India Census 2027: भारत अपनी प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तकनीक का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ा रहा है, उसका एक बड़ा उदाहरण लोकसभा में सामने आया. केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2027 में होने वाली राष्ट्रीय जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से पूरी की जाएगी. यह पहली बार होगा जब देश में करोड़ों लोगों का डेटा मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल के द्वारा इकट्ठा किया जाएगा और पारंपरिक कागज़ी फॉर्म इतिहास बन जाएंगे.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि जनगणना के लिए एक विशेष डिजिटल पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जहां राष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रक्रियाओं की मॉनिटरिंग की जाएगी. मंत्री के अनुसार, नागरिक अपनी जानकारी स्वयं ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे, जबकि फील्ड अधिकारी मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से घर-घर जाकर डेटा कलेक्ट करेंगे. इससे न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी भी होगी.
2027 में भी वही नियम: जहाँ व्यक्ति मौजूद होगा, वहीं दर्ज होगी गणना
मंत्री ने स्पष्ट किया कि जनगणना के मूल सिद्धांतों में कोई बदलाव नहीं होगा. हर व्यक्ति की गणना उसी स्थान पर की जाएगी, जहां वह जनगणना अवधि के दौरान मौजूद होगा. इसके साथ ही प्रवासन से संबंधित अहम जानकारियाँ—जैसे जन्मस्थान, पिछला निवास, वर्तमान जगह पर रहने की अवधि और प्रवासन के कारण—भी डिजिटल रूप से रिकॉर्ड की जाएँगी.
जनगणना प्रश्नावली पहले से की जाएगी अधिसूचित
राय ने यह भी कहा कि जनगणना शुरू होने से पहले प्रश्नावली को केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा, ताकि राज्यों और अन्य एजेंसियों को तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. यह प्रक्रिया वर्षों से चली आ रही पारदर्शिता का हिस्सा है और डिजिटल जनगणना में भी इसका पालन होगा.
डिजिटल जनगणना से क्या बदलेगा?
सरकार का मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से जनगणना की पूरी प्रक्रिया तेज, सटीक और कम त्रुटियों वाली बनेगी. डेटा प्रोसेसिंग पहले की तुलना में कई गुना तेज होगी और अंतिम रिपोर्ट समय पर उपलब्ध कराई जा सकेगी. विशेषज्ञों के मुताबिक, डिजिटल जनगणना से नीति निर्माण, शहरों की प्लानिंग, प्रवासन की दिशा, आर्थिक-सामाजिक बदलाव और भविष्य की योजनाओं को समझना काफी आसान होगा.
2011 के बाद पहली बार बदलेगा देश का डेटा मैप
भारत में पिछली जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी. वर्ष 2021 की जनगणना कोरोना महामारी के चलते स्थगित कर दी गई, जिसके कारण देश की जनसांख्यिकीय स्थिति का नया अपडेट उपलब्ध नहीं हो पाया. ऐसे में 2027 की डिजिटल जनगणना को देश के सामाजिक ढांचे और आबादी के रुझानों को एक नए नजरिए से समझने की ऐतिहासिक शुरुआत माना जा रहा है.
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