नागपुर: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक अहम बात कही है – अगर देश में सिस्टम को अनुशासित और जवाबदेह बनाना है, तो समाज में ऐसे लोग भी होने चाहिए जो सरकार की नीतियों और फैसलों को अदालत में चुनौती दें.
गडकरी नागपुर में आयोजित ‘प्रकाश देशपांडे स्मृति कुशल संगठक पुरस्कार समारोह’ को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, “कई बार अदालतें ऐसे फैसले करवा देती हैं जो सरकार चाहकर भी नहीं कर पाती. इसलिए लोकतंत्र में कुछ लोगों का सरकार के खिलाफ याचिकाएं दाखिल करना जरूरी है. इससे व्यवस्था में अनुशासन और पारदर्शिता आती है.”
अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण
गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि आज की राजनीति में जनता को खुश करने की होड़ में कई बार जनहित से जुड़े कठिन फैसले नहीं लिए जा पाते. ऐसे में अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.
उन्होंने यह भी बताया कि अतीत में कई ऐसी याचिकाएं दायर हुईं, जिनके बाद सरकारों को अपने कदम पीछे लेने पड़े या अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ा. गडकरी के अनुसार, सही समय पर सरकार पर सवाल उठाना ही लोकतंत्र की ताकत है.
विरोध नहीं, जनहित में हस्तक्षेप करें
गडकरी ने उन सामाजिक कार्यकर्ताओं और कानूनी योद्धाओं की प्रशंसा की, जिन्होंने सिर्फ विरोध के लिए विरोध नहीं किया, बल्कि जनहित में ठोस हस्तक्षेप किया. उन्होंने कहा, "ऐसे जागरूक और निडर नागरिक लोकतंत्र की रीढ़ होते हैं, जो सिस्टम की गलतियों को उजागर करते हैं और सुधार की प्रक्रिया को गति देते हैं."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इन लोगों ने अदालतों के माध्यम से सरकार की जवाबदेही तय करने में अहम भूमिका निभाई, जो लोकतंत्र के लिए प्रेरणादायक है.
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