SpaceX को टेलीकॉम मिनिस्ट्री की मंजूरी, अब भारत में मिलेगी स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस, जानें कीमत

    एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक को भारत में बड़ी मंजूरी मिल गई है.

    SpaceX gets approval from Telecom Ministry
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक को भारत में बड़ी मंजूरी मिल गई है. टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने इसे देश में परिचालन की हरी झंडी दे दी है. अब यह केवल भारतीय अंतरिक्ष प्रमोशन और ऑथराइजेशन केंद्र (IN-SPACe) से अंतिम मंजूरी का इंतजार कर रही है.

    स्टारलिंक भारत में तीसरी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस होगी, जिसे आधिकारिक रूप से काम करने की इजाजत मिली है. इससे पहले भारती ग्रुप की वनवेब और रिलायंस जियो को यह मंजूरी मिल चुकी है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, स्टारलिंक अपने शुरुआती प्रमोशनल ऑफर में 840 रुपये प्रति माह में अनलिमिटेड डेटा उपलब्ध कराएगी.

    प्राथमिकता: दुर्गम क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंचाना

    स्टारलिंक की सेवाएं विशेष रूप से उन ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होंगी जहां फाइबर-ऑप्टिक या मोबाइल नेटवर्क की पहुंच नहीं है. इस तकनीक के माध्यम से देश के उन हिस्सों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा, जो अब तक डिजिटल इंडिया अभियान से अछूते थे.

    स्पेसएक्स की योजना और तकनीकी दायरा

    स्पेसएक्स फिलहाल लगभग 7,000 सैटेलाइट्स के जरिए पूरी दुनिया में करीब 40 लाख ग्राहकों को सेवा दे रही है. भविष्य में यह नेटवर्क 18,000 सैटेलाइट्स तक पहुंचाया जाएगा, जिससे भारत में करीब 15 लाख यूजर्स तक सेवाएं पहुंचाई जा सकेंगी. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सीमित सैटेलाइट क्षमता इस लक्ष्य को चुनौतीपूर्ण बना सकती है.

    स्टारलिंक की सेवा कैसी होगी?

    यूजर्स को एक स्टारलिंक किट मिलेगी जिसमें एक सैटेलाइट डिश, वाई-फाई राउटर, पॉवर केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड शामिल होंगे. इस डिश को खुले आसमान के नीचे लगाना होगा ताकि यह सैटेलाइट सिग्नल को पकड़ सके. एक मोबाइल ऐप की मदद से उपभोक्ता सेटअप और मॉनिटरिंग कर सकेंगे.

    लागत बनाम सेवाएं: क्या है संतुलन?

    भले ही भारत में पारंपरिक होम ब्रॉडबैंड के मुकाबले सैटेलाइट इंटरनेट महंगा हो, लेकिन जिन इलाकों में कोई अन्य विकल्प नहीं है, वहां स्टारलिंक एक अहम समाधान बन सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि 500 से 1000 रुपये के बीच मासिक दर पर अगर स्टारलिंक इंटरनेट सेवा दे पाती है, तो यह सीमित लेकिन महत्वपूर्ण यूजर बेस को आकर्षित कर सकती है.

    सरकारी प्रक्रियाएं और चुनौतियां

    हालांकि टेलीकॉम डिपार्टमेंट की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अंतिम परिचालन के लिए अब IN-SPACe की अनुमति जरूरी है. पिछली दो कंपनियों—जियो और वनवेब—को इस मंजूरी के लिए दो साल तक इंतजार करना पड़ा था. ऐसे में स्टारलिंक को भी थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है.

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