नई दिल्लीः पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने त्वरित और प्रभावी जवाब देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. इस सशक्त सैन्य अभियान में थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने एकजुट होकर ज़मीन, हवा और समुद्र – तीनों मोर्चों से दुश्मन पर करारा प्रहार किया. पाकिस्तान के खिलाफ इस अभूतपूर्व अभियान में भारतीय सेनाओं की ज्वाइंट कोऑर्डिनेशन क्षमता की झलक साफ़ देखने को मिली, जिसने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भविष्य के युद्ध अब एकल-सेवा आधारित नहीं, बल्कि ‘त्रि-सेवा आधारित’ होंगे.
इस अभियान के बाद भारत सरकार ने थिएटर कमांड की अवधारणा को ज़मीनी हकीकत में बदलने के प्रयासों को तेज़ कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने 27 मई को इंटर-सर्विस ऑर्गेनाइजेशंस (कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लिन) एक्ट, 2023 के तहत संबंधित नियमों को अधिसूचित कर दिया, जिससे थिएटराइजेशन की प्रक्रिया को औपचारिक और कानूनी मजबूती मिली है.
सटीकता, समन्वय और शक्ति का प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर के तहत वायुसेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के 13 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. नेवी ने आईएनएस विक्रांत की अग्रिम तैनाती से समुद्री क्षेत्र में दुश्मन की घुसपैठ की हर कोशिश को नाकाम किया. थलसेना ने सियालकोट, मुज़फ्फराबाद, कोटली और भीमबर जैसे इलाकों में घुसकर आतंकियों के अड्डों को तबाह किया. इन अभियानों में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की बेमिसाल मिसाल देखने को मिली.
थिएटर सिस्टम की दिशा में निर्णायक कदम
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान की निगरानी में अब भारत ‘थिएटर कमांड’ मॉडल को लागू करने की दिशा में निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है. नए नियमों के तहत अब इंटर-सर्विस यूनिट्स के कमांडर को तीनों सेवाओं के कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक अधिकार मिलेंगे, जो पहले केवल उनकी अपनी सेवा तक सीमित होते थे.
क्यों ज़रूरी है थिएटराइजेशन?
चीन पहले ही ‘थिएटर कमांड सिस्टम’ को लागू कर चुका है. ऐसे में भारत के लिए भी इस दिशा में तेज़ी से बढ़ना रणनीतिक दृष्टिकोण से आवश्यक हो गया है. देश की उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर बढ़ते खतरे, और दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका को देखते हुए संयुक्त कमान प्रणाली का होना अब अनिवार्य हो गया है.
रक्षा सुधारों का वर्ष
रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘सैन्य सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है. थिएटराइजेशन को इस पहल में सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. इसके अलावा साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष युद्ध (Space Warfare), स्वदेशी रक्षा उत्पादन, और हथियार खरीद प्रणाली को सरल बनाने जैसे क्षेत्रों पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है.
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