India Russia S-OTH Deal: भारत अब अपनी वायु सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है. चीन और पाकिस्तान से मिल रहे नए वायु खतरे, खासकर स्टील्थ फाइटर जेट्स और हाइपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती को देखते हुए, भारत रूस के आधुनिक ओवर-द-होराइजन (OTH) रडार सिस्टम – कंटेनर-S को खरीदने पर विचार कर रहा है.
रक्षा से जुड़ी प्रतिष्ठित वेबसाइट Defence Security Asia की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और रूस के बीच इस रडार सिस्टम की खरीद को लेकर उच्च-स्तरीय बातचीत चल रही है. यह रडार सिस्टम भारत को दुश्मन के हवाई हमलों की 3000 किलोमीटर की रेंज तक पहले से सटीक जानकारी देने में सक्षम होगा.
कंटेनर-S OTH: क्या है यह हाई-टेक रडार सिस्टम?
रूस के RTI Systems द्वारा विकसित यह रडार सिस्टम एक ओवर-द-होराइजन (OTH) तकनीक पर आधारित है. यह सामान्य रडार की तरह सीधी रेखा में सीमित दूरी तक नहीं, बल्कि आयनोस्फेयर से रेडियो वेव्स के परावर्तन के माध्यम से हजारों किलोमीटर दूर उड़ते टारगेट को ट्रैक कर सकता है.
यह सिस्टम एक साथ 5000 हवाई लक्ष्यों पर नजर रखने की क्षमता रखता है.
इसे विशेष रूप से स्टील्थ फाइटर जेट्स (जैसे अमेरिकी F-35, चीनी J-20 और J-35A) और हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह 100 किलोमीटर ऊंचाई तक ट्रैकिंग कवरेज देता है, जिससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और इंटरसेप्शन में भी बढ़त मिलेगी.
भारत की रणनीति: खतरे के पहले संकेत, तुरंत जवाब
इस रडार सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत है इसकी अतिविस्तृत निगरानी रेंज, जो चीन और पाकिस्तान की सीमा पार मौजूद हवाई ठिकानों को भी कवर कर सकती है. चीन ने पहले ही अपने J-20 स्टील्थ फाइटर्स को होटन, शिगात्से और नगरी गूंसा एयरबेस पर तैनात कर दिया है, जो इस रडार की कवरेज में आएंगे. वहीं, पाकिस्तान के जल्द ही J-35A स्टील्थ जेट लेने की संभावना है. इन सभी गतिविधियों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग भारत इस रडार से कर सकेगा.
तैनाती की संभावित जगहें
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत इस सेमी-परमानेंट रडार सिस्टम को उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख जैसी रणनीतिक लोकेशनों पर तैनात कर सकता है. इसके अतिरिक्त, अंडमान-निकोबार में इसकी तैनाती से भारत साउथ चाइना सी और हिंद महासागर तक की निगरानी कर सकता है.
तकनीकी ताकत और इंटीग्रेशन
36 ट्रांसमिटर एंटीना (प्रत्येक की ऊंचाई 34 मीटर) और 144 रिसीवर एंटीना के साथ यह रडार एक विशाल भू-भाग को कवर करता है. यह रडार सिस्टम भविष्य में भारत के इंटीग्रेटेड डिफेंस कमांड से भी जोड़ा जा सकता है. इसे S-400, XRSAM, DRDO के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम्स, आकाश और बराक मिसाइल सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जा सकता है, जिससे भारत को एक 360-डिग्री एयर डिफेंस कवच मिल सकेगा.
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