडिंग टू देयर मिस एडवेंचर जो कहना चाहिए इज़ अ वेरी
डेरिंग एक्ट इज़ अ मिस एडवेंचर ऑन द पार्ट ऑफ़ पाकिस्तानी आर्मी यस सर इंडियन आर्मी की स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में पाकिस्तानी अफसरों की मौजूदगी क्या संकेत देती है? बिल्कुल संकेत क्लियर है कि पाकिस्तान में आर्मी एंड टेररिस्ट दे आर वन एंड टोटल जो सेना है टेररिस्ट की इट फंक्शनंस अंडर द कवर एंड एक्टिव सपोर्ट ऑफ आर्मी बिल्कुल क्लेरिटी है. खुद नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया है इंटरनेशनल फोरम में और ये कहा कि देखिए आप ये फोटो क्या कहते हैं इसको. तो दो घटनाएं ऐसी हुई हैं जो इंडिया के लिए डिप्लोमेटिकली बहुत फेवरेबल हैं.
एक तो यह उनके जनाजे में पाकिस्तानी सेना के लोगों का खड़ा होना और दूसरी पाकिस्तानी सेना खुद का मानना कि पुलगांव में हम लोग थे और हमारा क्रिएशन था. दिस इज वेरी वेरी सरप्राइजिंग एंड शॉकिंग बोथ द इंसिडेंट्स. इट इज़ अ मैटर ऑफ़ फैक्ट. तो दैट विल अल्टीमेटली बेनिफिट इंडिया इन द कमिंग डेज.
सवालः सर आज पूरे देश में इस बात पर आम सहमति है कि यह पहलगाव में जो हमला हुआ उसमें स्थानीय पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसीज का एक फेलोर रहा. इसको आप कैसे देखते हैं?
जवाबः बिल्कुल सही है. देयर इज़ अ साइलेंट कंसेंससेस ऑन द सीरियस इशू क्योंकि वक्त नहीं था इसलिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ जो लोग भी जिम्मेदार थे. वो सरकार सेकंड पार्ट में देखेगी शायद जाके.
लेकिन बात वाकई में किसी के गले नहीं उतरी. क्यों एक पुलिस की चौकी भी नहीं थी. एक पीसीआर वैन जिसे कहते हैं पुलिस की घूमती रहती है वह भी नहीं थी. कोई सिपाही नहीं था, कांस्टेबल नहीं था, थानेदार नहीं था, कोई तहसीलदार नहीं था.
कुछ नहीं था वहां पे और एक इंटरनल इंफॉर्मेशन तो थोड़ी रहती थी और कुछ दिन पहले सूचना भी आई थी कि टेररिस्ट ओरिएंटेड किसी प्लेस को लोग टारगेट कर सकते हैं. लेकिनकि वक्त क्या है कि आपसी आलोचना का या कमियां निकालने का नहीं है. इसमें तो शत्रु से मुकाबला करने का वक्त है.
इसलिए बात ठंडे बस्ते में है. लेकिन इसमें मौन सहमति है एडमिनिस्ट्रेशन में श्रीनगर में दिल्ली में कि चूक वहां पे जरूर हुई है सब लोगों से. तो ठीक है वक्त आएगा तो अब चूक से आदमी सीखता है जो है तो हमें आशा की जानी चाहिए कि वहां काफी इल्जाम अब ठीक हो गए होंगे फ्यूचर के लिए सर्टेनली हो जाते हैं जो घटना हो जाती है.
वहां पे जो है और चूक हुई है इसमें कोई दो राय नहीं है सर पाकिस्तान में ये आम चर्चा है कि बलूचिस्तान की लड़ाई में भारत का भी रोल है इस पर आप क्या कहेंगे मैं नहीं समझता अब वैसे तो क्या है कि रोअर इंटरनेशनल एजेंसीज जो है हर कंट्री में वाइससा काम करती हैं लेकिन अपेरेंटली मुझे लगता है वो उनका आंतरिक एक मामला है वहां पे जो है और पाकिस्तानी सेना को पीट रहे हैं लगातार एक पूरी ट्रेन ही हाई जैक करके चले गए.
