तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने क्षेत्रीय शांति की जरूरत पर जोर देते हुए भारत से सभी विवादित मसलों पर बातचीत करने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र में स्थिरता चाहता है और इसके लिए दोनों देशों के बीच संवाद आवश्यक है. हालांकि, शहबाज शरीफ ने इस दौरान भारत पर सिंधु जल संधि (इंडस वॉटर ट्रीटी) का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया.
सिंधु जल संधि को लेकर गंभीर आरोप
शिखर सम्मेलन में शहबाज शरीफ ने तुर्की और अजरबैजान के नेताओं के सामने कहा कि भारत सिंधु जल संधि को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और पाकिस्तान की पानी की आपूर्ति को बाधित करने की रणनीति अपना रहा है. उन्होंने कहा कि यह पानी पाकिस्तान की 24 करोड़ आबादी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और वे इसे रोकने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने देंगे. शरीफ ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ऐसे कदमों को रोकने के लिए हर संभव उपाय करेगा.
कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर भी उठाए सवाल
अपने संबोधन में शहबाज शरीफ ने कश्मीर विवाद को भी उठाया और भारत पर कड़ी आलोचना की. उन्होंने आतंकवाद के विषय पर भी शांति की पहल का प्रस्ताव रखा. शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है, जहां हजारों लोगों की जान गई है और भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. उन्होंने भारत से आग्रह किया कि यदि वह आतंकवाद पर चर्चा करना चाहता है तो पाकिस्तान हर तरह के मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है.
पाकिस्तान की परमाणु शक्ति का कनेक्शन
शहबाज शरीफ ने अजरबैजान के स्वतंत्रता दिवस (28 मई) को पाकिस्तान के परमाणु शक्ति बनने के दिन के साथ जोड़ा. उन्होंने कहा कि 1998 में पाकिस्तान ने इसी तारीख को परमाणु परीक्षण कर अपनी ताकत साबित की थी. इसलिए, 28 मई दोनों देशों के लिए खास महत्व रखता है.
क्षेत्रीय समर्थन और साथ की बात
शहबाज शरीफ ने अजरबैजान और तुर्की के प्रति पाकिस्तान के समर्थन को भी दोहराया. उन्होंने कहा कि अजरबैजान की क्षेत्रीय अखंडता के लिए पाकिस्तान और तुर्की हमेशा मजबूत साथी रहे हैं. उन्होंने हाल ही में हुए संघर्षों का हवाला देते हुए बताया कि जब आर्मेनिया ने अजरबैजान पर हमला किया, तो पाकिस्तान ने अजरबैजान का मजबूत समर्थन किया. साथ ही, भारत द्वारा पाकिस्तान पर हमले के समय भी अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होने का भरोसा दिया.
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