जून 2025 में आयोजित एक बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास के दौरान फिनलैंड के खुले आसमान में ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने वैश्विक रक्षा विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. फ्रांस का राफेल फाइटर जेट, जिसे आमतौर पर 4.5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है, ने अमेरिका के अत्याधुनिक F-35 लाइटनिंग II को बेहद नज़दीकी हवाई मुकाबले में पछाड़ते हुए उस पर 'किल लॉक' हासिल कर लिया.
F-35 को आज की तारीख में दुनिया का सबसे आधुनिक स्टील्थ फाइटर माना जाता है, लेकिन इस मुठभेड़ ने यह साबित कर दिया कि तकनीक से कहीं ज़्यादा मायने पायलट की स्किल और विमान की फुर्ती का होता है.
अटलांटिक ट्राइडेंट 25: ताकत की परख का मंच
इस रोमांचक मुकाबले का मंच बना अटलांटिक ट्राइडेंट 25, जो कि एक बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था. 16 से 27 जून 2025 तक चले इस युद्धाभ्यास का आयोजन पहली बार अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के बाहर फिनलैंड की धरती पर किया गया.
इसमें कुल चार देशों की वायु सेनाएं शामिल हुईं
कैसे हुआ राफेल का 'किल लॉक'?
20 अगस्त को फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक वीडियो साझा किया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक राफेल फाइटर पायलट ने अपने विमान के इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम के जरिए अमेरिकी F-35 को लॉक कर लिया — यानी राफेल की मिसाइलें सीधे F-35 को निशाना बना सकती थीं. डॉगफाइट यानी बेहद पास की हवाई भिड़ंत — में राफेल की तेज़ रफ्तार, शानदार एरोडायनामिक्स और पायलट की कुशलता ने उसे बढ़त दिलाई. विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही F-35 को रडार अलर्ट मिला हो, लेकिन वह राफेल के 'लॉक' से खुद को बचा नहीं पाया.
पहले भी रचा है इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब राफेल ने अमेरिकी स्टील्थ विमान को शिकस्त दी हो. 2009 में UAE में हुए एक अभ्यास में भी राफेल ने F-22 रैप्टर को हवाई युद्ध में मात दी थी. उस समय फ्रेंच पायलट ने अपने राफेल को 9G तक पुश करते हुए F-22 को सफलतापूर्वक निशाना बनाया था.
राफेल की ताकतें क्या हैं?
राफेल को फ्रांसीसी कंपनी डैसो एविएशन ने विकसित किया है और इसे एक बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान के रूप में जाना जाता है. इसकी प्रमुख खूबियां हैं. RBE2 AESA रडार: कई लक्ष्यों पर एक साथ निगरानी और हमला. IRST सिस्टम: दुश्मन के स्टील्थ विमानों को भी ट्रैक करने की क्षमता. मीका और मीटियोर मिसाइलें: हवा से हवा और जमीन पर हमला करने में सक्षम. डेल्टा विंग कैनार्ड डिज़ाइन: बेहद फुर्तीली उड़ान और नियंत्रण. स्पेक्ट्रा सेल्फ-डिफेंस सिस्टम: दुश्मन की मिसाइल और रडार से सुरक्षा
इस जीत के क्या मायने हैं?
फ्रांस की रणनीति को बढ़ावा: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों लंबे समय से राफेल को अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में F-35 के मुकाबले खड़ा करने की कोशिश में हैं. यह जीत उनकी कूटनीतिक और व्यापारिक नीति को बल देगी. नाटो में प्रतिस्पर्धा: अमेरिका और फ्रांस भले ही नाटो में सहयोगी हों, लेकिन फाइटर जेट मार्केट में दोनों प्रतिद्वंद्वी हैं. यह घटना राफेल की विश्वसनीयता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देती है. भारत के लिए गर्व की बात: भारत पहले ही 36 राफेल जेट खरीद चुका है और भविष्य में और खरीद की संभावना है. इस जीत ने भारतीय वायुसेना के विश्वास को और प्रबल किया है.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान से यारी पड़ गई एदोर्गन को भारी! ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय पर्यटकों ने मोड़ा मुंह