फिर अभी था 50 सैनिक उन्होंने पाकिस्तान आर्मी के मार दिए वहां पे जो है तो भारत का बहुत रिमोटली कुछ इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में कहीं कुछ रॉ इनका कोई थोड़ा बहुत कहीं रहा हो तो हो कह नहीं सकता.
बाकी लगता नहीं है मुझे कि इंडियन आर्मी कहो या इंडियन रॉ कहो या और जो एजेंसीज हैं इंडिया की जो है वो इन्वॉल्व रही हो इसके पीछे उनको प्रवोक करने में. आई डोंट थिंक इंडिया हैज़ एनी इन्वॉल्वमेंट इन दैट इशू.
सवालः सर आतंक की इस लड़ाई में पॉलिटिकल पार्टी के तौर पर कांग्रेस का रोल क्या रहा है?
जवाबः कांग्रेस का ये रुख रहा कि इसमें राहुल गांधी की क्रेडिबिलिटी थोड़ा सा वापस हुई. पहले तो उनकी यात्रा निकली थी जो उसमें थोड़ा उनका माहौल बना था. बाद में उनके कई ऐसे वक्तव्य थे. फिर वो डाइलट हो गया था. वापस लोगों ने उन्हें सीरियसली लेना छोड़ दिया था. लेकिन इस बार कुछ उन्होंने बहुत वाइजली एक्ट किया.
ऐसा कांग्रेस वालों का मानना है. एक कांग्रेस नेता का ये कहना था कि इस सारी घटना से जो है नरेंद्र मोदी को तो मान लो 90% मार्क्स मिले तो 15 20% मार्क्स जो है रिकवरी जो है वो राहुल गांधी की भी हुई. डे वन से उन्होंने कहा कि हम सरकार के साथ हैं.
दो टूक क जो है कोई पॉलिटिकल मुद्दा नहीं उठाया. सेकंड टाइम सरद बैठक की बात आई तो उन्होंने कहा हम सरकार के साथ हैं. फिर एक पत्रकार ने उनसे पूछा कुछ कहलाना चाहा कि देखिए यह जाति गणना का मुद्दा सरकार ने ऐसे टाइम पे उठाया है.
आप कुछ कहेंगे उसने कहा नहीं मैं सरकार के साथ हूं. तो कुल मिला के क्या है कि कांग्रेस में पर्सनली जो राहुल गांधी है ही हैज़ गेंड इन दिस एंटायर सीरीज. लेट्स सी कब तक उनका यह मैच्योर पोश्चर बना रहता है और राजनीति की बात है तो युद्ध विराम के बाद राजनीति होती है तो राजनीति में कांग्रेस कह रही है उन्होंने इंदिरा गांधी का मुद्दा उठाया था वो चला नहीं ज्यादा कोई लोगों ने इसको ग्रहण नहीं किया मोदी के प्रति आस्था है लोगों की इसलिए कोई ज्यादा सुनना नहीं चाहते 71 की परिस्थितियां अलग थी आज की परिस्थितियां अलग है व्यक्ति काम करता है.
समय देश काल की परिस्थितियों से एट द मोमेंट व्हाट बेस्ट कुड हैव बीन डन मोदी हैज़ डन इट सो देयर इज़ नो इशू अब कांग्रेस विपक्ष कह रहा है कि एक पार्लियामेंट में बहस होनी चाहिए. अटल जी के टाइम में भी नहीं हुई थी.
तो शरद ने ठीक कहा है कि सेंसिटिव इशू है. इसमें बहस नहीं हो सकती. तो अपोजिशन भी डिवाइडेड है. इस मुद्दे पे है. तो कुल मिला के क्या है? कांग्रेस का ठीक-ठाक सा रोल रहा था. बाद की राजनीति तो वो कर रहे हैं जो है लेकिन इंडिविजुअली राहुल गांधी आई थिंक ही गेन टू सम एक्सटेंट इन दिस एंटायर एपिसोड. ऐसा लगा.
सवालः सर. लेकिन आमतौर पर सत्ता पक्ष की आलोचना करने वाले ओवैसी इस बार ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार के साथ नजर आए. और उनका जो हृदय परिवर्तन है उसको आप कैसे देखते हैं? कैसे हृदय परिवर्तन हुआ?
