हम सबको पता है कि हफ्ते में सात दिन होते हैं—रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार. लेकिन क्या कभी आपने यह सवाल खुद से पूछा है कि ये दिन इसी क्रम में क्यों आते हैं? आखिर ऐसा क्या कारण है कि रविवार ही पहले आता है और सोमवार उसके बाद?
कैलेंडर में यह क्रम केवल संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा ज्योतिषीय और सांस्कृतिक आधार है—जिसका जिक्र वैदिक ज्योतिष में मिलता है.
ग्रहों से जुड़ा है सप्ताह का रहस्य
भारतीय संस्कृति में सप्ताह के सातों दिन ग्रहों से जुड़े हुए हैं:
राज्यसभा सांसद और विद्वान वक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने एक वीडियो में बताया कि सप्ताह के इन दिनों की यह विशेष क्रमबद्धता केवल ज्योतिषीय विश्वास नहीं, बल्कि वैज्ञानिक गणना पर आधारित है.
‘होरा’ से समझें सप्ताह का सही क्रम
डॉ. त्रिवेदी बताते हैं कि वैदिक ज्योतिष में "होरा" नामक एक सिद्धांत है, जो यह तय करता है कि दिन का आरंभ किस ग्रह के प्रभाव से होगा. "होरा" शब्द ही बाद में ग्रीक भाषा के शब्द Horoscope का आधार बना.
इस गणना के अनुसार, जब सूर्य की होरा से दिन शुरू होता है, तो 24 घंटे बाद अगली होरा चंद्रमा की होती है. फिर उसके बाद मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और अंत में शनि की होरा आती है. इस प्रकार 7 ग्रहों की यह चक्रीय गणना ही हमारे सप्ताह के 7 दिनों के क्रम की नींव है.
आकार या दूरी नहीं, 'होरा' तय करता है क्रम
अगर केवल ग्रहों के आकार या सूर्य से दूरी को देखा जाए, तो रविवार के बाद सीधे बृहस्पति या बुध का दिन होना चाहिए. लेकिन वैदिक ज्ञान केवल भौतिक आधार पर नहीं, बल्कि ग्रहों के प्रभाव और होरा चक्र पर आधारित होता है. इसीलिए रविवार के बाद सोमवार, फिर मंगलवार... इस तरह से क्रम बना है. इसे भारत का प्राचीन खगोलीय विज्ञान भी कहा जा सकता है.
मंत्रों में भी छिपा है यही संकेत
आपने नवग्रह शांति का प्रसिद्ध मंत्र सुना होगा:
"ॐ ब्रह्मा मुरारि त्रिपुरांतकारी
भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च.
गुरुश्च शुक्रः शनि राहुकेतवः
सर्वेग्रहाः शांतिकरा भवन्तु ॥"
इस मंत्र में भी ग्रहों का वही क्रम है: भानु (सूर्य), शशी (चंद्र), भूमि सुत (मंगल), बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु. यानि यहां भी रविवार से शुरू होकर क्रमशः सप्ताह के सभी दिनों की पुष्टि होती है.
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