इस्तांबुल: तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता का दूसरा दौर मात्र एक घंटे में समाप्त हो गया, जिससे दोनों पक्षों के बीच जारी टकराव की जटिलता और गहराई एक बार फिर सामने आई है.
यह वार्ता ऐसे समय पर हुई जब कुछ ही घंटे पहले यूक्रेन ने रूस के साइबेरिया क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले किए. रूसी प्रतिनिधिमंडल से जब हमलों पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने केवल इतना कहा, "कल का इंतजार कीजिए."
वार्ता के राजनीतिक संकेत:
यूक्रेन का प्रतिनिधिमंडल सैन्य वर्दी में वार्ता स्थल पर पहुंचा, जो बातचीत की पृष्ठभूमि में चल रहे युद्ध की तीव्रता को दर्शाता है. वार्ता में यूक्रेन की ओर से रक्षा मंत्री रुस्टेम उमेरोव और रूस की ओर से राष्ट्रपति पुतिन के करीबी व्लादिमिर मेंडिस्की शामिल हुए.
अब तक किसी तरह के ठोस परिणाम या समझौते की घोषणा नहीं की गई है, और न ही आगे की बैठक की कोई तारीख तय हुई है.
16 मई की वार्ता: उम्मीदें और अड़चनें
इससे पहले 16 मई को इस्तांबुल में हुई पहली वार्ता में चार प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई थी:
साइबेरिया में ड्रोन हमले:
यूक्रेन द्वारा हालिया ड्रोन हमले रूसी सैन्य प्रतिष्ठानों की गहराई तक पहुंचने की उसकी क्षमता को दर्शाते हैं. रूसी रक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि 1 जून को हुए हमलों में पांच एयरबेस निशाने पर थे- मुरमान्स्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाजान और अमूर.
हालांकि रूस ने दावा किया कि अधिकांश हमलों को नाकाम कर दिया गया, लेकिन कुछ एयरबेस- विशेषकर ओलेनोगोर्स्क और स्रेद्नी पर हमले एयरबेस के अत्यंत समीप से किए गए थे. माना जा रहा है कि इन हमलों के लिए ड्रोन पास के इलाकों से ट्रेलर ट्रकों की मदद से लॉन्च किए गए.
2022 से 2025 तक की पृष्ठभूमि:
फरवरी 2022: रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया. अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने कड़ा विरोध जताया.
फरवरी 2025: अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से संपर्क बढ़ाया. उन्होंने पुतिन से 90 मिनट बात की और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को ‘तानाशाह’ कह कर वैश्विक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया.
मई 2025: अमेरिका की पहल पर रूस और यूक्रेन के बीच वार्ताएं फिर से शुरू हुईं. हालांकि, क्षेत्रीय नियंत्रण, सुरक्षा गारंटी और राजनीतिक समाधान पर अब भी गंभीर मतभेद बने हुए हैं.
कूटनीतिक जटिलताएं और संभावनाएं
दूसरे दौर की वार्ता का केवल एक घंटे में समाप्त हो जाना इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर विश्वास की कमी अब भी बनी हुई है. जबकि कैदी अदला-बदली जैसे मानवीय प्रयासों में कुछ सफलता मिली है, लेकिन क्षेत्रीय नियंत्रण, सैन्य वापसी, और संप्रभुता जैसे प्रमुख मुद्दों पर किसी भी तरह की रियायत की संभावना निकट भविष्य में कठिन दिखती है.
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