ईरान में सेना भेजने की तैयारी कर रहा इजरायल! क्या परमाणु ठिकानों को तबाह कर पाएंगे Shaldag कमांडो?

    इजरायल इस ठिकाने को जमीनी स्तर से खत्म करने के लिए कमांडो ऑपरेशन पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

    Shaldag commandos will be destroy Irans nuclear sites
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    तेल अवीव: ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है. सबसे चर्चा में है ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र, जो भूमिगत स्थित है और अत्याधुनिक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है. इजरायल लंबे समय से इस फैसिलीटी को निशाना बनाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इसकी गहराई और सुरक्षा के कारण कोई हवाई हमला सफल साबित नहीं हो पाया है. अब खबरें आ रही हैं कि इजरायल इस ठिकाने को जमीनी स्तर से खत्म करने के लिए कमांडो ऑपरेशन पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

    फोर्डो की अहमियत और सुरक्षा

    फोर्डो परमाणु संयंत्र, तेहरान से लगभग 95 किलोमीटर दूर, पहाड़ी के अंदर करीब 90 मीटर गहराई में स्थित है. इसके अंदर करीब 2000 सक्रिय सेंट्रीफ्यूज काम कर रहे हैं, जो 60 प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम उत्पन्न करते हैं, जो परमाणु बम के लिए आवश्यक 90 प्रतिशत के बेहद करीब है. यही वजह है कि इस ठिकाने को ‘परमाणु किला’ कहा जाता है और इसे सीधे हवाई हमले से नष्ट करना लगभग असंभव है.

    Shaldag कमांडो और ऑपरेशन

    इजरायली सेना के पास स्पेशल ऑपरेशंस के लिए Shaldag कमांडो नामक विशेष बल मौजूद हैं, जिन्हें ‘किंगफिशर’ भी कहा जाता है. ये टीम जटिल और खतरनाक मिशनों में माहिर मानी जाती है, जिसमें दुश्मन क्षेत्र में घुसपैठ कर गुप्त कार्रवाई करना शामिल है. Shaldag कमांडो का गठन 1974 में हुआ था, और इसके सदस्य उच्च प्रशिक्षित पायलट और विशेष सैनिक होते हैं.
    रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल लगभग 10 हजार कमांडो को ईरान में इस ऑपरेशन के लिए तैनात करने पर विचार कर रहा है. योजना के तहत ये कमांडो फोर्डो जैसे गुप्त परमाणु ठिकानों में घुसकर विस्फोटक लगाकर भारी क्षति पहुंचा सकते हैं.

    चुनौतियां और जोखिम

    हालांकि Shaldag कमांडो की क्षमता अत्यंत प्रभावशाली है, पर ईरान की सुरक्षा व्यवस्था भी विश्व स्तर की मानी जाती है. फोर्डो सहित नतांज और अराक जैसे ठिकाने मजबूत सुरक्षा के घेरे में हैं, और ईरान के घरेलू राजनीतिक माहौल में भी स्थिरता आई है. इसके अलावा रूस और चीन से मिलने वाली तकनीकी और खुफिया सहायता ईरान की रक्षा को और सशक्त बनाती है.

    सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इजरायल अपने कमांडो को ईरान तक कैसे सुरक्षित पहुंचाएगा और वहां से वापस कैसे निकालेगा. गुप्त ऑपरेशन में इतनी बड़ी तैनाती और सफल वापसी को सुनिश्चित करना बेहद कठिन होगा. यदि ऑपरेशन विफल रहता है, तो इससे इजरायल की रणनीतिक स्थिति को भारी नुकसान हो सकता है और क्षेत्रीय तनाव और भी बढ़ सकता है.

    क्या होगा अगला कदम?

    इजरायल के पास हवाई हमले के विकल्प सीमित हैं, और इसलिए जमीनी अभियान की संभावनाएं चर्चा में हैं. Shaldag कमांडो की विशेषज्ञता और तकनीकी साधनों की मदद से कुछ सफलता मिल सकती है, लेकिन जोखिम भी उसी अनुपात में अधिक है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम इजरायल के लिए एक बड़ा रणनीतिक जुआ होगा, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक समीकरणों पर गहरा असर डाल सकता है.

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