इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में अशांत बलूचिस्तान प्रांत का दौरा किया, जहां उन्होंने सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की और स्थानीय जनसमुदाय के प्रतिनिधियों को संबोधित किया. यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब हाल के सप्ताहों में बलूचिस्तान में सशस्त्र हमलों में वृद्धि हुई है, और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्षेत्र में व्यापक रणनीतिक हलचल देखी जा रही है.
इस दौरे का उद्देश्य, पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार, "आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटना" और "विदेशी हस्तक्षेप" के विरुद्ध एक समन्वित प्रतिक्रिया विकसित करना था. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य बढ़ते बलूच असंतोष को काबू में लाने और हालिया अंतरराष्ट्रीय ध्यान के परिप्रेक्ष्य में स्थिति को राजनीतिक रूप से नियंत्रित करने का प्रयास है.
ग्रैंड जिरगा में भारत पर लगाए गए आरोप
शहबाज शरीफ और जनरल मुनीर ने क्वेटा स्थित ज़ेहरी ऑडिटोरियम में आयोजित एक ग्रैंड जिरगा में भाग लिया, जिसमें बलूच जनजातीय बुजुर्गों को संबोधित किया गया. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में भारत पर आरोप लगाया गया कि वह बलूचिस्तान में अस्थिरता फैलाने के लिए “छद्म युद्ध” का सहारा ले रहा है. इन आरोपों में यह भी कहा गया कि कथित रूप से भारत समर्थित नेटवर्क बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.
PM Shehbaz Sharif & COAS Asim Munir Address Grand Jirga in Quetta
— Tawar-e-Pakistan (@TawarePakistan) June 1, 2025
The leadership warns of intensified Indian-backed proxy war in Balochistan. PM reaffirms: “Terrorists will find no space in Pakistan.”
COAS: “This malicious terrorism will be crushed.” pic.twitter.com/eJIrpYGfKY
हालांकि पाकिस्तान ने इन आरोपों के समर्थन में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण सार्वजनिक नहीं किया है. अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों द्वारा अक्सर इस प्रकार के दावों को प्रचार आधारित रणनीति और आंतरिक विफलताओं से ध्यान भटकाने का प्रयास माना जाता है.
राष्ट्रीय एकता और आतंकवाद विरोधी अभियान
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री शरीफ ने बलूच नेताओं से राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की अपील की और सुरक्षा बलों को “आतंकवाद के पूर्ण उन्मूलन” तक संघर्ष जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवादी संगठनों को जनता से अलग-थलग करने के लिए “स्थानीय समुदायों के साथ निरंतर संवाद” बनाए रखेगी.
सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भी अपने वक्तव्य में भारत पर सीधा आरोप लगाया कि वह बलूचिस्तान में “खुले रूप से प्रॉक्सी वॉर” चला रहा है. हालांकि उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक नीतियों की विफलताओं और बलूच जनता की मांगों को गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है.
वर्तमान संदर्भ और संभावित परिणाम
बलूचिस्तान दशकों से पाकिस्तान के लिए एक जटिल मुद्दा रहा है, जहां अलगाववादी आंदोलनों, आर्थिक उपेक्षा और मानवाधिकार हनन की शिकायतें आम रही हैं. हाल के महीनों में बलूच विद्रोही गुटों द्वारा पाकिस्तानी सेना पर हमलों में तेज़ी आई है. कई निर्वासित बलूच नेताओं ने भारत से वैचारिक और कूटनीतिक समर्थन प्राप्त करने की इच्छा भी व्यक्त की है, जिससे इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है.
भारत की ओर से आधिकारिक रूप से इन घटनाओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत पर बार-बार लगाए जा रहे आरोप, विशेष रूप से किसी ठोस प्रमाण के अभाव में, क्षेत्रीय तनावों को और गहरा कर सकते हैं.
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