Amit Shah On SIR: लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने विशेष रूप से एसआईआर (Special Intensive Review) पर अपने विचार साझा किए. अमित शाह ने कहा कि यह नया फैशन बन गया है कि जब इतिहास या चुनाव प्रक्रिया की बातें सामने आती हैं, तो कुछ लोग नाराज हो जाते हैं.
उन्होंने स्पष्ट किया कि एसआईआर 2004 के बाद 2025 में किया गया और अब तक इसके खिलाफ कोई गंभीर विरोध नहीं हुआ है. उनका कहना था कि लोकतंत्र में चुनाव मतदाता सूची के आधार पर होते हैं, इसलिए एसआईआर जैसी प्रक्रिया आवश्यक है.
लोकसभा में चुनाव सुधारों पर आयोजित चर्चा से लाइव...
— Amit Shah (@AmitShah) December 10, 2025
Speaking in the Lok Sabha on election reforms. https://t.co/YcV3of7Q6M
एसआईआर क्यों जरूरी है, अमित शाह की व्याख्या
अमित शाह ने सदन में विस्तार से बताया कि एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची का शुद्धीकरण करना है. उन्होंने कहा कि एसआईआर के तहत जिनकी मृत्यु हो गई है, उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाते हैं. जिन विदेशी नागरिकों के नाम नहीं हैं, उन्हें जोड़ा जाता है. इसके अलावा, जो युवा अब 18 साल के हो गए हैं, उनके नाम सूची में शामिल किए जाते हैं.
गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र की जड़ मजबूत बनाने के लिए यह प्रक्रिया अनिवार्य है. उनका कहना था, “एक मतदाता का नाम केवल एक जगह होना चाहिए. किसी विदेशी नागरिक को भारत की संसद या राज्य सरकार चुनने का अधिकार नहीं देना चाहिए. मेरा मत यही है कि इसे अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.”
विपक्ष पर निशाना, गृहमंत्री का कड़ा रुख
अमित शाह ने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि एसआईआर के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया. उनका आरोप था कि विपक्ष ने इस मसले पर झूठ फैला कर देशवासियों को भ्रमित करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि जब सदन में चुनाव सुधारों पर चर्चा तय थी, तब भी विपक्ष ने केवल एसआईआर पर ही बहस करना शुरू कर दिया.
गृहमंत्री ने साफ किया कि एसआईआर पर चर्चा करना लोकसभा का विषय नहीं है क्योंकि यह चुनाव आयोग का कार्य है. उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग और उसके चुनाव आयुक्त स्वतंत्र हैं और सरकार के अधीन नहीं काम करते. जब विपक्ष ने एसआईआर पर चर्चा की मांग की, तब भी हमने चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए तुरंत सहमति दे दी.”
देश भर में चल रही एसआईआर प्रक्रिया
चुनाव आयोग वर्तमान में बंगाल समेत कई राज्यों में स्पेशल इंटेन्सिव रिव्यू के तहत मतदाता सूची की समीक्षा कर रहा है. इस प्रक्रिया के दौरान विपक्ष ने कई आरोप लगाए, जिनमें चुनाव आयोग और सरकार पर पक्षपात और संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रित करने का आरोप शामिल हैं.
इस मुद्दे पर लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बहस चल रही है. सांसदों के बीच पक्ष-विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी बात रखी. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी बुधवार को सदन में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि बीजेपी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर रही है और चुनाव में हेराफेरी की संभावना बढ़ा रही है.
लोकसभा में बहस का महत्व
लोकसभा में इस बहस का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सीधे लोकतंत्र की मूल प्रक्रिया से जुड़ा है. मतदाता सूची का शुद्धीकरण देश की चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है. अमित शाह ने यह भी बताया कि एसआईआर के दौरान सभी मतदाता सुनिश्चित करते हैं कि उनकी जानकारी सही है और किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो.
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि देश में लोकतंत्र की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कमजोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उनका कहना था कि सरकार और चुनाव आयोग मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि हर योग्य मतदाता का अधिकार सुरक्षित रहे और कोई भी अनधिकृत व्यक्ति मताधिकार का दुरुपयोग न कर सके.
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