जवाबः अच्छा है. यह विचित्र किंतु सत्य है जिसे कहते हैं. लेकिन दिशा ठीक है इसकी. उनकी इमेज का मेकओवर हुआ है पूरे देश में. एक बड़ी संख्या में हिंदू मतदाता भी उनकी तरफ आकर्षित हुए हैं. इससे पीओके के बारे में उन्होंने जो स्टैंड लिया है मोदी के साथ खड़े होने का जो है और एक राजनीति में क्या है? कुछ भी हो सकता है. जैसे कहते हैं. कोई भी चीज़ राजनीति में हो सकती है.
कोई स्थाई शत्रु मित्र नहीं होता है यह. लेकिन एक पहले भी कुछ लोग कहते थे कि भाजपा की बी टीम है कहीं-कहीं किसी राज्य में ओवैसी जो है लेकिन यह तो उन्होंने अपने मन से वक्तव्य दिया है. अब उसका भी हो सकता है लेकिन उसका बेनिफिट पॉलिटिकल बेनिफिट आज हालांकि जंक्चर ऐसा है कि हम पॉलिटिकल बेनिफिट की बात नहीं कर सकते.
लेकिन आगे जाकर उनका ये बयान जो है ये भाजपा के लिए काफी सहायक सिद्ध होगा और खुद भी थोड़ा सा हीरो उनकी एक्सेप्टेबिलिटी जो है हिंदू वोटर्स में भी थोड़ा सा इससे बड़ी है और लोग ट्वीट कर रहे हैं कि अगर पीओके में सरकार बनती है नरेंद्र मोदी सरकार बनाते हैं उसको लेने के बाद में तो पहला मुख्यमंत्री इनको बनाया जा सकता है इस तरह से उनकी इमेज का जो मेकओवर है ना वो एक्सरसाइज काफी ठीक चल रही है इस समय से इट्स अ गुड डेवलपमेंट राष्ट्रीय मुद्दों पे सब लोग एक साथ रहें सरकार के नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हो अच्छी बात बात एवरीबॉडी इज़ वेलकम.
सवालः सर बीजेपी के द्वारा शुरू किए गए तिरंगा यात्रा अभियान का क्या नैरेटिव और इंपैक्ट होगा?
जवाबः अच्छा इंपैक्ट है. अब देखो नरेंद्र मोदी तो क्या है कि डैमेज कंट्रोल करना जानते हैं. थोड़ा सा लोगों को ऐसा लगा कुछ कार्यकर्ताओं में गुस्से का भाव आया कि मजा नहीं आया पूरा. अभी कुछ दिन और रुकना चाहिए था.
पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए था. तो जैसे मैंने उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्र का नाम संदेश दिया. उसी का एक एक्सटेंशन ये कि तिरंगा यात्रा निकालो. लोगों को बताओ कि हमने वास्तव में अपना मिशन अकंप्लिश कर लिया है. जो हमने सोचा था हम उसको कर चुके हैं.
आपकी आकांक्षाएं इच्छाएं एक्स्ट्रा हैं. उनको भी पूरा करेंगे वक्त आने पे. लेकिन जो बेसिक हमारा मैंडेट था इस लड़ाई में आतंक को खत्म करने का पहलगांव का बदला लेने का वो हम सब कर चुके हैं. तो फील्ड में जाओ मनोबल के साथ ये कहो कि हमारी जीत हुई है.
इसका जश्न मनाओ और महिलाओं में खासकर कहो कि जो सिंदूर उजाड़ेगा नरेंद्र मोदी उस व्यक्ति को ही उजाड़ देंगे. उस व्यक्ति को ही खत्म कर देंगे. भारत उस व्यक्ति को ही खत्म कर देगा. तो इसमें सब पार्टी नेताओं को विश्वास में लेकर नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है.
अमित शाह, जेपी नड्डा सब थे. जेपी नड्डा पार्टी के इंचार्ज हैं. तो इस तिरंगा यात्रा 10 दिन की है. ये इसको लागू कराने की मुख्य जिम्मेदारी संगठन पे है. जेपी नड्डा पे है. और जेपी नड्डा भाग्यशाली हैं. चल रहे हैं.
