नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हाल ही में जनसुनवाई के दौरान हुआ हमला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन इस हमले के बाद जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया. आमतौर पर ऐसे मामलों में चुप्पी या सुरक्षा बढ़ाने की बातें सामने आती हैं, लेकिन सीएम रेखा गुप्ता ने न सिर्फ हमले का जवाब शांति और हिम्मत से दिया, बल्कि जनसेवा का दायरा और भी बड़ा कर दिया.
हर विधानसभा में होगी अब जनसुनवाई
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हमले के अगले ही दिन बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब जनसुनवाई सिर्फ मुख्यमंत्री आवास तक सीमित नहीं रहेगी. उन्होंने कहा, "अब हर विधानसभा क्षेत्र में ‘मुख्यमंत्री आपके द्वार’ कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहां सीधे जनता से संवाद होगा." यह जानकारी खुद सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की. सीएम रेखा गुप्ता ने एक भावुक कविता पोस्ट की, जिसमें उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों और पहले के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि यह हमला उन्हें रोक नहीं सकता.
मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी। एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया। मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा। तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएँ होती रहती हैं, डरकर रुकना नहीं है। आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती।
— Rekha Gupta (@gupta_rekha) August 21, 2025
आज उनकी वही सीख फिर याद आ… pic.twitter.com/gAPDhirjK8
हमले के बाद सीएम रेखा की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने लिखा कि मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी. एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया. मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा. तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएं होती रहती हैं, डरकर रुकना नहीं है. आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती.
उन्होंने कहा कि आज उनकी वही सीख फिर याद आ रही है. कल फिर एक दुर्घटना हुई, लेकिन मैं दिल्लीवासियों के हितों के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ सकती, मेरे जीवन का हर क्षण और शरीर का हर कण दिल्ली के नाम है. मैं इन सभी अप्रत्याशित प्रहारों के बावजूद दिल्ली का साथ कभी नहीं छोड़ूंगी. सीएम ने कहा कि वैसे भी, महिलाओं में तकलीफों से लड़ने की दोहरी ताक़त होती है. उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए अनगिनत परीक्षाएँ देनी पड़ती हैं. मैं भी तैयार हूं.
उन्होंने कहा कि अब जनसुनवाई केवल मेरे घर पर ही नहीं, दिल्ली की हर विधानसभा में होगी. आपकी मुख्यमंत्री, आपके द्वार.
बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.
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