कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो चुके हैं. एक ओर पाकिस्तान बार-बार यह आशंका जता रहा है कि भारत कभी भी सैन्य कार्रवाई कर सकता है, तो दूसरी ओर भारत ने अब बिना किसी शोर-शराबे के जमीनी तैयारियां तेज कर दी हैं. इसी सिलसिले में भारत सरकार ने देशभर के 244 जिलों में एक साथ मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला किया है.
गृह मंत्रालय ने यह कदम सुरक्षा हालातों की गंभीरता और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए उठाया है. मॉक ड्रिल की तारीख 7 मई तय की गई है और इसे लेकर मंगलवार सुबह 10:45 बजे गृह सचिव ने एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई है, जिसमें सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों से सीधे संवाद किया जाएगा.
मॉक ड्रिल के पीछे मकसद: सुरक्षा तंत्र की पड़ताल
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देशित किया है कि 7 मई को जिला स्तर से लेकर गांव स्तर तक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित की जाए. इसका उद्देश्य नागरिक सुरक्षा तंत्र की वास्तविक स्थिति को परखना और किसी भी आपात स्थिति में उसकी प्रतिक्रियाशीलता बढ़ाना है.
ड्रिल के दौरान इन गतिविधियों को शामिल किया गया है:
हर स्तर पर होगी भागीदारी
इस अभ्यास में केवल प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, बल्कि नागरिक स्तर पर भी बड़ी भागीदारी सुनिश्चित की गई है. होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र के सदस्य, स्कूली और कॉलेज छात्र—सभी को इस अभ्यास में शामिल किया जाएगा. इससे न केवल वास्तविक स्थिति में जवाबदेही बेहतर होगी, बल्कि जनता के बीच सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी.
क्यों जरूरी है यह तैयारी?
गृह मंत्रालय के अंतर्गत अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड महानिदेशालय ने साफ किया है कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में नागरिक सुरक्षा को केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बनाना होगा. पत्र में कहा गया है कि यह अभ्यास ना केवल प्रशिक्षण है, बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा का हिस्सा है.
हमले में गईं 26 जानें, पीएम ने दी कड़ी चेतावनी
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत हुई थी, जिनमें कई पर्यटक भी शामिल थे. हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया था कि जो भी इस हमले के पीछे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा—चाहे वो कहीं भी छिपे हों.
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