अब युद्ध हो गया है. तो वो अभी और चलेंगे. और क्योंकि भाजपा ने सारे चुनाव उनके नेतृत्व में जीते हुए हैं. सब जीते हैं. तो ही इज़ अ लकी प्रेसिडेंट फॉर द बीजेपी. इसलिए किसी ने मुझसे कहा कि इनका कार्यकाल भी नरेंद्र मोदी के साथ को टर्मिनेस कर दिया जाना चाहिए डिक्लेअप करके कि जब तक वो प्रधानमंत्री हैं तो उनके पार्टी अध्यक्ष उनके साथ यही रहेंगे.
अच्छी टीम है, अच्छा तालमेल है, अच्छा काम हो रहा है. आपस में म्यूचुअल ट्रस्ट है, भरोसा बना हुआ है और ऐसी आशा की जानी चाहिए कि जेपी नड्डा की फंक्शनल लीडरशिप में जो है ये तिरंगा यात्रा सफल होगी. ऐसा भाजपा के लोग मान रहे हैं.
सवालः सर, इस पूरे घटनाक्रम में चीन और रशिया का रोल क्या रहा?
जवाबः देखो रशिया का रोल तो क्लियर है. हमारे साथ है. कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा था वी एक्सटेंड ऑल सपोर्ट पॉसिबल सपोर्ट टू इंडिया. चाइना डाइसी है. चाइना बेसिकली तो पाकिस्तान के साथ है. लेकिनकि टेरिफ और कई मुद्दे ऐसे हैं और वैसे भी चाइना इन दिनों क्या है? रिपेयरिंग रिलेशंस विद इंडिया.
तो उन्होंने फॉर्मली जो बयान जारी किया उनके मंत्रालय ने. तो उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच यह जो युद्ध विराम हुआ है यह इनकी मौलिकता और इनकी जो लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप है उसके हित में है और हम इसका समर्थन करते हैं स्वागत करते हैं.
लेकिन दूसरी तरफ हर कोई जानता है कि देयर इज़ अ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप ऑफ़ टेरर बिटवीन द टू कंट्रीज और टेरर की जो जिओपॉलिटिक्स है वो दोनों कर रहे हैं आपस में जो है और आगे भी करते रहेंगे. लेकिन फेस वैल्यू पे चाइना ने एक सधावासा बयान जो है जारी किया है.
लेकिन भारत के पॉलिसी मेकर्स को नरेंद्र मोदी को विदेश मंत्री को गृह मंत्री को एक क्लेरिटी है इस बात के अंदर जाए कि चाइना उनके साथ है और पहली बार इसीलिए भारत सरकार ने यह अपने ऑफिशियल अनाउंस किया है कि इस बार जो हथियार काम में लिए गए थे तो तुर्की और चाइनीस हथियार जो है पाकिस्तान को दिए गए थे वो इसमें लाया गया काम उनको नष्ट किया गया है.
तो चाइना के इन्वॉल्वमेंट को चाइना के हथियार सप्लाई पाकिस्तान को हुई है उसका ऑफिशियल एकनॉलेजमेंट भारत ने पहली बार अपने सरकारी रिकॉर्ड में किया है दिस शोज़ कि भारत और चीन के प्रति कोई दबाव या उसने झुकने उस कैसी स्थिति में नहीं है. नरेंद्र मोदी वांट्स टू डू ए नो नॉनसेंस पॉलिटिक्स, नो नॉनसेंस डिप्लोमेसी विद चाइनीस लीडरशिप आल्सो. सो दिस इज ऑल.
सवालः सर इसी का एक्सटेंशन पाकिस्तान की तरफ से किए गए एस्केलेशन में भारत ने तुर्कियों की तरफ से इस्तेमाल किए गए ड्रोन को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया भी दी और साथ ही अंदर ही अंदर देश में भी बहुत सारी प्रतिक्रियाएं आई हैं. इसको लेकर आपके पास कोई जानकारी कैसे?
जवाबः It is a serious development which has caught the attention of the prime minister और भारत सरकार का बयान है कि भारत सरकार रिव्यू कर रही है. स्थिति को वॉच कर रही है. तुर्की का जो इन्वॉल्वमेंट था पाकिस्तान के साथ उसको भारत सरकार देखेगी. उसको रिवु करेगी. इनिशियली देखा जाए तो तुर्की भारत के सम शुरू बहुत अच्छे थे.
