अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर तनाव का माहौल उस समय देखने को मिला, जब अमेरिका और रूस के शीर्ष नेताओं की बातचीत के बीच सैन्य शक्ति का खुला प्रदर्शन शुरू हो गया. डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात एक संभावित शांति समझौते की उम्मीद लेकर शुरू हुई थी, लेकिन अलास्का की इस बैठक के दौरान हालात उस मोड़ पर पहुंच गए, जहां कूटनीति के साथ-साथ सैन्य ताकत भी अपना चेहरा दिखाने लगी.
अमेरिका का स्टील्थ बॉम्बर और रूस का जवाब
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच की बातचीत के बीच अमेरिकी वायुसेना ने अचानक अपना B-2 स्टील्थ बॉम्बर उड़ाया, जो इन दोनों नेताओं की बैठक के क्षेत्र से गुजरा. यह विमान अमेरिका की अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसे दुनिया के सबसे खतरनाक रणनीतिक बमवर्षकों में से एक माना जाता है.
इस शक्ति प्रदर्शन का जवाब रूस ने भी तुरंत दिया. बैठक के कुछ ही घंटों बाद रूस ने TU-95MS बॉम्बर विमान की उड़ान का प्रदर्शन कर यह साफ कर दिया कि वह किसी भी सैन्य संकेत को नजरअंदाज नहीं करेगा. रूस की इस कार्रवाई को विश्लेषक एक “साफ संदेश” के रूप में देख रहे हैं, खासकर उस समय जब व्लादिमीर पुतिन, ट्रंप और फिर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ संभावित शांति समझौते पर विचार कर रहे थे.
क्या है TU-95MS और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
रूसी वायुसेना का TU-95MS बॉम्बर विमान कोई नया हथियार नहीं है, लेकिन इसकी क्षमता आज भी इसे अत्यंत घातक बनाती है. इसे नाटो देशों में "Bear" के नाम से जाना जाता है. यह विमान 1950 के दशक से सेवा में है, लेकिन लगातार हुए आधुनिकीकरण के कारण यह आज भी लंबी दूरी के हमलों में सक्षम है.
TU-95MS की सबसे बड़ी खासियत इसकी लंबी रेंज है- यह लगभग 15,000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. इसमें चार कुज़नेत्सोव NK-12 टर्बोप्रॉप इंजन लगे होते हैं, जो इसे तेज गति और स्थायित्व प्रदान करते हैं. इसकी अधिकतम उड़ान गति करीब 925 किमी/घंटा तक होती है. यह विमान परमाणु हथियारों के साथ-साथ पारंपरिक मिसाइलों को भी ले जाने में सक्षम है, जिससे इसकी रणनीतिक भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है.
व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की की बैठक
रूस और अमेरिका के इस शक्ति प्रदर्शन के बीच, वाशिंगटन डीसी में एक और बड़ी घटना घटित हो रही थी ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की बैठक. यह मीटिंग यूक्रेन युद्ध को लेकर किसी संभावित समझौते की उम्मीदों के बीच आयोजित की गई थी.
इस बैठक में यूरोपीय संघ के कई बड़े नेता भी शामिल हुए, जिनमें NATO महासचिव मार्क रुटे, यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन, और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर प्रमुख थे. इसके अलावा, यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसमें जुड़े.
रूस की शर्तें और ट्रंप का रुख
रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस की ओर से यह प्रस्ताव सामने रखा गया है कि अगर यूक्रेन अपने पूर्वी हिस्से जिसमें डोनेट्स्क और लुहान्स्क जैसे क्षेत्र शामिल हैं पर दावा छोड़ देता है, तो बदले में रूस उन छोटे इलाकों से पीछे हट सकता है, जिन पर उसने हाल ही में कब्जा किया है.
बताया जा रहा है कि ट्रंप इन शर्तों पर विचार के लिए तैयार हैं, जबकि यूरोपीय देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप कहीं जेलेंस्की पर किसी एकतरफा समझौते का दबाव न डाल दें.
क्या यह शांति वार्ता सफल होगी?
ट्रंप और पुतिन की मुलाकात से पहले जो उम्मीद जताई जा रही थी कि कोई ठोस संघर्ष विराम या शांति समझौता सामने आएगा, वैसा कुछ भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. खुद ट्रंप ने बातचीत से पहले ऐसे बयान दिए थे, जिनसे संकेत मिल रहा था कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं.
हालांकि, अब तक की घटनाओं से यही प्रतीत होता है कि बातचीत से अधिक, सैन्य शक्ति का प्रदर्शन इस पूरी प्रक्रिया पर हावी रहा है. चाहे वह अमेरिका का B-2 बॉम्बर हो या रूस का TU-95MS, दोनों देशों ने यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी बातचीत के दौरान अपनी ताकत दिखाने से पीछे नहीं हटेंगे.
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