Sita Navmi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को देवी सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसे सीता नवमी या सीता जयंती के नाम से जाना जाता है. यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है, जो इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और विशेष पूजा करती हैं.
सीता नवमी 2025 का शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 5 मई 2025, सोमवार सुबह 7:35 बजे. तिथि समाप्ति: 6 मई 2025, मंगलवार सुबह 8:38 बजे. इस दिन का शुभ संयोग इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि माता सीता का जन्म पुष्य नक्षत्र में मंगलवार को हुआ था.
पौराणिक कथा: कैसे हुआ माता सीता का जन्म?
माता सीता को जनकनंदिनी और जानकी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार मिथिला राज्य में भयंकर सूखा पड़ा. ऋषियों के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ के बाद खेत में हल चलाना शुरू किया. तभी हल की नोक एक संदूक से टकराई. जब संदूक को खोला गया, तो उसमें एक दिव्य कन्या मिली. संतानहीन राजा जनक ने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका नाम रखा – सीता. सीता मढ़ी (बिहार) और जनकपुर (नेपाल) को माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है.
सीता नवमी का महत्व
देवी सीता को त्याग, समर्पण, शुद्धता और सहनशीलता की प्रतीक माना जाता है. उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया लेकिन सदैव धर्म और मर्यादा का पालन किया. यही कारण है कि उन्हें “भारतीय नारीत्व की आदर्श मूर्ति” कहा जाता है.
सीता नवमी पूजा विधि
1. प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें.
2. घर में पूजा स्थान को स्वच्छ कर भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
3. फूल, फल, पंचामृत व नैवेद्य अर्पित करें.
4. माता सीता की आरती करें और व्रत का संकल्प लें (यदि संभव हो तो निर्जल या फलाहारी व्रत करें).
5. दिनभर सात्विक आहार लें और रामायण या सीता चरित मानस का पाठ करें.
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