अब 6571 में लड़ाई हुई तो तुर्की पाकिस्तान के साथ खड़ा था. फिर 1974 में साइपरस पे हमला किया. तुर्की ने भारत ने विरोध किया इसका तो फिर संबंध बिगड़े. तो कुल मिला के निष्कर्ष यह है कि वो पूरी तरह से पाकिस्तान के साथ है.
पाकिस्तान को उसने हथियार सप्लाई किए हैं और उसका इन्वेस्टमेंट इंडिया में काफी है. आप देखिए मैं कहीं पढ़ रहा था कि 13.8 बिलियन डॉलर का जो व्यापार है दोनों देशों के बीच जो है ट्रेड जो है वो है उसको 15 बिलियन डॉलर करना चाहते हैं. पाकिस्तान के साथ उसका 10 बिलियन डॉलर का है.
भारत में जो कंपनी है टर्किश की छह सात बड़ी कॉर्पोरेट कंपनीज़ हैं उनका जो है सम बता रहे हैं कि 223 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट इंडिया में है तो स्टेक्स आर हाई एक तरह से है तो भारत केयरफुली कदम उठाएगा इसमें और कुछ ना कुछ ऐसा करेगा कि भारत और तुर्की जो व्यापारिक रिश्ते हैं कूटनीतिक रिश्ते हैं इनको प्रभावित किए बिना उसका जो पाकिस्तान का प्रेम है वो थोड़ा कम हो तो लेट्स सी आने वाले दिनों में क्या कदम उठाता है भारत.
सवालः सर इस पूरे घटनाक्रम में आप केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा. इनके रोल को आप कैसे देखते हैं?
जवाबः इनका रोल की रोल है. दे आर द प्रिंसिपल एडवाइजर्स टू द प्राइम मिनिस्टर. अमित शाह की बात है आफ्टर नरेंद्र मोदी ही इज़ द हार्ट एंड सोल ऑफ़ द गवर्नमेंट. वर्चुअली जिसे कहना चाहिए कि भाई ही इज़ एवरीथिंग. अगर यूं कहा जाए कि ही प्रैक्टिकली फंक्शनंस एज द प्राइम मिनिस्टर तो गात शक्ति नहीं होगी.
अंडर द लीडरशिप ऑफ प्राइम मिनिस्टर ही हैज़ ए की रोल जो है अंडर द लीडरशिप ऑफ नरेंद्र मोद जो है और उनका रोल हनुमान का है. वह कितने पावरफुल हैं. नरेंद्र मोदी के प्रति उनका भाव वैसा ही रहता है.
लेकिन हार्ट एंड सोल इसलिए है कि पॉलिटिक्स से लेके इकॉनमी तक का जो भी कोई महत्वपूर्ण फैसला है सरकार का उसमें अमित शाह की छाप आपको नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में उनकी छाप जो है वो आपको दिखाई देती है.
तो ही इज एन इनडिस्पेंसिबल कंपोनेंट इन नरेंद्र मोदी फिलॉसफी इन नरेंद्र मोदी कैबिनेट और रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह इस बार काफी लाइमलाइट में आए लोगों को भी अच्छा लगा. एक व्यक्ति ने मुझे कहा कि इस बार तो असली रक्षा मंत्री दिख रहे हैं.
दर्शक हैं अपने भाव रखते हैं. अपने मन का जो है तो बहुत अच्छा लगा. सब लोगों को जो है एक्टिवली इन्वॉल्व थे. नरेंद्र मोदी ने उन्हें खूब मतलब चांस दिया आगे बढ़ने का एक प्रोजेक्शन का सारा जो है और जेपी नड्डा का तो मैंने पहले आपसे कहा उनका परफेक्ट कोऑर्डिनेशन है पार्टी पे कंट्रोल है उनका ही इज़ अ साइलेंट परफॉर्मर जो है वो अपना काम कर रहे हैं परसों के ऊपर कोई पॉलिटिक्स नहीं है और ऊपर जो टॉप लीडरशिप है उनके साथ उनका कोऑर्डिनेशन बहुत अच्छा है एक ट्रस्ट है आपस में जो है तो रोल अच्छा था आमतौर पे हर बैठकों में उनको इन्वॉल्व किया गया और जहां बैठकों में नहीं थे तो बैठकों के बाद जो है उनको कंसल्टेशन प्रोसेस में डिसीजन मेकिंग प्रोसेस में जेपी नड्डा को साथ रखा गया. तो इट्स अ परफेक्ट टीम ऑफ़ नरेंद्र मोदी एट द मोमेंट व्हिच इज़ वर्किंग 24 * 7 फॉर द कंट्री.
