सड़क या फिर शेल्टर होम? आवारा कुत्तों पर आज आएगा फैसला; सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

    दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से बहस जारी है. अब इस बहस का अहम पड़ाव आज सामने आने वाला है. सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ आज सुबह 10:30 बजे इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाने जा रही है, जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं.

    Supreme court on delhi stray dogs bench decision today
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    दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से बहस जारी है. अब इस बहस का अहम पड़ाव आज सामने आने वाला है. सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ आज सुबह 10:30 बजे इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाने जा रही है, जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं.


    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच यह तय करेगी कि क्या आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के दो जजों के पूर्व आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए या नहीं. 14 अगस्त को इस मामले की अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सार्वजनिक किया जाएगा.

    पिछले आदेश और उठे सवाल

    सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने इससे पहले दिल्ली-NCR के सभी संवेदनशील क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली सरकार सभी इलाकों में आवारा कुत्तों को पकड़ने की प्रक्रिया शुरू करें. शेल्टर होम में लाए गए कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और देखरेख के लिए पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए जाएं. कोई भी कुत्ता दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए, इसके लिए सीसीटीवी निगरानी जरूरी होगी.

    इस पूरी प्रक्रिया का विस्तृत रिकॉर्ड रखा जाए.

    यदि कोई व्यक्ति या संगठन इन निर्देशों में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इन आदेशों के बाद डॉग लवर्स और कुछ एनिमल राइट्स संगठनों ने विरोध दर्ज कराया था. इसी के चलते इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग उठी, जिस पर अब तीन सदस्यीय बेंच फैसला सुना रही है.

    डॉग बाइट्स के आंकड़े कर रहे हैं चौकाने वाला इशारा

    सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को अवगत कराया कि साल 2024 में देशभर में 37.15 लाख डॉग बाइट्स के केस दर्ज हुए, यानी हर दिन लगभग 10 हजार लोग कुत्तों के हमले का शिकार बने. इसके अलावा, WHO की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में 305 लोगों की जान कुत्तों के काटने से गई.

    न्यायपालिका की दोहरी संवेदना

    तीन जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन साथ ही आवारा कुत्तों के जीवन और उनके अधिकारों के प्रति भी न्यायालय संवेदनशील है. इसीलिए कोर्ट का फैसला सिर्फ जनसुरक्षा को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि पशु कल्याण के संतुलन के साथ लिया जाएगा.

    क्या रहेगा आज का अहम सवाल?

    आज अदालत यह निर्णय देगी कि क्या पहले जारी अंतरिम आदेश लागू रहेगा? क्या आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखने की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाना चाहिए? क्या कोर्ट का पूर्व आदेश यथावत रहेगा या उसमें संशोधन होगा?

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