अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को एक अहम कदम उठाते हुए घोषणा की कि अमेरिका कुछ मध्य अमेरिकी नागरिकों और उनके परिवारों पर नया वीज़ा प्रतिबंध लगा रहा है. यह कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ है, जिन पर आरोप है कि वे जानबूझकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के लिए काम कर रहे हैं और क्षेत्र में लोकतांत्रिक संस्थानों और कानून के शासन को कमजोर कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के बयान में किसी व्यक्ति या देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन रुबियो ने स्पष्ट कहा कि इन व्यक्तियों को उनके परिवारों सहित अभी से अमेरिका में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. यह निर्णय इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट (INA) की धारा 212(a)(3)(C) के तहत लिया गया है, जो ऐसे लोगों को लक्ष्य करता है जो लोकतांत्रिक आधार को कमजोर करते हैं.
बीजिंग से रिश्ते जोड़ लिए हैं
रुबियो ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका मध्य अमेरिका में चीन के भ्रष्ट प्रभाव को रोकने और कानून की कमजोरी को खारिज करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसीलिए इन व्यक्तियों और उनके परिवारों को अमेरिका में प्रवेश से वंचित किया जा रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि इसका मकसद चीन की मध्य अमेरिकी क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति और निवेश को नियन्त्रित करना है. उन्होंने यह भी इशारा किया कि हाल के वर्षों में कई मध्य अमेरिकी देशों ने ताइवान से अपने संबंध तोड़कर बीजिंग से रिश्ते जोड़ लिए हैं यह नीति, वॉशिंगटन की चिंता को दर्शाती है.
आयात शुल्क पर ट्रंप का हाई कोर्ट में नया आग्रह
इसी बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया है कि उनके द्वारा लगाए गए आयात शुल्क की वैधता को लेकर तत्काल और निर्णायक फैसला सुनाया जाए. ट्रंप का तर्क है कि यह शुल्क हटाए जाने पर अमेरिका ‘आर्थिक तबाही के कगार’ पर आ जाएगा.
विवादास्पद रूप से, ट्रंप ने अदालत में जो दस्तावेज पेश किए हैं, उनमें उन्होंने “आर्थिक तबाही” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जो इस तरह के मामले में असामान्य माना जाता है. बुधवार देर रात उन्होंने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह निचली अदालत के उस निष्कर्ष को पलट दे, जिसमें कहा गया था कि अधिकांश शुल्क लागू किए गए कानून का अवैध उपयोग है. फिलहाल, ये शुल्क लागू ही रहेंगे.
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