सवालः सर पाकिस्तान के आतंकी अड्डों पर जिस तरीके से भारत ने हमला किया उसके बाद आरएसएस की प्रतिक्रिया क्या रही होगी?
जवाबः आरएसएस गदगद है. आरएसएस की मनोकामना पूरी हुई. पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी अड्डों के खिलाफ प्रभावी एक्शन लिया. कुछ सोच के मोहन भागवत ने एक ट्वीट किया था. जब घटना हुई थी कि राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना. नरेंद्र मोदी ने बी फिटिंग रिप्लाई दिया. उसको एंडोर्स किया. उनकी भावनाओं का सम्मान किया.
आप यू कहिए जो है और कैसे एक्शन लिया है उन्होंने. आपने देखा है तो मोहन भागवत को ट्वीट किया मोहन भागवत ने पलट के जो है हालात को देखते हुए और उन्होंने कहा कि मैं केंद्र सरकार के नेतृत्व और सशस्त्र सेनाओं को बधाई देता हूं और जो है सारे राष्ट्र में इससे जो माहौल बना है तो इससे राष्ट्र का मनोबल और विश्वास बढ़ा है. तो नरेंद्र मोदी को एंडोर्स किया. उन्होंने नरेंद्र मोदी की तारीफ की एक जैसे बिना नाम लिए जो है ये आरएसएस गदगद है.
आरएसएस खुश है. आरएसएस तो वैसे गदगद है. उनकी कई तमन्नाएं नरेंद्र मोदी पहले पूरी कर चुके हैं. चाहे राम मंदिर हो 370 हो तब एक बात और थी कि भाई पाकिस्तान को जरा ठीक करना है थोड़ा जो है तो कर दिया उन्होंने और आने वाले दिनों में पाकिस्तान को और पाकिस्तान की पिटाई करेंगे नरेंद्र मोदी तो आरएसएस और खुश होगा राष्ट्रवादी संगठन है तो पाकिस्तान जैसे शत्रु राष्ट्र के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो उनको भी खुशी होती है तो कुल मिला के इस समय जो है आरएसएस मोहन भागवत पूरी तरह से नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हुए हैं.
सवालः सर मोदी राज में जो जो युद्ध काल रहा उस दौरान भी शेयर मार्केट का जो उछाल है उसको आप कैसे देखते हैं?
जवाबः यह वाकई में अद्भुत है ये नरेंद्र मोदी का चमचत करने वाली बात है एक मित्र ने कहा कि शेयर मार्केट युद्ध से कोई प्रभावित नहीं होता आर्थिक घटनाओं से कंपनियों के लाभ से प्रभावित होता है मैं उस आकलन से सहमत नहीं हूं शेयर मार्केट की सबसे पहली बात होती है पॉलिटिकल स्टेबिलिटी है कि नहीं कंट्री में जो है और वार किस में है शेयर हर हालत में गिरता है भारत में उतना नहीं गिरा तो मतलब यही है कि युद्ध के इस माहौल में भी भारत में शेयर मार्केट की ये चढ़ाई है. जो अप स्विंग है यह हैरान करने वाली है. तो क्रेडिट अगेन गोज़ टू द लीडरशिप जिसे कहना चाहिए उधर पाकिस्तान में आप देखिए तो पाकिस्तान में शेयर मार्केट बुरी तरह गिरा चाइना में गिरा.
चाइना में जो डिफेंस कंपनियों के जो स्टॉक थे वो गिरे वो सीज फायर से पहले उनके हाई थे. उनको आशा थी कि उनके हथियार चलेंगे. जब नरेंद्र मोदी के सामने उनके हथियार पिट गए चाइना के हैं. तो उनका मार्केट गिर गया वहां पे. लेकिन भारत में शेयर मार्केट अच्छा है. मैं मानता हूं कि डीमेट अकाउंट 18 करोड़ देश में है. वो अपना फैसला खुद करते हैं.
