नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने जब ड्रोन से जवाब देने की कोशिश की, तो भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने उसे हवा में ही ढेर कर दिया. लेकिन अब भारतीय सेना सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति के तहत टेक्नोलॉजी को हथियार बना रही है. आने वाले दो वर्षों में भारतीय सेना का चेहरा बदलने जा रहा है—क्योंकि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स को सेना के ढांचे में शामिल किया जाएगा.
स्मार्ट टेक्नोलॉजी से सशक्त होगी सेना
भारतीय सेना अब युद्ध के मैदान में सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि डेटा और बुद्धिमत्ता से लैस रणनीति से काम करेगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2026-27 तक सेना इन अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी स्मार्ट वॉरफेयर कैपेबिलिटी को अपग्रेड करेगी. इसमें खास ध्यान होगा battlefield awareness, real-time decision making और सैनिकों के तकनीकी प्रशिक्षण पर.
AI से युद्ध की रणनीति होगी हाई-टेक
AI तकनीक का उपयोग अब सिर्फ रिसर्च लैब में नहीं रहेगा—सेना इसे ड्रोन, सैटेलाइट, विमान और जमीन पर लगे सेंसरों से मिलने वाली जानकारी को एकीकृत करने में करेगी. इस इंटीग्रेशन से सेना दुश्मन की गतिविधियों पर और भी सटीक नज़र रख सकेगी और रणनीतिक फैसले काफी तेजी से लिए जा सकेंगे.
AI टूल्स: चैटबॉट से लेकर फेस रिकग्निशन तक
सेना सिर्फ निगरानी नहीं, बल्कि सोशल मीडिया एनालिसिस, लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट और खुफिया विश्लेषण में भी AI को शामिल करेगी. 2026 तक AI-आधारित वॉयस-टू-टेक्स्ट सिस्टम, ऑटोमेटेड चैटबॉट, फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी और असामान्य गतिविधियों की पहचान करने वाली मशीनें भी फील्ड में काम करने लगेंगी.
AI टास्क फोर्स: भविष्य की योजना की रीढ़
इन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक विशेष AI टास्क फोर्स गठित की जा रही है, जो महानिदेशक सूचना प्रणाली (DGIS) के अधीन कार्य करेगी. इसमें सेना के अन्य तकनीकी और रणनीतिक निदेशालयों के विशेषज्ञ शामिल होंगे. यह टास्क फोर्स निम्नलिखित क्षेत्रों पर काम करेगी:
पुरानी तकनीक को भी मिलेगा नया रूप
सेना की योजना यह भी है कि मौजूदा हथियार और निगरानी प्रणालियों में AI इंटीग्रेशन किया जाए, जिससे उनकी क्षमता और प्रभावशीलता बढ़े. जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) में अब से नई टेक्नोलॉजी के लिए AI को अनिवार्य फीचर माना जाएगा.
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