तालिबान ने पाकिस्तान की कर दी बेइज्जती, बिलबिला उठे इशाक डार; क्या TTP के खिलाफ छेडे़ंगे युद्ध?

    अफगानिस्तान के तालिबान शासन और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में दरार अब किसी से छिपी नहीं है. तमाम कोशिशों और आधिकारिक दौरों के बावजूद अफगान तालिबान ने एक बार फिर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर पाकिस्तान की गुहार को सिरे से खारिज कर दिया है.

    Taliban insulted Pakistan Ishaq Dar TTP
    इशाक डार | Photo: ANI

    अफगानिस्तान के तालिबान शासन और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में दरार अब किसी से छिपी नहीं है. तमाम कोशिशों और आधिकारिक दौरों के बावजूद अफगान तालिबान ने एक बार फिर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर पाकिस्तान की गुहार को सिरे से खारिज कर दिया है. इस्लामाबाद की अपील थी कि अफगान जमीन पर मौजूद टीटीपी के आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, लेकिन काबुल ने इस पर कोई नरमी नहीं दिखाई.

    हालांकि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने अपनी हालिया अफगान यात्रा को “सफल” करार दिया और कहा कि व्यापार, कूटनीति और राजनीतिक संबंधों को लेकर रचनात्मक संवाद हुआ, लेकिन हकीकत यह है कि टीटीपी जैसे अहम मुद्दे पर तालिबान के सख्त रुख ने इस यात्रा की सारी चमक फीकी कर दी.

    टीटीपी पर बनी हुई है पाकिस्तान की चिंता, लेकिन तालिबान टस से मस नहीं

    पाकिस्तान बार-बार यह आरोप लगाता आया है कि टीटीपी आतंकवादी अफगान सीमा के भीतर छिपे हुए हैं और तालिबान शासन उन्हें खुला समर्थन दे रहा है. इन आतंकियों ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान में कई जानलेवा हमले किए हैं, जो इस्लामाबाद की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुके हैं.

    इससे पहले पाकिस्तान ने काबुल से बातचीत के अलावा सीमापार हवाई हमले भी किए, जिसमें अफगान नागरिकों की जानें गईं और नतीजतन दोनों देशों के बीच तनाव और गहराया.

    इशाक डार की यात्रा: दिखी कूटनीति की कोशिश, लेकिन नतीजे सीमित

    ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, डार की काबुल यात्रा मुख्यतः दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों को सुधारने, व्यापार में रुकावटें दूर करने और सीमा पार से हो रहे आतंकी हमलों को रोकने की मंशा से की गई थी. बातचीत के दौरान खुद डार ने माना कि "भाईचारे" की बातों के बावजूद रिश्तों में खटास आ चुकी है.

    बात सिर्फ टीटीपी की नहीं, भरोसे की भी है

    तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव का दायरा केवल टीटीपी तक सीमित नहीं है. सीमा पर बार-बार हो रही झड़पें, डूरंड लाइन पर बाड़बंदी को लेकर मतभेद, अफगान शरणार्थियों की वापसी का मुद्दा और पाकिस्तान पर कथित रूप से आईएसआईएस को समर्थन देने जैसे आरोपों ने तालिबान सरकार को चिढ़ा दिया है.

    व्यापार में मिली थोड़ी राहत

    हालांकि इन तमाम खटास भरे मुद्दों के बीच एक सकारात्मक संकेत भी सामने आया है – पाकिस्तान ने अफगान पारगमन वस्तुओं पर लगने वाले कई शुल्क हटाने पर हामी भरी है. अफगान वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक यह फैसला व्यापार को आसान बनाएगा और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को सहारा देगा.

    क्या यह यात्रा वाकई कुछ बदल पाएगी?

    विश्लेषकों की मानें तो इशाक डार की कूटनीतिक चालें आर्थिक पहलुओं पर असर डालने में जरूर कामयाब रहीं, लेकिन जहां तक सुरक्षा और भरोसे की बात है – वहां तस्वीर अभी धुंधली है. जब तक टीटीपी और सीमा सुरक्षा जैसे संवेदनशील मसलों पर अफगान तालिबान खुलकर सामने नहीं आता, तब तक दोनों देशों के रिश्तों में स्थिरता की उम्मीद करना जल्दबाज़ी होगी.

    तालिबान का ताज़ा इनकार इस्लामाबाद के लिए एक सख्त संदेश है – सिर्फ कूटनीतिक दौरों से कुछ नहीं होगा, ज़रूरत है भरोसे, स्पष्टता और ठोस एक्शन की.

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