जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष और निहत्थे हिंदू पर्यटकों पर हुए निर्मम हमले ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया है. इस हमले के बाद से केंद्र सरकार पूरी तरह अलर्ट मोड में आ चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते एक सप्ताह में दूसरी बार कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक बुलाई, जिसमें सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों सहित देश के शीर्ष मंत्री शामिल हुए.
लेकिन इससे भी बड़ी हलचल तब मची जब 30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक आयोजित की गई — एक ऐसी बैठक जो पिछले छह वर्षों से नहीं हुई थी. आखिरी बार यह सुपर कैबिनेट 2019 के पुलवामा हमले के बाद सक्रिय हुई थी, जिसके कुछ ही समय बाद भारत ने बालाकोट में एयर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. इस बार भी परिस्थिति वैसी ही गंभीर है, और पाकिस्तान की ओर से आए बयान कि "भारत अगले 24 से 36 घंटे में हमला कर सकता है", ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है.
CCPA की भूमिका और महत्त्व
CCPA यानी राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति को अक्सर ‘सुपर कैबिनेट’ कहा जाता है, क्योंकि यह देश की आंतरिक और बाहरी नीति से जुड़े गंभीर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा मामलों पर निर्णय लेने में सक्षम होती है. यह समिति न सिर्फ केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल बनाने का कार्य करती है, बल्कि विदेश नीति, आर्थिक दिशा, और आंतरिक सुरक्षा जैसे मामलों पर भी अहम फैसले लेती है.
इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा समेत अन्य वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं.
क्या फिर होगा कोई निर्णायक कदम?
इतिहास इस ओर इशारा करता है कि CCPA की बैठकें केवल चर्चा के लिए नहीं होतीं — ये निर्णयों की भूमिका तैयार करती हैं. पुलवामा हमले के बाद हुई बैठक में ही पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा छीनने का फैसला लिया गया था और फिर एयरफोर्स ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था.
अब जब पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई है और CCPA फिर सक्रिय हुई है, तो सवाल उठता है — क्या एक और निर्णायक कदम की तैयारी चल रही है?
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