Tehran Movie Review: जबरदस्त थ्रिल, ग्लोबल स्टेक्स और जॉन अब्राहम के नए अंदाज से सजी है यह फिल्म

    Tehran Movie Review: जैसे कि स्वतंत्रता दिवस करीब है, ऐसे में ‘तेहरान’ जैसी फिल्म हमें याद दिलाती है कि असली आज़ादी सिर्फ हक की लड़ाई और सुरक्षा से जुड़ी होती है. 2012 के हमलों की सच्ची घटना पर आधारित यह थ्रिलर दर्शकों को दिल थाम कर बैठाने वाला अनुभव देती है.

    Tehran Movie Review Fabulous global stakes and john abraham in new style
    Image Source: Social Media

    फिल्म-तेहरान
    डायरेक्टर- अरुण गोपालन
    कास्ट - जॉन अब्राहम, नीरू बाजवा, मानुषी छिल्लर, हादी खजानपुर
    समय – 118 मिनट
    रेटिंग- 4

    Tehran Movie Review: जैसे कि स्वतंत्रता दिवस करीब है, ऐसे में ‘तेहरान’ जैसी फिल्म हमें याद दिलाती है कि असली आज़ादी सिर्फ हक की लड़ाई और सुरक्षा से जुड़ी होती है. 2012 के हमलों की सच्ची घटना पर आधारित यह थ्रिलर दर्शकों को दिल थाम कर बैठाने वाला अनुभव देती है, जहां हर एक फैसला, हर एक मिशन, और हर एक किरदार देश और कर्तव्य की उलझनों के बीच फंसा हुआ है, तो चलिए आपको बताते हैं कैसा है इस फिल्म का रिव्यू.


    दर्दनाक शुरुआत और पर्सनल मिशन की कहानी

    कहानी की शुरुआत एक गंभीर वॉयसओवर से होती है, जिसमें ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे लंबे तनाव और गुप्त हमलों व पलटवारों के बारे में बताया जाता है. दिल्ली में हुए बम धमाके से कहानी शुरू होती है, जिसमें कई लोग घायल हो जाते हैं और फूल बेचने वाली एक लड़की की मौत हो जाती है। DCP राजीव कुमार (जॉन अब्राहम) को यह केस सौंपा जाता है. लेकिन राजीव के लिए यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि पर्सनल मामला है क्योंकि वह उस लड़की को जानता था.

    जॉन अब्राहम का नया रूप

    तेहरान में जॉन अब्राहम अपने करियर का एक सबसे पॉलिटिकल और दमदार रोल निभा रहे हैं. यहां वह शोर मचाने वाले एक्शन हीरो नहीं, बल्कि कम बोलने वाले, जिम्मेदारी और गुस्से का बोझ उठाने वाले इंसान के रूप में दिखते हैं. राजीव के किरदार में उनकी शांत लेकिन गहरी ताकत दिखती है, जो उनके हाल के सालों की सबसे बेहतरीन और दिल से की गई एक्टिंग में से एक है.

    मानुषी छिल्लर की अहम मौजूदगी

    मिस यूनिवर्स रह चुकी मानुषी छिल्लर, SI दिव्या राणा के रोल में हैं. स्क्रीन टाइम कम होने के बावजूद, कहानी के ट्विस्ट में उनका रोल बहुत अहम है. उनकी मौजूदगी साफ महसूस होती है, और उनका योगदान लंबे समय तक याद रहता है. यह कास्टिंग का स्मार्ट फैसला है और मानुषी फिल्म के रियलिस्टिक माहौल में फिट बैठती हैं.

    नीरू बाजवा का शालीन लेकिन सशक्त अंदाज

    नीरू बाजवा फिल्म में शैलजा का किरदार निभा रही हैं, जो एक डिप्लोमैट है. उनके किरदार में शालीनता और सख्ती दोनों झलकती हैं, जिससे फिल्म की पॉलिटिकल कहानी में वजन आ जाता है. उनका लुक और स्टाइलिंग शार्प है, और वह एक समझदार और संतुलित किरदार को खूबसूरती से निभाती हैं.

    हादी खजानपुर: एक डरावना विलन

    हादी खजानपुर संदिग्ध आतंकी अशरफ खान का रोल निभा रहे हैं. उनका अभिनय इतना सटीक है कि वे खतरनाक लगते हैं, लेकिन कभी भी बनावटी नहीं लगते. कुल मिलाकर, विलन के रोल इतने दमदार हैं कि आप सच में उनसे नफरत करने लगते हैं, जो सच कहें तो फिल्म की कास्टिंग और डायरेक्शन की ताकत दिखाता है.

    दमदार स्क्रिप्ट और रियल एक्शन

    रितेश शाह, आशीष पी. वर्मा और बिंदनी कारिया की स्क्रिप्ट टेंशन भरे सीन और दमदार टकराव के साथ 2012 के हमलों जैसे गंभीर मुद्दे को सेंसिटिव तरीके से दिखाती है. एक्शन सीन इंटरनेशनल लेवल के हैं जैसे छोटे, साफ और भरोसेमंद। हर पीछा, धमाका और आमना-सामना हकीकत के करीब लगता है.

    बेहतरीन विजुअल्स और बैकग्राउंड स्कोर

    लेवगेन गुब्रेबको और एंड्री मेनेजेस की सिनेमैटोग्राफी शानदार है. दिल्ली की गलियों से लेकर अबू धाबी के सुनसान नज़ारों तक, हर लोकेशन किरदारों के मूड के साथ मेल खाती है. केतन सोधा का म्यूजिक तनाव और भावनाओं को बढ़ाता है, जबकि अक्षरा प्रभाकर की एडिटिंग फिल्म को टाइट और बैलेंस्ड रखती है.


    असली संघर्ष और दर्शकों के लिए संदेश

    दूसरे हिस्से में राजीव का निजी मिशन कहानी में और तनाव लाता है, और दिखाता है कि जासूसी की दुनिया में सही और गलत के बीच की रेखा कितनी पतली है. डायरेक्टर ने छोटे-बड़े सभी किरदारों को महत्व दिया है। तेहरान इसलिए असरदार है क्योंकि यह साफ-सुथरा अंत नहीं देती, बल्कि असली दुनिया के संघर्षों को दिखाती है. मैडॉक फिल्म्स और बेक माई केक फिल्म्स द्वारा बनाई गई यह फिल्म अब Zee5 पर स्ट्रीम हो रही है जो हिम्मत वाली, गंभीर और मस्ट वॉच है.

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