ताइवान की राजधानी ताइपे में गुरुवार को अचानक सायरन बजने लगे. मोबाइल पर संदेश आया, ‘दुश्मन ने उत्तरी ताइवान की ओर मिसाइल दागी है’. इस खबर के साथ ही लोग मेट्रो स्टेशनों, अंडरग्राउंड बंकरों और सुरक्षित स्थानों की ओर दौड़ने लगे. यह कोई असली हमला नहीं था, बल्कि ताइवान की सालाना एयर रेड ड्रिल थी. हालांकि इस बार का अभ्यास पहले से कहीं ज्यादा गंभीर और व्यापक था. मेट्रो स्टेशन, पुल, स्कूल और शॉपिंग मॉल्स तक को युद्ध की स्थिति में शामिल किया गया था, ताकि नागरिक युद्ध जैसी आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हों.
युद्ध की स्थिति में तैयार होने का प्रयास
ताइवान में यह वार्षिक ड्रिल इस बार "हन क्वांग" सैन्य अभ्यास से जुड़ी हुई थी, जो पहले से कहीं अधिक विस्तृत था. इसमें 20,000 रिजर्व सैनिकों के अलावा, 52,000 नागरिकों को डिजास्टर रिलीफ वॉलंटियर के रूप में ट्रेनिंग दी गई. सरकारी और निजी संस्थाओं ने मिलकर पूरे ताइपे शहर में युद्ध जैसी स्थिति का सटीक सिमुलेशन किया ताकि हर नागरिक को यह एहसास हो कि युद्ध केवल सैन्य बल का मामला नहीं है, बल्कि इसमें हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है. सरकार का लक्ष्य 40 लाख लोगों को युद्धकालीन सपोर्ट सिस्टम का हिस्सा बनाना है.
70 वर्षीय मिस्टर लियू का समर्थन
इस अभ्यास में शामिल हुए 70 साल के मिस्टर लियू ने कहा, "हमें सुरक्षित महसूस होता है और यह अभ्यास जरूरी है." वो स्टेशन पर खड़े हुए थे, क्योंकि समय पर मीटिंग में नहीं पहुंच पाए थे. हालांकि, उन्होंने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा, "ताइवान को अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा तैयार रहना चाहिए."
चीन की धमकी के बीच ताइवान की तैयारियां
चीन लगातार ताइवान को सैन्य दबाव और हथियारों के जरिए धमकाता रहा है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान को चीन का हिस्सा मानते हैं और समय-समय पर धमकी देते हैं कि यदि राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव से काम नहीं बना, तो सैन्य कार्रवाई की जा सकती है. ताइवान सरकार इसे गंभीरता से ले रही है, और यही कारण है कि युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए इतनी व्यापक तैयारी की जा रही है. ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने एक फील्ड हॉस्पिटल सिमुलेशन के दौरान कहा, "बड़ी ताकतों के सैन्य और राजनीतिक दबाव के सामने हमारी सिर्फ एक ही तैयारी हो सकती है- प्रैक्टिस और तैयार रहना."
सरकार की तैयारियों पर सवाल
इस अभ्यास का उद्देश्य यह भी था कि नागरिकों को बताया जाए कि युद्ध केवल सेना का काम नहीं है, बल्कि हर आम आदमी को इसके लिए तैयार रहना होगा. हालांकि, इस योजना को लेकर कुछ आलोचनाएं भी उठ रही हैं. कई लोगों का कहना है कि शेल्टर की लोकेशन तो बताई जाती है, लेकिन ये स्थल वेंटिलेशन और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस नहीं होते. कुछ लोगों का मानना है कि नागरिकों को बचाव के तरीकों की और अधिक बारीकी से ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, ताकि वे सच्ची आपातकालीन स्थिति में सही तरीके से प्रतिक्रिया दे सकें.
चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने ताइवान के इस सैन्य अभ्यास को "बेकार की उकसावे वाली हरकत" बताया और ताइवान के एयर डिफेंस जोन में अपने जेट्स और युद्धपोतों की संख्या बढ़ा दी है. चीन का मानना है कि इस तरह के सैन्य अभ्यास से तनाव बढ़ता है और यह केवल तनाव को और भी गहरा कर सकता है. ताइवान और चीन के बीच इस तरह की बढ़ती सैन्य गतिविधियों से क्षेत्रीय स्थिति और भी जटिल हो गई है.
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