Russia Economy: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार, 4 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच रहे हैं. यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब एशिया और यूरोप दोनों ही भू-राजनीतिक तनावों और आर्थिक दबावों से गुजर रहे हैं. पुतिन की यह यात्रा न केवल भारत-रूस संबंधों को नए आयाम दे सकती है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी इसका असर पड़ेगा.
पिछली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन तीन महीने पहले चीन के तिआंजिन में एससीओ सम्मेलन के दौरान मिले थे, जहां दोनों नेताओं की मजबूत व्यक्तिगत केमिस्ट्री चर्चा का विषय रही. अब दिल्ली में होने वाली मुलाकात को उसी गर्मजोशी का अगला कदम माना जा रहा है.
रूस से तेल आयात पर टैरिफ का दबाव, फिर भी तेज रफ्तार भारतीय अर्थव्यवस्था
पुतिन का भारतीय दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत को रूसी तेल पर भारी टैरिफ देना पड़ रहा है. अमेरिका की ओर से लगाए गए दंडात्मक शुल्क के कारण भारत के लिए रूसी ऊर्जा खरीदना पहले से कहीं महंगा हो गया है. इसके बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था की गति ने दुनिया को चौंका दिया है. वित्त मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-सितंबर 2025 की तिमाही में भारत का GDP ग्रोथ रेट 8.2% दर्ज किया गया.
वैश्विक विश्लेषकों का मानना था कि उच्च अमेरिकी टैरिफ और रूस से महंगा ऊर्जा आयात भारत की आर्थिक दिशा को प्रभावित कर सकता है, लेकिन मजबूत घरेलू मांग और निर्यात वृद्धि ने भारत को लगातार चौथी बार वैश्विक अर्थव्यवस्था में सकारात्मक गति देने वाले देशों में बनाए रखा है.
भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना
विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2025 में पहली बार भारत ने जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान प्राप्त किया है.
इस तुलना से साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था रूस की तुलना में लगभग दोगुनी है. रूस फिलहाल दुनिया की शीर्ष दस अर्थव्यवस्थाओं में नौवें स्थान पर है. दोनों देशों के बीच लंबे समय से ऊर्जा, रक्षा और तकनीक के क्षेत्रों में साझेदारी रही है, लेकिन मौजूदा आर्थिक अंतर भविष्य के व्यापार समीकरणों को नए रूप में ढाल सकता है.
अमेरिकी टैरिफ और भारत-रूस समीकरण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% दंडात्मक टैरिफ लगाया. यह शुल्क पहले से लगाए गए 25% टैरिफ के ऊपर लागू किया गया है.
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर अपेक्षाकृत अधिक शुल्क लगाता है, इसलिए जवाबी कार्रवाई के तहत अमेरिका ने यह कदम उठाया. इस फैसले ने भारत के लिए रूस से ऊर्जा आयात महंगा कर दिया है, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता देगा.
पुतिन-मोदी मुलाकात से क्या उम्मीदें?
रूसी राष्ट्रपति शाम को दिल्ली पहुंचते ही सीधे प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर जाएंगे, जहां दोनों नेताओं की निजी बातचीत और एक प्राइवेट डिनर निर्धारित है. इस मुलाकात में निम्न मुद्दों पर अहम बातचीत होने की संभावना है:
भारतीय कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, कई बड़े रक्षा और ऊर्जा समझौते इस दौरान अंतिम रूप ले सकते हैं.
दुनिया की नजर: ट्रंप, पाकिस्तान, चीन और यूक्रेन क्यों चिंतित?
पुतिन और मोदी की बैठक को केवल एशिया नहीं, बल्कि विश्व राजनीति में भी विशेष महत्व दिया जा रहा है. अमेरिका को चिंता है कि भारत और रूस की बढ़ती नजदीकियाँ उसके आर्थिक दबावों को कमजोर कर सकती हैं. चीन इस मुलाकात को एशिया में शक्ति संतुलन बदलने वाला कदम मान रहा है.
पाकिस्तान को आशंका है कि भारत-रूस रक्षा साझेदारी उसके लिए रणनीतिक जोखिम बढ़ा सकती है. यूक्रेन के लिए यह मुलाकात रूस की अंतरराष्ट्रीय वैधता को मजबूती देने वाली मानी जा रही है. कुल मिलाकर, यह यात्रा भारत-रूस संबंधों को एक नए चरण में ले जाने का मौका है और इसका वैश्विक असर आने वाले महीनों में देखने को मिलेगा.
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