नई दिल्ली: संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष के तीखे विरोध और लगातार हंगामे के बाद सरकार ने आखिरकार 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा की मांग स्वीकार कर ली है. इस संवेदनशील और सामरिक मुद्दे पर अगले हफ्ते कुल 25 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है—जिसमें लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे चर्चा की जाएगी.
विपक्षी दलों ने संसद में प्रदर्शन किया
सत्र के पहले दिन से ही विपक्षी दलों ने संसद में जोरदार प्रदर्शन किया. उनकी मांग थी कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता बयान और बिहार की मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण जैसे मुद्दों पर खुलकर बहस करे. हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही लगातार स्थगित होती रही.
सदन में हंगामे के चलते कार्यवाही प्रभावित
कार्यवाही शुरू होते ही विरोध इतना तीव्र था कि पहले 20 मिनट बाद, फिर दोपहर 12 बजे और इसके बाद दोबारा दोपहर 2 बजे तक सदन की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी. हालांकि पीठासीन सभापति संध्या राय ने विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए साफ कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है. लेकिन हंगामा नहीं थमने के कारण लोकसभा की कार्यवाही शाम 4 बजे तक स्थगित करनी पड़ी.
श्रद्धांजलि के साथ सत्र की शुरुआत
सत्र की शुरुआत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और अहमदाबाद विमान हादसे में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई. उन्होंने हाल की प्राकृतिक आपदाओं से हुए जान-माल के नुकसान का भी जिक्र किया. सदन में सभी ने मौन रखकर दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी.
सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है सरकार: रक्षा मंत्री
पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल ने यह भी कहा कि कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक में तय होगा कि किन मुद्दों पर चर्चा होगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि सभी दलों की सहमति से चर्चा के विषय तय होंगे और सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा से पीछे नहीं हटेगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष को आश्वस्त करते हुए कहा, "रक्षा से जुड़े किसी भी विषय पर, जितनी भी विस्तृत चर्चा होनी है — सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार है. लोकसभा अध्यक्ष जो भी निर्णय लेंगे, हम उसका सम्मान करेंगे और चर्चा में भाग लेंगे."
ये भी पढ़ें- स्मार्ट एक्शन की तैयारी में जुटी भारतीय सेना, AI, ड्रोन और सैटेलाइट से लैस होगा वॉर रूम, जानें प्लान