कट्टरपंथी यूनुस का खेल खत्म! बांग्लादेशी आर्मी चीफ के इस बयान से मिले संकेत, क्या होगा सत्ता परिवर्तन?

    Bangladesh Hindu persecution: हाल के वर्षों में बांग्लादेश और भारत के संबंधों में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. एक समय था जब भारत ने बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई थी और दोनों देशों के बीच सहयोग, सांस्कृतिक समानताओं और आपसी विश्वास पर आधारित मजबूत संबंध थे.

    Radical Yunus game is over This statement of Bangladeshi Army Chief gives indications
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    Bangladesh Hindu persecution: हाल के वर्षों में बांग्लादेश और भारत के संबंधों में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. एक समय था जब भारत ने बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाई थी और दोनों देशों के बीच सहयोग, सांस्कृतिक समानताओं और आपसी विश्वास पर आधारित मजबूत संबंध थे.

    लेकिन 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन और उसके बाद उपजे राजनीतिक अस्थिरता के माहौल ने इस समीकरण को प्रभावित किया. इसी दौरान सांप्रदायिक तनाव ने भी जोर पकड़ा और खासकर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं सामने आईं.

    सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से एकजुटता का संदेश

    ऐसे तनावपूर्ण माहौल में इस बार बांग्लादेश में जन्माष्टमी का पर्व विशेष महत्व लेकर आया. शनिवार को राजधानी ढाका समेत कई शहरों में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. ढाका के पलाशी इलाके में भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें ढोल-नगाड़ों की थाप पर भक्तों ने नृत्य किया और गीत-संगीत की प्रस्तुतियां दीं. इस आयोजन की खास बात यह रही कि बांग्लादेश की सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों ने इसमें भाग लिया.

    “हर धर्म का है बांग्लादेश पर समान अधिकार”

    समारोह में सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने अपने भाषण में कहा,“बांग्लादेश सभी धर्मों और समुदायों के लोगों का देश है. सशस्त्र बल शांति, सुरक्षा और सद्भाव की रक्षा के लिए हमेशा नागरिकों के साथ खड़े रहेंगे.” उन्होंने हिंदू समुदाय के लोगों को आश्वासन दिया कि सेना उनकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.

    हिंदू समुदाय की जनसंख्या और चुनौतियाँ

    बांग्लादेश की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 8-9% है, लेकिन यह आंकड़ा समय के साथ घटता गया है. इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं,  जैसे जबरन धर्मांतरण, संपत्ति पर कब्जा और विवाद, धार्मिक हिंसा व भेदभाव, सामाजिक असमानता और असुरक्षा. बीते कुछ वर्षों में कई हिंदू परिवारों ने हिंसा, धमकी या अन्य दबावों के चलते देश छोड़ने का रास्ता चुना. धार्मिक स्थलों पर हमलों की घटनाएं भी चिंताजनक रही हैं.

    सरकारी प्रयास और जमीनी हकीकत

    हालांकि बांग्लादेश सरकार ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कुछ कानून और नीतियाँ लागू की हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इनका असर कई इलाकों में बेहद सीमित रहा है. प्रशासनिक कार्रवाई अक्सर कमजोर रही है और पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया में समय और भटकाव देखा गया है.

    सांप्रदायिक सौहार्द की मिसालें भी मौजूद हैं

    इन चुनौतियों के बीच यह भी सच है कि कुछ क्षेत्रों में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच परस्पर सहयोग और सद्भाव बना हुआ है. धार्मिक आयोजनों में बहुधा सभी समुदायों की भागीदारी देखी जाती है, जो कि सामाजिक एकता का प्रतीक है.

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