इजरायल के हथकंडे लगाकर यूक्रेन की टेंशन बढ़ाएगा रूस, पुतिन ने तैनात किया ऐसा हथियार; चुटकी में तबाह होंगे ड्रोन!

    रूस अब ड्रोन हमलों से निपटने के लिए लेजर हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है. यह कोई विज्ञान कथा नहीं, बल्कि हकीकत है.

    Russia to increase Ukraine tension by using Israeli tactics Putin
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर तकनीक के नए मोड़ पर पहुंच गया है. हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो ने दुनिया का ध्यान खींचा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि रूस अब ड्रोन हमलों से निपटने के लिए लेजर हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है. यह कोई विज्ञान कथा नहीं, बल्कि हकीकत है – रूस की एक स्पेशल फोर्स यूनिट "Nomad" कथित रूप से चीन निर्मित एक लेजर सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है, जो दुश्मन के ड्रोन को आसमान में ही जलाकर राख कर देता है.

    यह तकनीक इजरायल के आयरन बीम डिफेंस सिस्टम जैसी दिखती है, जो पहले ही अपने प्रभाव का प्रदर्शन कर चुकी है. अब रूस की ओर से इसका इस्तेमाल इस बात का संकेत है कि लेजर आधारित डिफेंस टेक्नोलॉजी आने वाले समय में पारंपरिक रक्षा उपायों की जगह ले सकती है.

    रूस को यह टेक्नोलॉजी कहां से मिली?

    यहां से मामला भारत के लिए दिलचस्प और थोड़ी चिंता का विषय बन जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह लेजर सिस्टम रूस को चीन से मिला है, और वही चीन इसे पहले ईरान को भी दे चुका है. चीन की "Shen Nung 3000/5000" सीरीज का यह लेजर सिस्टम अब रूस के पास है और इसमें भारत के लिए दो बातें अहम हैं –

    • रूस भारत का सामरिक मित्र है, और कई बार एडवांस टेक्नोलॉजी साझा कर चुका है (जैसे ब्रह्मोस मिसाइल)
    • चीन वही टेक्नोलॉजी अपने रणनीतिक सहयोगियों को भी दे रहा है – मतलब कल पाकिस्तान भी इसके दायरे में आ सकता है.

    वीडियो में क्या दिखता है?

    वायरल वीडियो में एक कंटेनरनुमा वाहन से एक घूर्णनशील सिस्टम बाहर निकलता है और लोहे की प्लेट पर केंद्रित लेजर बीम मारता है. कुछ ही सेकेंड्स में उस प्लेट में जलता हुआ छेद बन जाता है. इसके बाद एक स्क्रीन पर एक ड्रोन को आसमान में जलते हुए गिरते हुए दिखाया गया है. IISS के सैन्य विश्लेषक फेबियन हिंज ने भी इस पर पुष्टि करते हुए कहा है कि यह चीन के Shen Nung सिस्टम जैसा ही दिखता है.

    भारत को क्या सोचना चाहिए?

    भारत के लिए यह तकनीक दोहरी धार वाली तलवार है. अगर रूस इसे भारत के साथ साझा करता है तो यह भारत की डिफेंस कैपेबिलिटी को नई ऊंचाई दे सकता है. लेकिन अगर यह चीन के जरिए पाकिस्तान तक पहुंचा तो खतरे की तस्वीर बदल सकती है.

    हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर में चीन और पाकिस्तान की डिफेंस तकनीक की कमजोरी खुलकर सामने आ चुकी है, पर लेजर जैसे अत्याधुनिक हथियार भविष्य में संतुलन बदल सकते हैं.

    लेजर सिस्टम की सीमाएं भी हैं

    • यह लो एल्टीट्यूड यानी निचले स्तर पर उड़ते टारगेट्स के लिए असरदार है.
    • मौसम, बारिश या धूलभरी हवाओं में इसकी क्षमता घट सकती है.
    • लगातार उपयोग से ओवरहीटिंग की समस्या भी सामने आई है.

    दुनिया की ओर से क्या रिएक्शन?

    इसी हफ्ते इजरायल ने भी अपने "Iron Beam" सिस्टम से हिजबुल्लाह का ड्रोन गिराने का दावा किया था. अमेरिका भी सीमित पैमाने पर ऐसे हथियारों का परीक्षण और तैनाती कर रहा है.

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