Religious Conversion Punishment in India: भारतीय संविधान अनुच्छेद 25 से 28 तक प्रत्येक नागरिक को धर्म चुनने, उसका पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है. यह मौलिक अधिकार भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का प्रतीक है. हालांकि, धर्मांतरण का मुद्दा लंबे समय से देश में बहस का विषय रहा है. कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हैं, तो कुछ इसे जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखे से जोड़कर देखते हैं. इस संदर्भ में, कई राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं, और अब राजस्थान भी एक कठोर कानून लाने की तैयारी में है. आइए, इस लेख में विभिन्न राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों, उनके प्रावधानों और राजस्थान के प्रस्तावित कानून की खासियतों को समझते हैं.
राजस्थान: देश का सबसे कठोर कानून
राजस्थान सरकार ने हाल ही में एक ऐसे धर्मांतरण विरोधी कानून का प्रस्ताव रखा है, जो देश में सबसे सख्त माना जा रहा है. इस ड्राफ्ट के तहत, यदि कोई व्यक्ति जबरदस्ती, धोखे या प्रलोभन के जरिए धर्म परिवर्तन करवाता है, तो उसे आजीवन कारावास और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है. यह अपराध गैर-जमानती होगा, और नाबालिगों, महिलाओं या अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के धर्मांतरण के मामलों में सजा और भी कड़ी होगी. यह प्रस्ताव न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है.
उत्तर प्रदेश: सख्ती के साथ संतुलन
उत्तर प्रदेश ने 2021 में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम लागू किया. इसके तहत जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर 1 से 5 वर्ष की जेल और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. यदि मामला नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति से संबंधित हो, तो सजा 3 से 10 वर्ष और जुर्माना 25,000 रुपये तक हो सकता है. सामूहिक धर्मांतरण के लिए 3 से 10 वर्ष की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है. इस कानून में धर्म परिवर्तन से पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना अनिवार्य है.
मध्य प्रदेश: कठोर प्रावधानों का दौर
मध्य प्रदेश ने भी मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के तहत सख्त नियम लागू किए हैं. जबरन धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना है. यदि मामला नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़ा हो, तो सजा 2 से 10 वर्ष और जुर्माना 50,000 रुपये तक हो सकता है. सामूहिक धर्मांतरण के लिए 5 से 10 वर्ष की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना निर्धारित है. विवाह के जरिए धर्मांतरण को भी इस कानून में अवैध माना गया है.
गुजरात: विवाह और धर्मांतरण पर नकेल
गुजरात ने अपने धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 में जबरन धर्मांतरण पर 3 से 10 वर्ष की सजा और 25,000 से 50,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया है. नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में सजा और जुर्माना और सख्त है. सामूहिक धर्मांतरण पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. इस कानून में विवाह के माध्यम से जबरन धर्म परिवर्तन को भी अपराध घोषित किया गया है.
उत्तराखंड: पहाड़ों में सख्त कानून
उत्तराखंड ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में जबरन धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया है. नाबालिग, महिला या कमजोर वर्ग के लोगों के धर्मांतरण पर 2 से 7 वर्ष की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है. विवाह के दौरान धार्मिक पहचान छिपाकर धोखा देने पर भी कड़ी सजा का प्रावधान है.
हिमाचल प्रदेश: सूचना देना अनिवार्य
हिमाचल प्रदेश में हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2019 के तहत जबरन धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना है. नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में 2 से 7 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. इस कानून में भी धर्म परिवर्तन से पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना अनिवार्य है.
झारखंड: सामाजिक संवेदनशीलता पर जोर
झारखंड में झारखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2017 के तहत जबरन धर्मांतरण पर 3 वर्ष की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना है. नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में 4 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यह कानून सामाजिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
ओडिशा: पहला कदम
ओडिशा वह पहला राज्य है, जिसने 1967 में ओडिशा धर्म स्वतंत्रता अधिनियम लागू किया. इसके तहत जबरन धर्मांतरण पर 1 वर्ष की सजा और 5,000 रुपये का जुर्माना है. नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में 2 वर्ष की सजा और 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है. यह कानून अपने समय में क्रांतिकारी था.
अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा: क्षेत्रीय संदर्भ
अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 1978 में जबरन धर्मांतरण पर 2 वर्ष की सजा और 10,000 रुपये का जुर्माना है. वहीं, हरियाणा धर्मांतरण निषेध अधिनियम 2022 में धोखे या जबरन धर्मांतरण पर 1 से 5 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना है. नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में 2 से 10 वर्ष की सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
कर्नाटक: सख्ती की नई मिसाल
कर्नाटक ने 2022 में अपने धर्म स्वतंत्रता संरक्षण अधिनियम में जबरन धर्मांतरण पर 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया है. यह कानून भी विवाह के जरिए धर्मांतरण को अपराध मानता है और सामाजिक संरचना को बनाए रखने पर जोर देता है.
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