पंजाब से लेकर बॉलीवुड तक अपनी पहचान बना चुके सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गए हैं. इस बार मामला उनके ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कॉन्सर्ट को लेकर है.
खालिस्तान समर्थक संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) ने दिलजीत के 1 नवंबर 2025 को होने वाले शो को “शटडाउन” करने का ऐलान किया है. संगठन का कहना है कि यह तारीख कोई आम दिन नहीं, बल्कि “सिख नरसंहार स्मृति दिवस” के रूप में मनाई जाती है और ऐसे दिन कॉन्सर्ट करना “स्मृति दिवस का अपमान” है.
अमिताभ बच्चन को लेकर भड़का विवाद
विवाद की जड़ हाल ही में सामने आए एक वीडियो से जुड़ी है, जिसमें दिलजीत दोसांझ बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के पैर छूते दिखाई दिए. इसी को लेकर SFJ ने उन पर निशाना साधा है. संगठन का आरोप है कि अमिताभ बच्चन ने 31 अक्टूबर 1984 को “खून का बदला खून” जैसे नारे लगाकर सिख विरोधी हिंसा को बढ़ावा दिया था, जिसके बाद देशभर में सिख समुदाय के खिलाफ हमले हुए थे. SFJ के अनुसार, दिलजीत का यह कदम “1984 नरसंहार के पीड़ितों, विधवाओं और अनाथों का अपमान” है.
“Remembrance is not for sale”: गुरपतवंत सिंह पन्नून
संगठन के जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नून ने तीखा बयान जारी करते हुए कहा कि दिलजीत दोसांझ ने अमिताभ बच्चन के चरण छूकर “1984 के हर शहीद और पीड़ित परिवार की याद का मज़ाक उड़ाया है.” उन्होंने कहा कि Remembrance is not for sale, and genocide cannot be normalized for applause. पन्नून के मुताबिक, दिलजीत दोसांझ एक ऐसे महीने में कॉन्सर्ट कर रहे हैं जो सिख समुदाय के लिए शोक और याद का प्रतीक है. उन्होंने इसे “व्यावसायिक लालच के लिए भावनाओं का इस्तेमाल” बताया.
ऑस्ट्रेलिया में ‘Panthic Shutdown Rally’ की घोषणा
SFJ ने दिलजीत दोसांझ के शो को “mockery of remembrance” करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है.संगठन ने दावा किया कि वे 1 नवंबर को शो स्थल के बाहर ‘Panthic Shutdown Rally’ का आयोजन करेंगे. साथ ही उन्होंने दुनिया भर के सिख संगठनों, कलाकारों और समर्थकों से अपील की है कि वे इस कॉन्सर्ट का बहिष्कार करें.
दिलजीत की ओर से अब तक कोई बयान नहीं
अब तक दिलजीत दोसांझ ने इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, उनके फैन्स का कहना है कि यह शो पहले से तय था और इसका मकसद मनोरंजन है, राजनीति नहीं.दूसरी ओर, SFJ लगातार यह दावा कर रहा है कि यह आयोजन “सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला” है.
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