'हम मिसाइलों का जखीरा बढ़ाएंगे...' ईरान का हाल देख खौफ में आए खलीफा एर्दोगन, अब तुर्की बनाएगा हथियार

    मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच जारी हिंसक संघर्ष के बीच, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयप एर्दोगन ने देश की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का खुलासा किया है.

    Khalifa Erdogan was terrified after seeing the condition of Iran
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    तेलअवीव/अंकारा: मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच जारी हिंसक संघर्ष के बीच, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयप एर्दोगन ने देश की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का खुलासा किया है. एर्दोगन ने स्पष्ट किया कि तुर्की मध्यम और लंबी दूरी की मिसाइलों के उत्पादन को तेज करेगा ताकि कोई भी देश तुर्की पर हमले की हिमाकत न कर सके. यह बयान ऐसे समय आया है जब कई विश्लेषक ईरान के बाद तुर्की को भी संभावित लक्ष्यों में शामिल करने की चर्चा कर रहे हैं.

    क्षेत्र में बढ़ता हथियारों का दौर

    एर्दोगन ने कहा कि वर्तमान स्थिति ‘असीमित संघर्ष’ की ओर बढ़ रही है और अब कोई पीछे हटने का रास्ता नहीं बचा है. उन्होंने यह भी जोर दिया कि तुर्की अपनी प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगा. यह कदम क्षेत्र में हथियारों की दौड़ को और तेज कर सकता है. तुर्की पहले से ही ड्रोन तकनीक में उन्नत है, और अब मिसाइल उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है ताकि सैन्य श्रेष्ठता कायम रखी जा सके.

    तुर्की के विदेश मंत्री मेव्लुत चावुषोग्लू ने भी इजरायल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "हमारे क्षेत्र में इजरायल एक स्थायी समस्या बन चुका है. इजरायल के ईरान पर हमले पूरे क्षेत्र में विनाशकारी परिणाम ला सकते हैं." इजरायल और ईरान के बीच नौ दिनों से भी अधिक समय से मिसाइल, ड्रोन और हवाई हमले जारी हैं. इजरायल का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, और उसने ईरान के कई सैन्य कमांडरों और वैज्ञानिकों को निशाना बनाया है.

    एर्दोगन का सैन्य आत्मनिर्भरता का एजेंडा

    एर्दोगन ने हाल ही में अपने देश की सैन्य उत्पादन क्षमताओं पर गर्व जताया है. उन्होंने बताया कि तुर्की अब ड्रोन, फाइटर जेट, युद्धपोत और हथियारबंद वाहन स्वदेशी तौर पर बना सकता है. साथ ही, उन्होंने कहा कि अल्लाह की इच्छा से तुर्की जल्द ही इतनी सैन्य शक्ति हासिल कर लेगा कि कोई भी हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा.

    तुर्की नाटो का सदस्य देश होने के बावजूद, अपने क्षेत्रीय तनाव और सुरक्षा चिंताओं को लेकर वह अपने हथियारों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दे रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि एर्दोगन का यह कदम क्षेत्रीय सत्ता संतुलन को प्रभावित कर सकता है और हथियारों की होड़ को भड़काने वाला साबित हो सकता है.

    ईरान-अमेरिका वार्ता और संभावित जटिलताएं

    वहीं, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिका की संभावित सैन्य भागीदारी को लेकर गंभीर आशंकाएं जताईं. उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका सक्रिय रूप से इजरायल के पक्ष में युद्ध में शामिल होता है तो यह सभी के लिए खतरनाक होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस समय इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं.

    अराघची ने कहा कि वार्ता जारी रखने को तैयार हैं, लेकिन इजरायल के हमलों के कारण वर्तमान माहौल में अमेरिका के साथ बातचीत करना चुनौतीपूर्ण है. हाल की जिनेवा वार्ता में कोई ठोस सफलता नहीं मिली है.

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