इकॉनमी को वो लोग खुद प्रभावित करते हैं. पॉलिटिकल इन्फ्लुएंस कम होता है. लेकिन इन सबके बावजूद जो एक पॉलिटिकल स्टेबिलिटी का माहौल है उसमें युद्ध के समय शेर गिरते हैं. नरेंद्र मोदी के राज में युद्ध के समय में शेर आगे बढ़ते हैं.
फाइन. सर सीजफायर और देश के नाम प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को लेकर के देश और विदेश की मीडिया में किस तरीके की प्रतिक्रिया है? प्रतिक्रिया ठीक है. लोग सब दोषी मान रहे हैं पाकिस्तान को. देश का मीडिया तो पूरी तरह बिल्कुल समर्पित भाव में है.
कुछ लोग जो आलोचना ही करते थे हमेशा राष्ट्रभक्ति उनमें भी जागी इस बार और मैंने देखा नॉट इवन ए सिंगल पेपर इन इंडिया जिसने कोई थोड़ा सा भी क्रिटिकल कोई आवाज की वजह सर उठाया हो. सारे के सारे इस बात पे नरेंद्र मोदी के साथ सरकार के साथ खड़े हैं इस समय और लग रहा है उनको ना इस बात के लिए कि सरकार अच्छा काम कर रही है.
राष्ट्रभक्ति का मामला है. दैट इज है. तो व्यक्ति अपना राज धर्म भी निभा रहे हैं. तो भारत के मीडिया को इसमें वोट ऑफ थैंक्स दिया जाना चाहिए. इंग्लिश मीडिया स्पेशली जो है बहुत अच्छा हिंदी मीडिया भी पत्रिका भास्कर मैं देखता हूं, जो है तो हिंदी मीडिया भी सारे सरकार के साथ खड़े हैं. और सारे उनकी कवरेज जो है उसको देख के ऐसा लगता है इस समय सारा मीडिया राष्ट्र प्रेम की भावना से ओतोप्रोत है.
इस समय एट द मोमेंट और इंटरनेशनल मीडिया में इट वाज़ फेयर गुड एनफ और फिर देखा जाए तो शुरू के दो-तीन दिन कवरेज थे इस बाद में इंटरनेशनल मीडिया में इस घटना को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा लेकिन कुछ दिया गया है तो पाकिस्तान के खिलाफ ज्यादा स्वर था इंटरनेशनल मीडिया का.
सो दिस इज़ ऑल फाइन ऑन द मीडिया मैनेजमेंट फ्रंट ऑफ़ द प्राइम मिनिस्टर ऑफिस. तो मैंने एक नई चीज़ देखी जो मैंने 140 करोड़ लोगों की बात कही थी ना के वापस नरेंद्र मोदी हीरो हो गए हैं. तो कल बॉम्बे के एक फंक्शन में था मैं. एक किसी कंपनी के डायरेक्टर मिले मुझे.
आगे बढ़ के कहा नरेंद्र मोदी को कल सुना आपने? मैंने कहा हां. तो बोले बहुत अच्छा बोले. मैंने कहा हां. तो बोले कि आज तक कोई प्राइम मिनिस्टर इतना अच्छा नहीं बोला. मैंने चेहरे की तरफ देखा तो मैंने देखा कि नरेंद्र मोदी का जो भक्ति है जो भाव है देश में कैसे ले रहा है और ये सर्वे करते हैं,
इंडिया टुडे और कई लोग जो सर्वे करते हैं जिसमें दिखाते हैं कि मोदी 60% 65% ये अब हालात बदल गए हैं. मुझे ऐसा लगता है कि प्राइम मिनिस्टर की लोकप्रियता का सही आकलन हुआ ही नहीं है. हमारी भी जो सर्वे एजेंसीज करती हैं शायद प्रॉपर्ली नहीं कर रही हैं.
मुझे ऐसा लगता है कि आज पीएमओ द्वारा स्पोंसर्ड कोई भी एजेंसी कोई निष्पक्ष आकलन करे देश में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता. आई थिंक इट इज नॉट लेस देन 80% एट द मोमेंट जो है ये तो एक नई बात थी इसी मीडिया मैनेजमेंट का एक्सटेंशन जो बात मैंने कही आपसे कि उस व्यक्ति को सुन के मैं हैरान हुआ कि यार देश में कितने प्रशंसक हैं नरेंद्र मोदी के और जिनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.
