न पड़ेगी कुदरत की मार, न मौसम बरपाएगा कहर... फिर भी ये 130 शहर हो जाएंगे वीरान, क्या है इसकी वजह?

    यह चौंकाने वाला खुलासा ‘द मॉस्को टाइम्स’ की रिपोर्ट में हुआ है, जो रूस सरकार द्वारा कराए गए एक अध्ययन पर आधारित है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 130 शहरों में पहले लगभग 34 लाख लोग रहते थे, लेकिन पिछले एक दशक में ही आबादी 3.14 लाख से ज्यादा घट गई है.

    Russia 130 Towns Face Extinction population in these cities is decreasing rapidly
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    130 Towns Face Extinction: हम अक्सर सुनते हैं कि कोई इलाका, जो कभी आबाद था, अब सिर्फ वीरानी का मंजर बनकर रह गया है. ऐसे कस्बों और शहरों के पीछे कई वजहें होती हैं आर्थिक संकट, पलायन, सुविधाओं की कमी या प्राकृतिक संसाधनों का खत्म होना. ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के करीब 130 छोटे शहर भी अब इसी संकट से गुजर रहे हैं और आने वाले 10 से 20 सालों में इनके पूरी तरह खत्म हो जाने की आशंका जताई गई है.

    सरकारी अध्ययन से हुआ खुलासा

    यह चौंकाने वाला खुलासा ‘द मॉस्को टाइम्स’ की रिपोर्ट में हुआ है, जो रूस सरकार द्वारा कराए गए एक अध्ययन पर आधारित है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 130 शहरों में पहले लगभग 34 लाख लोग रहते थे, लेकिन पिछले एक दशक में ही आबादी 3.14 लाख से ज्यादा घट गई है. अगर यही रफ्तार रही, तो अगले कुछ वर्षों में ये शहर सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज रह जाएंगे.

    कहां हैं ये शहर और क्यों हो रहा है पलायन?

    ये संकटग्रस्त शहर रूस के उत्तरी और औद्योगिक इलाकों में हैं, जहां कोयला, धातु और वन उद्योग चलते हैं. इन क्षेत्रों में संसाधनों की कमी, बाहरी निवेश का अभाव, अवसरों की कमी और आधारभूत ढांचे की खराब स्थिति ने मिलकर वहां की जिंदगी मुश्किल बना दी है. यही कारण है कि लोग अब बड़े शहरों की ओर बेहतर जीवन और रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं.

    सबसे प्रभावित क्षेत्र

    ब्रयांस्क, नोवगोरोड, किरोव और क्रास्नोयार्स्क जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं. इसके अलावा वेरखनी टागिल, इंटा, केम, टॉर्जोक और मेद्वेज़्येगोर्स्क जैसे शहरों में आबादी में तेजी से गिरावट देखी गई है. यहां तक कि आर्थिक रूप से बेहतर माने जाने वाले कुछ शहर जैसे रोशल, ओखा, और पोर्खोव भी अब खतरे की सूची में आ गए हैं.

    सुविधाओं की भारी कमी

    इन शहरों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है—बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, सड़कें और पुल या तो पूरी तरह जर्जर हैं या हैं ही नहीं. टोटमा और कारगोपोल जैसे शहरों में स्थानीय लोग अपने खर्च पर सड़कें और पुल मरम्मत करवा रहे हैं.

    भविष्य की तस्वीर धुंधली

    अगर हालात नहीं बदले, तो आने वाले दशक में रूस के ये छोटे शहर सिर्फ गूगल मैप के इतिहास में ही बचेंगे. युवा वर्ग के लगातार पलायन और आधारभूत विकास की कमी ने इन बस्तियों को संकट की कगार पर ला खड़ा किया है. रूस के लिए यह न सिर्फ जनसंख्या असंतुलन, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत के नुकसान का भी संकेत है.   

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