NCERT किताबों में बदलाव के समर्थन में मोहन भागवत, कहा- थकी दुनिया अब भारत की ओर देख रही...

    RSS Cheif Mohan Bhagwat: आज जब दुनिया तकनीक, विज्ञान और अर्थव्यवस्था के शिखर पर खड़ी है, वहीं दूसरी ओर अशांति, शोषण और मानसिक बेचैनी जैसी चुनौतियाँ कहीं ज़्यादा गहराई से समाज को जकड़े हुए हैं.

    rss cheif Mohan Bhagwat in support of changes in NCERT books
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    RSS Cheif Mohan Bhagwat: आज जब दुनिया तकनीक, विज्ञान और अर्थव्यवस्था के शिखर पर खड़ी है, वहीं दूसरी ओर अशांति, शोषण और मानसिक बेचैनी जैसी चुनौतियाँ कहीं ज़्यादा गहराई से समाज को जकड़े हुए हैं. इसी पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘भारतीयता’ को वैश्विक समाधान के रूप में प्रस्तुत किया.

    कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भौतिकवाद ने जीवन को सुविधाजनक तो बना दिया, लेकिन शांति नहीं दे सका. विज्ञान और आर्थिक विकास ने विलासिता तो बढ़ाई, परंतु खुशी और संतोष जैसे मूल जीवन मूल्यों की प्राप्ति नहीं कर पाए. उन्होंने कहा, "2,000 वर्षों में पश्चिमी विचारों ने बहुत प्रयास किए, लेकिन दुनिया अब मान चुकी है कि समाधान कहीं और है, वह है भारतीय दर्शन."

    इतिहास की नई दृष्टि की जरूरत

    उन्होंने पाठ्यक्रमों में बदलाव के मुद्दे पर भी जोर दिया। भागवत ने कहा कि हम जो इतिहास पढ़ते हैं, वह पश्चिमी चश्मे से लिखा गया है. भारत की सांस्कृतिक और वैचारिक शक्ति को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया. उन्होंने कहा, “पश्चिमी किताबों में भारत एक नाम मात्र है। असल में हमारे दर्शन, हमारे शास्त्र और जीवनशैली को समझे बिना, दुनिया अधूरी तस्वीर देख रही है.”

    भारतीयता क्या है? 

    मोहन भागवत ने भारतीयता की परिभाषा को सिर्फ कानूनी नागरिकता से ऊपर उठाकर देखा. उन्होंने कहा, "भारत का होना सिर्फ पासपोर्ट का नाम नहीं है. भारतीयता एक जीवन-दृष्टि है, जो केवल व्यक्ति की नहीं, पूरे सृष्टि की चिंता करती है." उन्होंने हिंदू जीवनदृष्टि के चार पुरुषार्थ, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत का दर्शन अंतिम लक्ष्य में केवल भोग नहीं, मुक्ति को देखता है. यही उसे अन्य सभ्यताओं से अलग बनाता है.

    शांति और नेतृत्व का नया युग भारत से शुरू होगा

    भागवत का यह संदेश साफ था कि आज दुनिया को रास्ता दिखाने के लिए भारत को स्वयं में बदलाव की शुरुआत करनी होगी. उन्होंने कहा, "अगर हमें दुनिया को समाधान दिखाना है, तो हमें खुद से शुरुआत करनी होगी, अपने परिवार, अपने समाज और अपनी चेतना से." उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत में धर्म के अनुशासन का पालन होता है, तो यह देश दुनिया का सबसे समृद्ध और शांतिपूर्ण राष्ट्र बनता है.

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