जयपुर: राजस्थान सरकार ने प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए एक ऐसा अध्यादेश मंजूर किया है, जो राज्य में व्यापार और नागरिक जीवन को और सरल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार ने बुधवार को ‘राजस्थान जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश, 2025’ को कैबिनेट की मुहर दे दी. यह कदम उन सभी लोगों और उद्यमियों के लिए राहत लेकर आया है, जो अब तक मामूली चूकों पर भी आपराधिक मामलों और जेल प्रावधानों के कारण परेशानी झेलते थे.
11 कानूनों से हटे जेल के कठोर प्रावधान
इस अध्यादेश के लागू होते ही 11 राज्य कानूनों में किए जाने वाले मामूली अथवा तकनीकी उल्लंघनों पर जेल की सजा का प्रावधान पूरी तरह समाप्त हो जाएगा. अब ऐसे मामलों में केवल आर्थिक दंड लगाया जाएगा. सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो किसी प्रक्रिया की अनजाने में हुई भूल के कारण वर्षों तक मुकदमेबाजी झेलते रहे थे.
इन कानूनों में कई ऐसे प्रावधान थे जहां छोटी गलती भी आपराधिक श्रेणी में आती थी. जैसे वन भूमि में अनजाने में मवेशी प्रवेश कर जाना, किसी उद्योग द्वारा दस्तावेज़ समय पर प्रस्तुत न कर पाना या शहर में पानी एवं सीवरेज से जुड़ी छोटे स्तर की गड़बड़ियां. अब इन सभी मामलों में सज़ा नहीं, बल्कि आर्थिक दंड ही अंतिम उपाय होगा. इससे ग्रामीणों, आदिवासी समुदायों, छोटे व्यापारियों और आम शहरवासियों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी.
वन अधिनियम में बदलाव
अब तक वन अधिनियम की धारा 26(1)(ए) के तहत वन भूमि में मवेशी चराने की अनजानी गलती पर भी कारावास का खतरा बना रहता था. यह नियम प्रतिदिन जंगलों से जुड़े आदिवासी और ग्रामीण परिवारों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय था. संशोधन के बाद अब ऐसे मामलों में केवल जुर्माना और वन को हुई क्षति की क्षतिपूर्ति देनी होगी. इससे इन समुदायों को आपराधिक मुकदमों से तो राहत मिलेगी ही, साथ ही प्रशासन के साथ उनके संबंध भी अधिक सहज बनेंगे.
औद्योगिक इकाई अधिनियम में सुधार
राज्य से सहायता प्राप्त करने वाले उद्योगों पर दस्तावेज़ प्रस्तुत न करने जैसे क्रमिक, प्रक्रियात्मक या तकनीकी अपराधों के लिए अब जेल नहीं भेजा जाएगा. यह संशोधन MSMEs के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि ऐसे उद्योग अक्सर जटिल कागजी प्रक्रियाओं के कारण कानूनी उलझनों में फंस जाते थे. अब सरकार का संदेश साफ है, उद्योगों को डर नहीं, भरोसा मिलेगा; और निरीक्षण प्रणाली पारदर्शी व सहयोगात्मक होगी.
जयपुर जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड अधिनियम में बदलाव
शहरों में जल एवं सीवरेज से जुड़े मामूली नियम उल्लंघन जैसे पानी की बर्बादी, बिना अनुमति कनेक्शन जोड़ना या सीवरेज में रुकावट, अब जेल का कारण नहीं बनेंगे. संशोधन से शहरी निवासियों को राहत मिलेगी, क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर मामूली गलती को भी कठोर दंड की श्रेणी में शामिल कर लिया जाता था.
मुकदमेबाजी से मुक्ति और प्रशासन में विश्वास
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि यह अध्यादेश असल में उन गरीब, छोटे उद्यमियों और वन-निर्भर परिवारों के लिए ढाल का काम करेगा, जो मामूली चूकों के कारण अदालतों के चक्कर काटते रहते थे. अब अदालतों पर भी बोझ कम होगा और मामलों का निस्तारण तेज़ी से होगा.
व्यापार जगत के लिए क्यों है यह बड़ा कदम?
राजस्थान में व्यापार करना अब और आसान होने वाला है. पहले जिन छोटे उल्लंघनों पर जेल की आशंका बनी रहती थी, वे उद्यमियों को असुरक्षित महसूस कराते थे. इससे न सिर्फ व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित होती थीं, बल्कि निवेशक भी सतर्क रहते थे. कारावास प्रावधान हटने के बाद न सिर्फ प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि निवेशक राज्य को अधिक स्थिर और नियम-केंद्रित स्थान के रूप में देखेंगे. तेज़ी से मामलों का निपटारा और अनावश्यक कानूनी डर का समाप्त होना. दोनों ही उद्योग जगत के लिए वरदान साबित होंगे.
अध्यादेश जल्द होगा लागू
कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह अध्यादेश शीघ्र ही लागू किया जाएगा. हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि बदलाव केवल उन प्रावधानों पर लागू होंगे जो मामूली या तकनीकी गलती की श्रेणी में आते हैं. गंभीर अपराधों और पर्यावरण या सुरक्षा से जुड़े मामलों में मौजूदा सख्ती वैसी की वैसी ही रहेगी.
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