ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्लाह अल मामून के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध से जुड़े गंभीर आरोपों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मुकदमा बांग्लादेश इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल (ITC) द्वारा चलाया जा रहा है और इसकी सुनवाई 3 अगस्त 2025 से शुरू होगी.
पूर्व IGP चौधरी अब्दुल्लाह अल मामून ने कथित रूप से आरोप स्वीकार कर लिए हैं और सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई है. मामून फिलहाल जेल में हैं, जबकि बाकी दो आरोपी वर्तमान में बांग्लादेश से बाहर हैं. ट्रिब्यूनल ने बताया कि मुकदमा उनकी गैर-मौजूदगी में भी आगे बढ़ाया जाएगा.
प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से जुड़े हैं आरोप
यह मामला उस घटना से जुड़ा है, जब जून 2024 में बांग्लादेश हाईकोर्ट द्वारा सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण नीति को मंजूरी दिए जाने के बाद छात्र संगठनों और नागरिकों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू किए थे.
हालांकि सरकार ने बाद में यह आरक्षण नीति रद्द कर दी थी, फिर भी प्रदर्शनों का दायरा बढ़ता गया और विरोध तेज हो गया. इन घटनाओं के दौरान करीब 1,400 लोगों की जान चली गई, जिनमें से अधिकतर छात्र बताए गए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर आरोप है कि उन्होंने इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए कठोर कदम उठाने के निर्देश दिए थे.
तख्तापलट और आरोपों की श्रृंखला
5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद, शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और तब से वे भारत में रह रही हैं. वर्तमान सरकार के तहत हसीना के खिलाफ 225 से अधिक कानूनी मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें हत्या, अपहरण, और देशद्रोह के आरोप भी शामिल हैं.
सरकार ने जुलाई 2025 में हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया, जिससे उनकी वापसी पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.
ऑडियो क्लिप और साक्ष्य से बढ़ा मामला
ट्रिब्यूनल ने हाल ही में शेख हसीना को अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने की सजा सुनाई है. यह फैसला उस ऑडियो क्लिप के आधार पर लिया गया जिसमें कथित रूप से हसीना को यह कहते सुना गया कि उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों के चलते उन्हें जवाबी कार्रवाई का "लाइसेंस" मिल गया है.
इसके अलावा BBC और कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने एक लीक कॉल रिकॉर्डिंग प्रकाशित की है, जिसमें दावा किया गया कि हसीना ने सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों को “जहां दिखें, गोली मारने” का आदेश दिया था.
इस कॉल के बाद हुए घटनाक्रमों में ढाका और अन्य इलाकों में सैन्य ग्रेड हथियारों का इस्तेमाल होने की पुष्टि कुछ पुलिस दस्तावेजों में की गई है.
अंतरराष्ट्रीय नजरें और मानवाधिकार की चिंता
इस पूरे मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की गहरी नजर बनी हुई है. मानवाधिकार संगठनों ने बांग्लादेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान सशस्त्र बलों की भूमिका, निष्पक्ष जांच और न्यायिक पारदर्शिता की मांग की है.
ITC की यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय है, और किसी भी देश के शीर्ष नेतृत्व को जवाबदेह ठहराया जा सकता है.
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