ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय की निदेशक साइमा वाजेद पुतुल को अनिश्चित काल के लिए छुट्टी पर भेजा गया है. यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब उन पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे हैं.
आरोपों के बाद लिया गया निर्णय
स्वास्थ्य नीति संबंधी वेबसाइट हेल्थ पॉलिसी वॉच के अनुसार, साइमा को 11 जुलाई से छुट्टी पर भेजा गया. यह कदम बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ACC) द्वारा साइमा के खिलाफ चार महीने पहले दर्ज की गई शिकायतों के बाद उठाया गया है. आरोपों में कहा गया है कि उन्होंने इस प्रतिष्ठित पद को पाने के लिए अपनी मां शेख हसीना के राजनीतिक रसूख का फायदा उठाया.
WHO के अंदरूनी मेल से खुलासा
रिपोर्ट के मुताबिक, WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने एक आंतरिक मेल के जरिए संगठन के स्टाफ को इस बदलाव की जानकारी दी. मेल में बताया गया कि साइमा अब छुट्टी पर हैं और उनकी गैरहाजिरी में WHO की सहायक निदेशक कैथरीना बोहेम को कार्यवाहक प्रमुख नियुक्त किया गया है. कैथरीना 15 जुलाई को नई दिल्ली स्थित WHO कार्यालय में कार्यभार संभालेंगी.
बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने इस कदम को "जवाबदेही की दिशा में एक अहम शुरुआत" बताया. उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि इस मामले का स्थायी समाधान जरूरी है, जिसमें साइमा को उनके पद से हटाया जाए, विशेषाधिकार खत्म किए जाएं और संगठन की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया जाए."
शिक्षा संबंधी धोखाधड़ी के भी आरोप
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश के भ्रष्टाचार विरोधी निकाय ने यह भी आरोप लगाया कि साइमा ने अपनी शैक्षणिक योग्यता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया ताकि WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पद पर चयन हो सके. इसके साथ ही यह भी आरोप है कि इस चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा और इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ.
साइमा वाजेद के भविष्य को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि WHO ने उनके इस्तीफे या निष्कासन की पुष्टि नहीं की है, लेकिन छुट्टी पर भेजा जाना किसी भी संगठनात्मक जांच या कार्रवाई की शुरुआत मानी जाती है. अब सभी की निगाहें संगठन की अगली प्रतिक्रिया और बांग्लादेश के भ्रष्टाचार आयोग की जांच पर टिकी हैं.
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