नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद जारी तनाव और अमेरिका की कथित मध्यस्थता पर चल रही बहस के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में भारत का रुख दुनिया के सामने रखा है. उन्होंने कहा, "अगर पाकिस्तान बड़ा हमला करता, तो हम उससे भी बड़ा हमला करने को तैयार थे."
अमेरिका के दावे पर भारत का जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस पुराने दावे पर एक बार फिर राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में भूमिका निभाई थी.
लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "सीजफायर दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच हुई बातचीत से हुआ. इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी."
हम चुप नहीं बैठते, जवाब देना जानते हैं
जयशंकर ने संसद की विदेश मामलों की कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक में यह स्पष्ट किया कि भारत अब किसी के उकसावे पर खामोश रहने वाला देश नहीं है.
उन्होंने कहा, "हमने सभी देशों से एक ही बात कही – अगर पाकिस्तान फायर करेगा, तो हम भी फायर करेंगे. अगर वो रुकता है, तो हम भी रुकेंगे. लेकिन हम पहले झुकने वालों में से नहीं हैं."
न्यूक्लियर वॉर की चेतावनी और भारत की तैयारी
जयशंकर ने बताया कि जब अमेरिका की ओर से संकेत मिले कि पाकिस्तान कोई बड़ा हमला करने की योजना बना रहा है, तो भारत ने सीधा जवाब दिया, "अगर पाकिस्तान बड़ा हमला करेगा, तो हम उससे बड़ा हमला करने के लिए तैयार हैं."
इस बयान से भारत की स्पष्ट नीति सामने आई कि वह आतंक और उकसावे का करारा जवाब देगा, चाहे हालात कितने भी गंभीर क्यों न हों.
सिंधु जल संधि पर क्या बोले?
सिंधु जल संधि को लेकर भी सवाल उठे, जिस पर जयशंकर ने कहा, "जो कुछ होगा, वह पूरी तरह देशहित में होगा और भरोसा रखिए, अच्छा ही होगा."
यह बयान इस ओर इशारा करता है कि भारत अब पाकिस्तान से जुड़े पुराने समझौतों की समीक्षा को लेकर गंभीर है.
मीडिया को नसीहत, विपक्ष को चेतावनी
जयशंकर ने कमेटी के सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि संवेदनशील रक्षा और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर मीडिया में बयानबाजी से बचें.
उन्होंने दो टूक कहा, "अगर किसी को जानकारी चाहिए, तो सीधे सरकार से संपर्क करें. मीडिया में बयान देकर ऑपरेशन जैसे महत्वपूर्ण मिशन पर सवाल न उठाएं, इससे माहौल बिगड़ता है और पाकिस्तान को प्रोपेगेंडा फैलाने का मौका मिलता है."
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