तो मेरा सुझाव है कि एक इंडिपेंडेंट असेसमेंट होना चाहिए प्राइम मिनिस्टर की लोकप्रियता का एट दिस मोमेंट ताकि देखें और पता लगे कि देश का कितनी बड़ी संख्या में लोग जो हैं प्राइम मिनिस्टर को देख रहे हैं या उनके प्रशंसक हैं या इस ये जो वॉर का सहारा हुआ है या उनका भाषण हुआ है आप इसी पे मान लीजिए कि नरेंद्र मोदी का जो राष्ट्र के नाम भाषण हुआ है इसी में आप देखेंगे तो 75 80% लोग आपको उनके साथ खड़े मिलेंगे.
सवालः सर बिजनेस टकून मुकेश अंबानी ने भी ऑपरेशन सिंदूर के लिए भारतीय सेना की तारीफ की. इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाबः एक अच्छा मूव है, अच्छा इनिशिएटिव है कि एक बिजनेस टैकून जो है आगे आकर के जो है ना राष्ट्रभक्ति के साथ जो है ना अपने विचार रख रहा है. उन्होंने कहा कि सेना के शौर्य का हम सम्मान करते हैं और पूरा देश जो है आतंकवाद का कोई भी स्वरूप हो उसके खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट है. हम सब सब साथ हैं. इज अ गुड इनिशिएटिव. यू है फाइन.
सवालः सर इस पूरे घटनाक्रम का बिहार के चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?
जवाबः हैंड्स डाउन जीत चुके हैं नरेंद्र मोदी बिहार का चुनाव. वो तो पहले भी जीतने वाले थे. लगभग जीत चुके थे. मैं पटना गया था पिछले दिनों तो मैंने देखा सारे शहर का नक्शा बदला हुआ है.
नीतीश कुमार अखाली चेहरा है और आज तो बीजेपी कर रही है दिल्ली और पटना में बैठकर के जो है तो अब उससे मुहर लगनी बाकी है. पहले मान लो कोई सीटों की जो बात चलती है संख्या की बात होती है.
तो पहले क्या है कि 10 15 सीट से मान लो बहुमत मिलने वाला था. अब हैंड्स डाउन है. हैंड्स डाउन है कि दो बहुमत मिल सकता है. आज के जो हालात हैं यही हालात अगर बने रहे इस तरह के तो ऐसा लगता है राष्ट्रपण से हरा में होतोप्रत है. नरेंद्र मोदी दो बार भाषण देने भी जाएंगे तो काफी है. दो3 बहुमत भाजपा आज के हालात में बिहार में ला सकती है. ऐसा लगता है मुझे. लेट्स सी.
सवालः सर अगर मैं दो-तीन सेंटेंसेस में आपसे कहूं कि ऑपरेशन सिंदूर उसका थीम उसके नैरेटिव को अगर आप सम अप कर सकें तो कैसे करेंगे?
जवाबः तो आप यह कह सकते हैं कि सिंदूर ऑपरेशन जो है इट डेमोंस्ट्रेट्स इंडियास स्ट्रेटेजिक एंड मिलिट्री पावर. दूसरा आप ये कह सकते हैं इसके अंदर इट शोज़ इंडियास एबिलिटी टू अटैक पाकिस्तान टू स्ट्राइक पाकिस्तान विदाउट क्रॉसिंग एलओसी.
तीसरा आप ये कह सकते हैं इट कैन बी अ टर्निंग पॉइंट इन रिडफाइनिंग इंडिया एंड पाकिस्तान मिलिट्री बैलेंस स्पेशली विद रेफरेंस टू इंडिया रेस्पांस टू टेरर एक्टिविटीज जो आज नरेंद्र मोदी ने कहा है ना कि नया नॉर्मल है टेरर के प्रति अटैक करना तो सबसे बड़ा मैसेज सिंदूर का यही है कि दुश्मन को घर में घुस के मारेंगे वो करेंगे बट एट द सेम टाइम ये है कि अब कोई भी टेरर का आएगा इवेंट तो हम बहुत स्ट्रोंगली उसको रिएक्ट करेंगे दिस इज ऑल.
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