मॉस्को: रूस में अब इंटरनेट इस्तेमाल करने के तरीके पर भी सरकार की सख्त निगाह है. हाल ही में देश की संसद के ऊपरी सदन ने एक नए सेंसरशिप कानून को मंजूरी दी है, जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति इंटरनेट पर सरकार द्वारा "चरमपंथी" घोषित की गई सामग्री को खोजता या एक्सेस करता हुआ पकड़ा जाता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा. अब यह कानून राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हस्ताक्षर के बाद औपचारिक रूप से लागू हो जाएगा.
इस कानून का दायरा केवल कंटेंट की तलाश तक सीमित नहीं रहेगा. इसके तहत अगर कोई व्यक्ति VPN जैसी सेवाओं को प्रमोट करता है या इनकी सहायता से बैन की गई वेबसाइटों और कंटेंट तक पहुंचता है, तो उस पर भी कार्रवाई की जा सकेगी.
VPN यूज़ पर भी कसेगा शिकंजा
रूस में बड़ी संख्या में लोग VPN की मदद से उन वेबसाइटों और न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स को एक्सेस करते हैं, जिन्हें सरकार ने पहले ही ब्लॉक कर दिया है. यही वजह है कि इस कानून को कई लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला मान रहे हैं.
ऑरवेल के हवाले से विरोध, प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
22 जुलाई को जब यह कानून स्टेट ड्यूमा (रूस की संसद का निचला सदन) से पास हुआ, तो मॉस्को की सड़कों पर छोटे लेकिन साहसी प्रदर्शन हुए. कई लोगों ने इसे ‘डिजिटल तानाशाही’ करार दिया. एक प्रदर्शनकारी ने अपने पोस्टर पर लिखा था बिना सेंसरशिप वाले रूस के लिए ऑरवेल ने चेतावनी दी थी, मैनुअल नहीं लिखा था. यह नारा सीधे तौर पर जॉर्ज ऑरवेल के प्रसिद्ध उपन्यास 1984 से प्रेरित था, जो एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहां हर गतिविधि पर सरकार की निगरानी होती है. इस पोस्टर को लिए प्रदर्शनकारी को पुलिस ने कुछ ही देर में हिरासत में ले लिया.
‘चरमपंथी कंटेंट’ की परिभाषा अब और व्यापक
रूस में यह नया सेंसरशिप कानून उन कई कानूनों की कड़ी का हिस्सा है, जो 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से लगातार बनाए जा रहे हैं. अब सरकार के अनुसार, सिर्फ़ कोई कंटेंट शेयर करना ही नहीं, बल्कि उसे खोजना भी एक अपराध माना जाएगा. इस नए नियम के तहत अगर कोई ‘चरमपंथी सामग्री’ को गूगल या अन्य सर्च इंजन पर सर्च करता है, तो लगभग 64 डॉलर (करीब 5300 रुपये) का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.
अभिव्यक्ति बनाम नियंत्रण की लड़ाई
पिछले कुछ सालों में रूस ने सोशल मीडिया, ऑनलाइन न्यूज और स्वतंत्र वेबसाइट्स पर सख्त पाबंदियां लगाई हैं. अब सरकार सिर्फ़ आवाज़ उठाने वालों पर नहीं, बल्कि उन्हें सुनने या खोजने वालों पर भी नज़र रखेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह नया कानून रूस को और भी ज्यादा कंट्रोल-ओरिएंटेड डिजिटल स्टेट की ओर ले जा रहा है, जहां नागरिकों की ऑनलाइन गतिविधियां अब सरकार की नजरों से छिप नहीं पाएंगी.
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