Elon Musk Vs Sam Altman: दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस से अभी उबर भी नहीं पाई थी कि अब एक नई तकनीकी जंग का बिगुल बज चुका है. ओपनएआई के सीईओ और ChatGPT के निर्माता सैम ऑल्टमैन एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह चैटबॉट नहीं बल्कि ब्रेन-टू-कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक है. ऑल्टमैन अपनी नई कंपनी Merge Labs के ज़रिए सीधे एलन मस्क की Neuralink को चुनौती देने की तैयारी में हैं.
Merge Labs: दिमाग और मशीन का मेल
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Merge Labs अभी शुरुआती चरण में है लेकिन इसकी संभावित वैल्यू करीब 850 मिलियन डॉलर (लगभग 7434 करोड़ रुपये) आंकी जा रही है. यह कंपनी ऐसी तकनीक पर काम कर रही है, जो मानव मस्तिष्क को कंप्यूटर से सीधे जोड़ सकेगी. इस प्रोजेक्ट में टूल्स फॉर ह्यूमैनिटी के सीईओ एलेक्स ब्लानिया भी शामिल हैं, जो आई-स्कैनिंग डिवाइस के लिए जाने जाते हैं. यही कंपनी सैम ऑल्टमैन के बायोमेट्रिक आईडी प्रोजेक्ट Worldcoin के लिए अमेरिका और ब्रिटेन में आई-स्कैनिंग ऑर्ब्स इंस्टॉल कर रही है.
कहां से आएगा पैसा?
सूत्रों का कहना है कि Merge Labs की फंडिंग का बड़ा हिस्सा OpenAI Ventures से आ सकता है. हालांकि, अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. ऑल्टमैन का यह कदम न केवल न्यूरालिंक के मुकाबले खड़ा होने के लिए है, बल्कि ब्रेन-टेक्नोलॉजी के भविष्य को पूरी तरह बदल देने की महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता है.
Neuralink: पुराना खिलाड़ी, नई चुनौतियां
2016 में लॉन्च हुई एलन मस्क की Neuralink पहले से ही इस क्षेत्र में अपना दबदबा रखती है. कंपनी ऐसी माइक्रो-चिप बनाती है, जिसे मानव मस्तिष्क में इम्प्लांट किया जा सकता है. इस चिप की मदद से लकवाग्रस्त मरीज सिर्फ सोचकर कंप्यूटर या अन्य डिवाइस को कंट्रोल कर सकते हैं. इस साल Neuralink ने 9 बिलियन डॉलर वैल्यूएशन पर 600 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है और ह्यूमन ट्रायल जारी हैं.
मस्क बनाम ऑल्टमैन: टेक की तकरार
सिर्फ टेक्नोलॉजी ही नहीं, दोनों दिग्गजों के बीच हाल ही में पब्लिक विवाद भी हुआ. एलन मस्क ने आरोप लगाया कि Apple अपने ऐप स्टोर में OpenAI को टॉप पर लाने के लिए रैंकिंग में हेरफेर कर रहा है. इसके जवाब में ऑल्टमैन ने कहा कि मस्क अपने प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने के लिए X (पूर्व ट्विटर) का इस्तेमाल करते हैं.
भविष्य की तस्वीर
अगर Merge Labs और Neuralink दोनों अपनी योजनाओं में सफल हो जाते हैं, तो यह तकनीक इंसान और मशीन के बीच संवाद का तरीका पूरी तरह बदल देगी. यह न केवल मेडिकल साइंस में क्रांति लाएगी बल्कि मानव क्षमताओं की सीमाओं को भी चुनौती देगी.
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