South Korea Lunar Mission: चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बसाने का सपना अब सिर्फ कल्पना नहीं रहा, बल्कि कई देशों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बन चुका है. भारत, अमेरिका और रूस जैसे महाशक्तियों के साथ-साथ अब दक्षिण कोरिया भी इस दौड़ में शामिल हो गया है. इसके बाद चंद्रमा पर इंसानी बस्ती का सपना और भी साकार होता नजर आ रहा है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि दक्षिण कोरिया इस मिशन के लिए क्या कदम उठा रहा है और अन्य देश किस तरह से इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं.
दक्षिण कोरिया का चंद्रमा पर बेस बनाने का सपना
दक्षिण कोरिया ने हाल ही में अपने महत्वाकांक्षी मिशन के तहत चंद्रमा पर एक बेस बनाने की योजना का ऐलान किया है. कोरिया एयरोस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (KASA) ने इस परियोजना के लिए 2045 तक का समय निर्धारित किया है. देश का लक्ष्य चंद्रमा पर ऐसी तकनीकों को विकसित करना है जो भविष्य में वहां जीवन की संभावना बढ़ा सकें. इसके तहत कोरिया ने अपने रोडमैप में 5 अहम मिशनों को शामिल किया है, जिनमें लो अर्थ ऑर्बिट, माइक्रोग्रेविटी एक्सप्लोरेशन, लूनर एक्सप्लोरेशन, सोलर और स्पेस साइंस मिशन शामिल हैं.

कासा (KASA) का महत्व और उद्देश्य
साउथ कोरिया ने पिछले साल अपनी स्पेस एजेंसी KASA की स्थापना की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर लैंडिंग और रोविंग तकनीकी विकास करना है. इस दिशा में कासा ने हाल ही में अंतरिक्ष में खुदाई करने वाली एक नई तकनीक का परीक्षण भी किया है, जो भविष्य में चंद्रमा की सतह पर खुदाई और खनन के कार्य को संभव बना सकती है.
साउथ कोरिया के पिछले प्रयास
साउथ कोरिया की चंद्रमा से जुड़ी यात्रा अभी प्रारंभिक दौर में है, लेकिन कुछ अहम उपलब्धियां तो उसने पहले ही हासिल कर ली हैं. साल 2022 में, कोरिया ने अपना पहला मून प्रोव, कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (दानुरी) लॉन्च किया था. यह प्रोव चंद्रमा का अध्ययन कर रहा है और कुछ महत्वपूर्ण डेटा जुटा रहा है.

चंद्रमा पर लैंडिंग का लक्ष्य
2032 तक साउथ कोरिया ने चंद्रमा की सतह पर एक रोबोटिक लैंडर उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया है. यह कदम उनकी चंद्रमा पर इंसानी बस्ती की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.
दूसरे देशों की योजनाएं
दक्षिण कोरिया अकेला ऐसा देश नहीं है जो चांद पर अपना बेस बनाने की योजना बना रहा है. नासा भी आर्टेमिस मिशन के तहत अगले दशक में एक या एक से ज्यादा बेस बनाने का लक्ष्य रखता है. भारत ने भी 2047 तक चंद्रमा पर अपना बेस बनाने की योजना बनाई है, जबकि चीन और रूस इस क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं.
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