दीपावली को वैश्विक मंच पर मिलेगी नई पहचान, UNESCO की इस लिस्ट में हुई शामिल; पीएम मोदी ने जताई खुशी

    Diwali UNESCO Intangible Cultural Heritage: भारत की सांस्कृतिक विरासत को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी पहचान मिली है. सदियों से करोड़ों लोगों के दिलों में बसे प्रकाश के इस पर्व दीपावली को यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कर लिया है. 

    Diwali new identity on the global stage UNESCO intangible cultural Heritage PM Modi
    Image Source: ANI/ File

    Diwali UNESCO Intangible Cultural Heritage: भारत की सांस्कृतिक विरासत को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी पहचान मिली है. सदियों से करोड़ों लोगों के दिलों में बसे प्रकाश के इस पर्व दीपावली को यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कर लिया है. 

    यह उपलब्धि सिर्फ एक त्योहार को मान्यता मिलने भर का प्रसंग नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक मूल्यों का वैश्विक स्तर पर सम्मान है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस घोषणा को “भारत के लिए गर्व का क्षण” बताया.

    प्रकाश, सकारात्मकता और आध्यात्मिकता का त्योहार

    यूनेस्को ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दीपावली को एक ऐसा उत्सव बताया है, जो भारत के हर कोने में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. यह त्योहार किसानों की अंतिम फसल, एक नए वर्ष और एक नए मौसम की शुरुआत से भी जुड़ा है.

    चंद्र कैलेंडर के अनुसार अमावस्या की रात मनाया जाने वाला यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय की भावनाओं को समेटे हुए है. घरों की सफाई, दीये जलाना, रोशनी से शहरों को सजाना, मिठाइयां, त्योहार के मेले और आतिशबाजी, यूनेस्को ने इन सभी तत्वों को दीपावली की सांस्कृतिक समृद्धि का हिस्सा बताया है.

    लाल किले से लेकर सड़कों तक दीपमाला

    यूनेस्को से मिली इस मान्यता के तुरंत बाद दिल्ली ने दीपावली का समारोहिक रूप से स्वागत करना शुरू कर दिया है. लाल किले पर दीये जलाने की तैयारी हो चुकी है और चौक-चौराहों पर दीपावली बाजार सज चुके हैं. दिल्ली 10 दिसंबर 2025 की रात एक बार फिर ऐसे जगमग होगी जैसे दीपों ने आसमान से बात कर ली हो.

    क्या होती है अमूर्त सांस्कृतिक विरासत?

    यूनेस्को के अनुसार अमूर्त सांस्कृतिक विरासत वे प्रथाएं, अभिव्यक्तियां, परंपराएं, ज्ञान और कौशल हैं जिनके जरिए कोई समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान को कायम रखता है.ये विरासतें पीढ़ियों से आगे बढ़ती हैं और समय के साथ और समृद्ध होती जाती हैं. 

    दीपावली का इस सूची में शामिल होना इस बात का संकेत है कि यह त्योहार न केवल भावनात्मक और धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज को जोड़ने और संस्कृतियों को जोड़ने की शक्ति भी रखता है.

    दुनिया में और मजबूत होगा भारत का सांस्कृतिक प्रभाव

    दीपावली की यूनेस्को सूची में एंट्री भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने वाली ऐतिहासिक उपलब्धि है. अब यह त्योहार सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि एक वैश्विक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में उभरेगा. प्रकाश, प्रेम, सद्भाव और अच्छाई की जीत जैसे संदेश पूरे संसार के लिए प्रेरणा बनेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे भारत की वैश्विक लोकप्रियता में बड़ा कदम बताया है.

    पर्यटन और संस्कृति को मिलेगा नया पंख

    यूनेस्को टैग का सबसे बड़ा असर पर्यटन पर पड़ता है. दिवाली से जुड़ी परंपराएं, संस्कार, बाजार, कलाएं और धार्मिक स्थल अब दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित करेंगे. सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा और भारतीय विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक सम्मान और पहचान मिलेगी.

    स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान

    दीपावली पहले ही भारत की सबसे बड़ी आर्थिक गतिविधियों में से एक है. अब इसे वैश्विक मान्यता मिलने के बाद त्योहार से जुड़े उद्योग, कला, हस्तशिल्प, सजावटी सामान, मिठाइयां, पर्यटन, होटल और इवेंट आयोजन को और बढ़ावा मिलेगा. यूनेस्को के संरक्षण से दीपावली की पारंपरिक कला और प्रथाओं का अध्ययन, संरक्षण और विकास भी होगा.

    क्या बदलेगा दुनिया में?

    अब वे देश और समुदाय भी दीपावली की भावना को समझेंगे, जो अब तक इस त्योहार से परिचित नहीं थे. विदेशों में रहने वाले भारतीयों का गर्व बढ़ेगा और प्रवासी समुदाय इसे और भव्य रूप से मनाएगा.

    जैसे योग, दुर्गा पूजा और कुंभ ने भारत की छवि को वैश्विक सांस्कृतिक विरासत मानचित्र पर मजबूत किया है, उसी तरह दीपावली भी भारत की पहचान दुनिया भर में और गहराई से स्थापित करेगी.

    यह भी पढ़ें- स्वदेशी पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट को लेकर DRDO को मिली बड़ी सफलता, मॉर्फिंग विंग टेक्नोलॉजी का हुआ सफल टेस्ट