PM Modi China Visit: भारत और चीन के बीच रिश्तों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. इस बार वजह है, चीनी विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा. सोमवार और मंगलवार को होने वाली यह यात्रा महज औपचारिक भेंट नहीं, बल्कि आने वाले दिनों की बड़ी कूटनीतिक तैयारियों का हिस्सा मानी जा रही है. खासकर तब, जब यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित चीन यात्रा से ठीक पहले हो रहा है.
संकेत साफ हैं कि दोनों देशों के बीच बर्फ पिघल रही है, और नई शुरुआत की उम्मीदें फिर से जन्म ले रही हैं.
रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश
लंबे समय से भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर 2020 की गलवान घाटी की झड़प के बाद. लेकिन अब दोनों देश LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर शांति कायम रखने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं. वांग यी की यह यात्रा इसी कड़ी का हिस्सा है.
इस दौरान चर्चा के मुख्य मुद्दे होंगे, सीमा विवाद, व्यापार में संतुलन और जरूरी आपूर्तियों की बहाली. खासतौर पर रेयर अर्थ मैग्नेट, उर्वरक (फर्टिलाइजर्स) और दवाओं की आपूर्ति को लेकर भारत को चीन से सहयोग की उम्मीद है.
पीएम मोदी की चीन यात्रा की तैयारी
वांग यी का यह दौरा सिर्फ वर्तमान हालात पर चर्चा तक सीमित नहीं है. इसकी अहमियत इसलिए भी है क्योंकि इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा की संभावना जताई जा रही है, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं. इस मौके पर उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी हो सकती है. गौरतलब है कि पीएम मोदी ने आखिरी बार 2018 में चीन का दौरा किया था.
व्यापार और उड़ानों की बहाली की उम्मीद
इस यात्रा के दौरान यह भी उम्मीद की जा रही है कि भारत और चीन के बीच बंद पड़ी सीधी उड़ानें एक बार फिर शुरू हो सकती हैं. कोविड-19 महामारी और सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के बीच हवाई संपर्क ठप हो गया था, जिसका असर व्यापार और जनसंपर्क दोनों पर पड़ा.
इसके अलावा, भारत के लिए फर्टिलाइजर्स का मुद्दा भी खासा अहम है. चीन से DAP उर्वरकों की आपूर्ति अचानक बंद हो जाने से चिंता बढ़ी है. 2023-24 में जहां चीन से 22.9 लाख टन उर्वरक आया था, वहीं 2024-25 में यह घटकर सिर्फ 8.4 लाख टन रह गया. जनवरी 2025 के बाद से तो कोई आपूर्ति ही नहीं हुई है. अब इस सप्लाई को फिर से बहाल करने पर चर्चा होगी.
डोभाल और जयशंकर से बात
भारत में वांग यी की प्रमुख मुलाकातें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ होंगी. डोभाल के साथ वे भारत-चीन सीमा मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता करेंगे. ऐसे समय में जब भारत-पाकिस्तान के संबंधों में तल्खी है और चीन पाकिस्तान को खुला समर्थन देता रहा है, वांग यी की भारत यात्रा को बहुत ही रणनीतिक नजर से देखा जा रहा है.
बर्फ पिघल रही है, रिश्तों में नई नरमी
पिछले एक साल में कई अहम दौरों और बैठकों ने भारत-चीन संबंधों में एक नई लचीलापन पैदा किया है. अजित डोभाल और विदेश सचिव पहले ही बीजिंग जाकर संवाद कर चुके हैं. इसी साल भारत के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भी SCO बैठकों के लिए चीन गए थे. इसके अलावा, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा की शुरुआत, दोनों देशों के बीच विश्वास की वापसी का संकेत दे रहे हैं.
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