लंदन: इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर पांच दिन तक चला जोरदार घमासान आखिरकार इंग्लैंड के नाम रहा. भारत ने जी-जान लगाई, लेकिन 22 रन से हार झेलनी पड़ी. टेस्ट क्रिकेट के रोमांच और जज्बे की ये एक मिसाल थी—जहां स्कोर भले इंग्लैंड के पक्ष में रहा, मगर जज्बा रविंद्र जडेजा का चमका.
स्लेजिंग, रोमांच, उतार-चढ़ाव और जंग का जुनून
लॉर्ड्स की पिच पर कभी भारत का पलड़ा भारी था तो कभी इंग्लैंड का. बादल और सूरज की आंख-मिचौली के बीच खिलाड़ियों ने भी अपने तेवर नहीं छुपाए. स्लेजिंग का जवाब स्लेजिंग से मिला, लेकिन जो लड़ा सबसे अकेले, वह थे रविंद्र जडेजा.
जडेजा का अकेला संघर्ष
जब पूरी टीम एक-एक कर पवेलियन लौट रही थी, तब जडेजा मैदान में डटे रहे. उन्होंने 181 गेंदों में नाबाद 61 रन बनाए और निचले क्रम के साथ महत्वपूर्ण साझेदारियां कीं. बुमराह के साथ 35 रन और सिराज के साथ 23 रन की साझेदारी ने हार का अंतर और शर्मनाक होने से बचाया.
लक्ष्य था 193... जीत पास थी, पर छूट गई
भारत को जीत के लिए सिर्फ 193 रन चाहिए थे, और पांचवें दिन की शुरुआत 58/4 से हुई थी. यानी सिर्फ 135 रन और बनाने थे और हाथ में 6 विकेट. लेकिन इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों ने रफ्तार, स्विंग और रणनीति से भारतीय बल्लेबाजों की एक न चलने दी.
जोफ्रा आर्चर: वापसी और बदला
चार साल बाद वापसी कर रहे जोफ्रा आर्चर भारत की उम्मीदों पर भारी पड़े. पंत, सुंदर, और सिराज के विकेट लेकर उन्होंने भारत को बैकफुट पर धकेल दिया. आर्चर की गेंदों में ना सिर्फ धार थी, बल्कि उनमें एक साफ संदेश भी था—'मैं वापस आ गया हूं!'
शुभमन गिल कप्तानी की परीक्षा में फेल?
दूसरे टेस्ट में धमाकेदार जीत के बाद गिल से उम्मीदें आसमान छू रही थीं. लेकिन लॉर्ड्स में वे बतौर बल्लेबाज और कप्तान, दोनों भूमिकाओं में जूझते दिखे. पहली पारी में 16 और दूसरी में सिर्फ 6 रन... ऊपर से कुछ रणनीतिक फैसले भी सवालों में हैं.
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सीरीज की तस्वीर: इंग्लैंड 2-1 से आगे
एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट में भारत की हार के बाद अब इंग्लैंड 2-1 से आगे हो चुका है. चौथा और निर्णायक मुकाबला 23 जुलाई से मैनचेस्टर में खेला जाएगा—जहां भारत सीरीज में वापसी की अंतिम कोशिश करेगा.
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